मुलायम सिंह की तेरहवीं नहीं होगी, फिर भी उनके नाम पर भंडारे के लिए वसूली, रसीद वायरल होने पर खलबली
सैफई की परंपरा को निभाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं नहीं करने का फैसला लिया है। इसके बाद भी उनकी तेरहवीं पर भंडारे के लिए चंदा वसूली का मामला सामने आया है।
सैफई की परंपरा को निभाने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव की तेरहवीं नहीं करने का फैसला लिया है। इसके बाद भी उनकी तेरहवीं पर भंडारे के लिए चंदा वसूली का मामला सामने आया है। जौनपुर के मड़ियाहूं में चंदा वसूली की रसीद वायरल होने से खलबली मच गई। पार्टी नेताओं के सख्त रुख के बाद आयोजकों ने पूरा कार्यक्रम रद्द कर दिया है।
मड़ियाहूं तहसील के पाली ग्राम पंचायत के बिजौरा गांव में 22 अक्तूबर को भंडारा रखा गया था। आयोजकों की ओर से डीह बाबा मंदिर पर प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए चंदे की रसीद छपवाई गई थी। कुछ लोगों से चंदा भी वसूला गया था।
जमालपुर निवासी अध्यापक सुरेन्द्र यादव के नाम पर काटी गई पांच हजार रुपये की रसीद सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। रसीद पर आयोजक सदस्य जगदीश यादव के हस्ताक्षर भी थे। रसीद वायरल होने पर सपा नेताओं ने इसे गंभीरता से लिया।
पार्टीजनों के सख्त रुख के बाद आयोजकों ने तेरही पर भंडारे और श्रद्धांजलि का कार्यक्रम रद्द कर दिया। आयोजक सदस्य और लोकगीत गायक जगदीश यादव ने बताया कि मुलायम सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए 22 अक्तूबर को भंडारे का आयोजन किया गया था। सपा पदाधिकारियों के निर्देश पर कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया।
आमतौर पर किसी के निधन के बाद तेरहवीं और सतरहवीं होती है। इस दिन ब्राह्मण भोज के साथ ही रिश्तेदारों, परिचितों, जान-पहचान वालों और गांव वालों को भोज कराने का चलन है। यह चलन सैफई गांव के लोगों ने बहुत पहले बंद कर दिया था। सैफई के ग्रामीणों का मानना है कि तेरहवीं का भोज करने से आर्थिक बोझ पड़ता है। एक तरफ लोग अपनों से बिछड़ने के गम में डूबे होते हैं दूसरी ओर भोज का आयोजन ठीक नहीं लगता है। इसी को देखते हुए सैफई गांव ने तेरहवीं नहीं करने का फैसला बहुत पहले किया था। सैफई की परंपरा को निभाते हुए अखिलेश ने भी तेरहवीं नहीं करने का फैसला किया है। इसकी जगह कल यानी शुक्रवार को शांति हवन और पाठ का आयोजन किया गया है।