गेस्ट हाउस कांड के बाद जब फ्लाइट में हो गया था मुलायम और मायावती का आमना-सामना
गेस्ट हाउस कांड के बाद एक बार फ्लाइट में अचानक मुलायम और मायावती का आमना सामना हो गया। सीट भी दोनों को आसपास की ही मिली थी। इससे दोनों नेताओं के सुरक्षा अधिकारियों की चिंता बढ़ गई थी।
राजनीति में भले ही मंचों और टीवी चैनलों पर नेता एक दूसरे के खिलाफ जहर उगलते हो लेकिन इससे अलग जब एक दूसरे से मिलते हैं तो पूरा सम्मान देते हैं। लेकिन यूपी की राजनीति में गेस्ट हाउस कांड ऐसी घटना है जिसने मुलायम और मायावती को एक दूसरे का राजनीतिक जानी दुश्मन बना दिया था। दोनों एक दूसरे को देखना तो दूर नाम लेना भी पसंद नहीं करते थे। कभी एक दूसरे के सामने आना भी नहीं चाहते थे। लेकिन एक बार फ्लाइट में अचानक मुलायम और मायावती का आमना सामना हो गया। सीट भी दोनों को आसपास की ही मिली थी। इससे दोनों नेताओं के सुरक्षा अधिकारियों की चिंता बढ़ गई थी। आगे क्या हुआ? यह जानने से पहले आइये बताते हैं क्या है गेस्ट हाउस कांड।
1993 में बीजेपी को टक्कर देने के लिए मुलायम सिंह यादव ने बसपा प्रमुख कांशीराम से गठबंधन किया था। उस समय यूपी और उत्तराखंड एक ही थे और विधानसभा में सीटों की संख्या 402 की तरह 422 थी। मुलायम सिंह यादव की सपा 256 सीट और बसपा 164 सीटों से चुनाव लड़ी। समाजवादी पार्टी को 109 और बहुजन समाज पार्टी को 67 सीटों पर जीत मिली थी। समझौते के अनुसार मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बन गए। दो साल के अंदर ही सपा बसपा के बीच खींचतान शुरू हो गई।
इसी बीच मायावती और बीजेपी के बीच गठबंधन की बातें मुलायम को पता चलीं। बीजेपी की तरफ से बसपा को समर्थन देकर मायावती को मुख्यमंत्री बनाने की बातें होने लगीं। मुलायम को पता चला कि सपा से समर्थन वापस लेने के लिए 2 जून 1995 को मायावती लखनऊ स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में अपने विधायकों के साथ मीटिंग कर ही हैं।
सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया। सपा और बसपा के नेताओं के बीच गेस्ट हाउस पर मारपीट शुरू हो गई। मायावती कमरा नंबर एक में ठहरी हुई थीं। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि उन्हें छिपना पड़ गया। दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। उस वक्त उनके साथ दो और लोग भी कमरे में थे। इसमें एक सिकंद रिजवी थे।
बाहर सपा नेताओं का जमावड़ा बढ़ गया। दरवाजा खुलवाने के लिए पूरी जोर लगा दी गई। वहीं कमरे के भीतर मौजूद लोगों ने दरवाजे को सोफे और मेज से जाम कर दिया। जिससे चटकनी टूटने के बावजूद भी दरवाजा न खुल सके। बसपा ने आरोप लगाया कि सपा नेताओं ने मायावती को जान से मारना की कोशिश की थी। अजय बोस ने अपनी किताब 'बहनजी' में गेस्टहाउस कांड का जिक्र किया है। इसके मुताबिक सपा कार्यकर्ताओं ने मायावती को कमरे में बंद करके पीटा और उनके कपड़े फाड़ दिए थे।
इसी घटना के बाद मुलायम और मायावती में अदावत दो नेताओं की नहीं बल्कि दो दुश्मनों जैसी बढ़ गई थी। दोनों एक दूसरे के आमने सामने भी नहीं आते थे। न कभी एक दूसरे का नाम सार्वजनिक रूप से लेते थे। गेस्ट हाउस कांड के बाद कोई नहीं कह सकता था कि मुलायम सिंह यादव और मायावती का फिर कभी आमना-सामना हो सकता है। लेकिन संयोग कुछ भी करा सकता है। एक फ्लाइट में मुलायम सिंह और मायावती का आमना सामना हो गया। दोनों की सीट भी आसपास थी।
तब मायावती के सुरक्षा अधिकारी पदम सिंह ने सपा नेताओं से बात की और पहले मुलायम सिंह को फ्लाइट में बैठाने के लिए राजी कर लिया। इसके बाद मायावती आईं और अपनी सीट पर बैठ गईं। दोनों नेताओं ने एक दूसरे को पूरे रास्ते नजर उठाकर भी नहीं देखा। यहां तक कि अखबार उठाकर पढ़ने में व्यस्त रहे ताकि गलती से भी नजरें न मिल जाएं।
पूरे रास्ते भले ही दोनों ने एक दूसरे से नजर नहीं मिलाई लेकिन फ्लाइट लैंड करने के बाद गलियारे में दोनों एक दूसरे के फिर आमने सामने हो गए। इस पर मुलायम ने हाथ जोड़कर मायावती से कहा कि बहनजी पहले आप जाइये। इस पर मायावती ने कहा कि नहीं नहीं आपकी सीट आगे है, पहले आप जाइये। इस पर मुलायम ने पूरे सम्मान के साथ कहा कि आप मेरी बहन हैं, इसलिए पहले आप जाइये और मुलायम के आग्रह पर पहले मायावती फ्लाइट से नीचे उतरीं।
गेस्ट हाउस कांड के करीब ढाई दशक बाद मायावती और मुलायम के बीद जमी रिश्तों की बर्फ 2019 में पिघली। तब अखिलेश यादव सपा के अध्यक्ष बन चुके थे। मोदी का मुकाबला करने के लिए अखिलेश की सपा ने मायावती की बसपा ने गठबंधन किया। मैनपुरी में चुनाव प्रचार के लिए मुलायम सिंह यादव भी मंच पर उतरे और मायावती के साथ साझा रैली को संबोधित किया।