यूपी निकाय चुनाव में कितना कारगर रहा बीजेपी का पसमांदा दांव? पढ़ें रिपोर्ट
यूपी निकाय चुनावों में भाजपा का पसमांदा मुस्लिमों पर दांव लगाने का फैसला बहुत कारगर साबित होता नहीं दिखा। हालांकि तमाम सीटों पर पार्टी को मुस्लिमों का वोट मिला।
यूपी निकाय चुनावों में भाजपा का पसमांदा मुस्लिमों पर दांव लगाने का फैसला बहुत कारगर साबित होता नहीं दिखा। नगर पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए उतारे गए 37 मुस्लिम प्रत्याशियों में से महज एक पसमांदा ही जीतने में सफल हो सका। हालांकि तमाम सीटों पर पार्टी को मुस्लिमों का वोट मिला।
भाजपा ने पहली बार निकायों में करीब 350 मुस्लिम चेहरों पर दांव लगाया था। इनमें नगर निगम के पार्षद, नगर पालिका अध्यक्ष और सभासद तथा नगर पंचायत अध्यक्ष व सदस्य शामिल थे। पार्टी ने पांच नगर पालिका अध्यक्ष और 32 नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर मुस्लिम चेहरे दिए थे। इनमें से पांच को जीत हासिल हुई। पसमांदा मुस्लिमों की बात करें तो सिर्फ सहारनपुर की चिल्काना सीट पर ही उन्हें जीत मिली। जबकि पार्टी द्वारा उतारे गए कुल प्रत्याशियों में से 70 से अधिक जीतने में सफल रहे हैं।
पार्टी लगातार दे रही तरजीह
जहां तक पसमांदा मुस्लिमों का सवाल है तो संघ और भाजपा काफी समय से इन्हें अपने साथ जोड़ने को प्रयासरत हैं। केंद्र सरकार की आवास, शौचालय सहित तमाम योजनाओं का लाभ बहुतायत में इस समाज के लोगों को मिला है। इसके अलावा पार्टी ने योगी सरकार में एक राज्यमंत्री, हज कमेटी के चेयरमैन, वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, अल्पसंख्यक आयोग सहित विभिन्न पदों पर भी पसमांदा समाज के चेहरों को ही जिम्मेदारी दी है। बीते दिनों एएमयू के तत्कालीन कुलपति को भाजपा ने एमएलसी भी बनाया है।