लोकसभा से मिट गया मुलायम परिवार का नाम, मैनपुरी से कौन लड़ेगा चुनाव, खुद अखिलेश, डिंपल या कोई और?
मुलायम के निधन से लोकसभा में अब सैफई के यादव परिवार से कोई सदस्य नहीं रह गया है। राष्ट्रीय राजनीति में सपा की धाक के लिए यादव परिवार से ही किसी को मैनपुरी उपचुनाव लड़ाने की संभावना जताई जा रही है।
मुलायम सिंह के निधन से लोकसभा में अब सैफई के यादव परिवार से कोई सदस्य नहीं रह गया है। कई दशक बाद ऐसा मौका आया है जब लोकसभा मुलायम परिवार विहीन हो गया है। लोकसभा में मुलायम परिवार की मौजूदगी बनाए रखने और राष्ट्रीय राजनीति में सपा की धाक के लिए यादव परिवार से ही किसी को मैनपुरी उपचुनाव लड़ाने की संभावना जताई जा रही है। अब अखिलेश खुद उपचुनाव लड़ेंगे या डिंपल को लड़ाएंगे। या फिर परिवार के ही किसी सदस्य को मैदान में उतारेंगे। इस पर लोगों की नजरें हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अभी तक मुलायम के लोकसभा में रहने से दिल्ली और राष्ट्रीय राजनीति पर सपा की भी अलग पहचान बनी हुई थी। अब लोकसभा में दो सांसद सपा से हैं और दोनों मुसलमान हैं। राज्यसभा में तीन में एक यादव, एक मुसलमान और एक जया बच्चन हैं। ऐसे में कुछ विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजनीति में सपा की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए अखिलेश दिल्ली का रुख कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो अखिलेश मैनपुरी से उपचुनाव लड़ सकते हैं।
हालांकि कुछ लोगों का इससे अलग भी मत है। उनका मानना है कि अखिलेश यूपी की राजनीति नहीं छोड़ेंगे। जिस तरह से उन्होंने पिछले चुनाव में भाजपा को चुनौती दी थी, आगे भी उनके यहां बने रहने से ही यह चुनौती संभव है। विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश दिल्ली गए तो विधानसभा में भाजपा को जिस तरह से टक्कर दी जा रही है वह धार कमजोर हो सकती है।
अखिलेश के विधानसभा में होने से सपा की बात दूर तक पहुंचती है। अखिलेश की बातों को मीडिया में भी ज्यादा जगह मिलती है। ऐसे में अखिलेश की पहली पसंद पत्नी डिंपल हो सकती हैं। डिंपल के अलावा धर्मेंद्र और तेज प्रताप यादव भी इस सीट से दावेदार हो सकते हैं।
चाचा शिवपाल को उतारकर चौंका सकते हैं?
लगातार साथ रह रहे चाचा और भतीजा के सारे गिले-शिकवे मुलायम सिंह यादव के श्राद्ध से पहले अगर दूर हो जाएं तो अखिलेश के पास मैनपुरी सीट से चौंकाने वाली राजनीति करने का भी एक मौका होगा। अगर वो एक तरफ यूपी में सपा की धमक को बनाए रखने के लिए विधानसभा में अपनी दमदार मौजूदगी बरकरार रखना चाहते हैं लेकिन साथ में लोकसभा में भी परिवार से एक ऐसा मजबूत नेता भेजना चाहते हैं जो राष्ट्रीय राजनीति में सपा की मौजदूगी और प्रासंगिकता बनाए रखे तो शिवपाल सिंह यादव एक संभावना है, जिसे वो तलाश सकते हैं। बशर्ते दोनों के संबंध ठीक हो जाएं और चाचा को उनका पुराना भतीजा मिल जाए।
अखिलेश के अलावा सिर्फ शिवपाल ही ऐसे व्यक्ति हैं जो मुलायम की तरह सभी दलों में संबंध रखते हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर अखिलेश खुद नहीं उतरते तो राष्ट्रीय राजनीति में सपा को प्रासंगिक रखने के लिए राम गोपाल यादव पर भी निर्भर रहना होगा। शिवपाल के अलावा परिवार में कोई ऐसा नहीं है जो सांसद भले बन जाए लेकिन राष्ट्रीय राजनीति और दिल्ली की राजनीति संभाल सके।
फिलहाल लोकसभा में सपा के दो सांसद एसटी हसन और शफीकुर रहमान बर्क बचे हैं और गाहे-बगाहे विवादित बयान देते रहते हैं। राज्यसभा में रामगोपाल यादव के अलावा जया बच्चन और जावेद अली खान हैं। अगर मैनपुरी से डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव या यादव परिवार से किसी और को लड़ाया जाता है तो लोकसभा में परिवार से एक सांसद जरूर पहुंच जाएगा लेकिन दिल्ली दरबार में मुलायम परिवार का और सपा का पताका कमजोर पड़ सकता है।