मुलायम सिंह यादव की आखिरी सैफई यात्रा, घर में आज रात अंतिम आराम, कल दाह संस्कार
समाजवादी पार्टी के संस्थापक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल से सोमवार की शाम अपने गांव सैफई पहुंच गया। मंगलवार को यहीं अंतिम संस्कार होगा।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल से सोमवार की शाम अपने गांव सैफई पहुंच गया। सैफई कोठी पर पार्थिव शरीर पहुंचते ही उनका अंतिम दर्शन करने भारी संख्या में लोगों का हुजूम पहुंच गया। सीएम योगी भी कोठी पर पहुंचे और पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। सीएम योगी ने पीएम मोदी की तरफ से भी पुष्प चक्र अर्पित किया। अपने आखिरी सैफई यात्रा पर पहुंचे मुलायम सिंह यादव का पार्थिव शरीर आज रात यहीं पर रहेगा और मंगलवार को दोपहर तीन बजे अंतिम संस्कार किया जाएगा।
इससे पहले मुलायम सिंह यादव ने सोमवार की सुबह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। मुलायम के निधन की खबर लगते ही हर तरफ शोक की लहर दौड़ गई। मुलायम के निधन पर उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। मुलायम सिंह को अगस्त में मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया था। दो अक्टूबर को निम्न रक्तचाप और ऑक्सीजन की कमी की शिकायत पर उन्हें अस्पताल के आईसीयू में स्थानांतरित किया गया था।
इधऱ, हमेशा आबाद रहने वाला सपा का मुख्यालय भी सूना-सूना सा दिखाई दिया। हर कोई सैफई की ओर रवाना हो गया। अफसरों के आवासीय क्षेत्र के रूप में जिस विक्रमादित्य मार्ग को जाना जाता था, उसे मुलायम सिंह यादव ने सपाइयों के गढ़ के रूप में पहचान दिलाई। उन्होंने 4 अक्तूबर 1992 को 19 विक्रमादित्य मार्ग पर सपा मुख्यालय की स्थापना की। तीस साल पहले स्थापित सपा मुख्यालय सोमवार को मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सूना-सूना सा दिखा।
पार्टी मुख्यालय हो या इसके पास ही स्थित आठ विक्रमादित्य मार्ग स्थित उनका अपना आवास। इसके आसपास वो रौनक नहीं दिखी जो हमेशा दिखती थी। मुलायम सिंह यादव के निधन की सूचना मिलने के बाद पार्टी मुख्यालय पर गमजदा खामोशी छा गई।
अमूमन अन्य मौकों पर बंद हो जाने वाले दरवाजे खोल दिए गए। जैसे-जैसे लोगों को सूचना मिली, वे सपा मुख्यालय पर आते जा रहे थे। पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि ‘नेताजी’ का शव लखनऊ लाया जाएगा। मगर जैसे ही यह संदेशा आया कि ‘नेताजी’ का पार्थिव शरीर सीधे सैफई जाएगा, लोगों वहां से धीरे-धीरे जाने लगे और भीड़ कम हो गई।
वहां आने और जाने वाले सभी की जुबान पर बस एक ही नाम था अपने नेता मुलायम सिंह यादव का। गोरखपुर से आए जगवीर सिंह कहते हैं कि सपा का छोटा हो या बड़ा कार्यकर्ता, ‘नेताजी’ सभी को जनाते और पहचानते थे। रैलियों या बैठकों में ‘नेताजी’ जिंदाबाद, धरती पुत्र मुलायम सिंह आदि के नारे बार-बार लगाने वालों को वह प्यार से डांटकर बैठा देते थे और कहते थे, आरे भाई पहचान लिया अब मेरी बात सुनो। गाजीपुर के अखिलेश भी मिले और ‘नेताजी’ के बारे में बाते करते हैं। मुलायम सिंह यादव वहां काम करने वाले भी याद कर रहे थे। हर जुबां पर बस ‘नेताजी’ ही थे।