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मुलायमः जब विरोधियों का दांव फेल करने पिता का नाम जोड़कर चुनावी मैदान में उतरे थे सपा नेता

मुलायम सिंह यादव जसवंतनगर सीट से जनता दल के प्रत्याशी बनकर चुनावी मैदान में थे। विरोधियों ने उन्हें पटखनी देने के लिए अजीब तरकीब निकाली। मुलायम नाम के एक अन्य प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया था।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊMon, 10 Oct 2022 02:52 PM
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सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव राजनीति में अपने अलग-अलग दांव के कारण भी जाने जाते हैं। छह दशक से ज्यादा की राजनीति में मुलायम सिंह कई पार्टियों से जुड़े और फिर अपनी पार्टी बनाकर देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में भाजपा-कांग्रेस जैसे पार्टियों को लंबे समय तक हाशिये पर ढकेल दिया था। विरोधियों के हर दांव को फेल करना तो जैसे उनके बाएं हाथ का खेल था। ऐसा ही एक मामला 1889 के विधानसभा चुनाव के दौरान सामने आया था।

मुलायम सिंह यादव जसवंतनगर सीट से जनता दल के प्रत्याशी बनकर चुनावी मैदान में थे। विरोधियों ने उन्हें पटखनी देने के लिए अजीब तरकीब निकाली। मुलायम नाम के एक अन्य प्रत्याशी को निर्दल ही मैदान में उतार दिया था। अब चुनाव मुलायम के खिलाफ मुलायम नजर आने लगा। लोग किसी भ्रम का शिकार न हो जाएं इसलिए मुलायम ने अपने नाम के साथ पिता का नाम जोड़ लिया। बैलेट पेपर पर उनका नाम छपा मुलायम सुघड़ सिंह यादव। इस असर रहा कि मुलायम के खिलाफ मुलायम नहीं हो सका और जनता दल प्रत्याशी के तौर पर मुलायम ने 64 हजार 500 वोटों से बड़ी जीत हासिल की थी। निर्दलीय मुलायम को 1032 ही वोट मिले थे।

मुलायम के साथ इसी तरह की घटना एक बार फिर जसवंतनगर सीट पर ही 1991 में हुई। इस बार वह जनता पार्टी के प्रत्याशी थे। इस चुनाव में भी उन्हें नाम के भ्रम की आशंका थी लेकिन तब तक मुलायम की प्रसिद्धि इतनी ज्यादा हो चुकी थी कि उनके खिलाफ खड़े निर्दल मुलायम को केवल 328 ही वोट मिल सके थे।

1993 में हमनाम की घटना लगातार तीसरे चुनाव में भी हुई। इस चुनाव में मुलायम एक साथ तीन सीटों पर मैदान में उतरे थे। मुलायम ने जसवंतनगर के साथ शिकोहाबाद और निदौली कला से पर्चा भरा था। संयोग या विरोधियों का प्रयोग था कि तीनों सीटों पर मुलायम के हमनाम उनके खिलाफ मैदान में थे। मुलायम की रणनीति का ही असर था कि विरोधियों का हर दांव फेल होता गया और तीनों सीटों पर मुलायम ने जीत हासिल की।

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