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UP Monsoon Update : भीषण गर्मी के बीच यूपी के इस मंदिर में टपकी बूंदें, मानसून को लेकर दिए अच्छे संकेत

कानपुर जिले के भीतरगांव विकास खण्ड के बेहटा बुजुर्ग गांव स्थित भगवान जगन्नाथ के प्राचीन मंदिर ने इस वर्ष भी अच्छे मानसून के संकेत दिए हैं। दरअसल, मंदिर के गुंबद के एक भाग से गर्भगृह में दो दिन...

UP Monsoon Update : भीषण गर्मी के बीच यूपी के इस मंदिर में टपकी बूंदें, मानसून को लेकर दिए अच्छे संकेत
Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, कानपुर। घाटमपुरThu, 6 June 2024 04:17 PM
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UP Monsoon Update: भीषण गर्मी के बीच भीतरगांव विकास खण्ड के बेहटा बुजुर्ग गांव स्थित भगवान जगन्नाथ के प्राचीन मंदिर ने इस वर्ष भी अच्छे मानसून के संकेत दिए हैं। दरअसल, मंदिर के गुंबद के एक भाग से गर्भगृह में दो दिन से बूंदें टपकना शुरू हो चुकी हैं जो मानसून के आने और कैसे रहेगा इसका संकेत देती हैं। यह मंदिर मानसून आने की जानकारी दो सप्ताह पहले ही दे देता है। मंदिर की यह विशेषता वर्तमान में मौसम वैज्ञानिकों के साथ-साथ देश विदेश के वैज्ञानिकों के लिए किसी अजूबे से भी कम नहीं है। मंदिर में टपकने वाली बूंदों के आकार से मानसून में होने वाली बरसात का आकलन हो जाता है। इस वर्ष मानसूनी पत्थर पूरी तरह भीग चुका है और पूरे पत्थर में बूंदें जमा हैं जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस वर्ष होने वाली बरसात बीते वर्ष की अपेक्षा बेहतर होगी।  

मंदिर निर्माण को लेकर इतिहासकारों के कई मत

देश-विदेश में प्रसिद्ध इस ऐतिहासिक मंदिर के गर्भगृह के भीतर भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ, बहन सुभद्रा की काले पत्थर की मूर्तियां स्थापित हैं। पुरातत्व विभाग से संरक्षित इस मंदिर के निर्माण को लेकर इतिहासकारों के कई मत हैं। बौद्ध स्तूप की शैली से निर्मित मंदिर को 11वीं शताब्दी के आसपास का माना जाता है। गर्भगृह के भीतर व बाहर की गयी नक्काशी मंदिर को दूसरी व चौथी सदी का होने का दावा करती है। वहीं कुछ इतिहासकर मंदिर की कुछ कलाकृतियों को देखकर इसे चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल का होने की बात कहते हैं। 

मंदिर से पानी टपकना हैरतअंगेज, वैज्ञानिक भी नहीं बता सके कारण 

जगन्नाथ मंदिर में मानसून से पहले पानी टपकना व बरसात के दौरान मंदिर के भीतर एक बूंद भी पानी न आना किसी अजूबे से कम नहीं है। समय-समय पर देश व विदेशों से आने वाले वैज्ञानिक भी इस अजूबे को पता लगाने में नाकाम रहे हैं। मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि सात पीढ़ियों से इनका परिवार मंदिर में पुजारी रहा है। वह इस मंदिर में पुजारी हैं और कई बार पुरातत्व विभाग, आईआईटी समेत विदेश से वैज्ञानिक आ चुके हैं लेकिन पानी टपकने का रहस्य आज भी बरकरार है। वह बताते हैं कि मंदिर से टपकने वाली बूंदों के आकार को देखकर पता चलता है कि मानसून अच्छा रहेगा कि कमजोर। बीते दो दिनों से मंदिर के गुंबद से पानी टपकना शुरु हो चुका है और बूंदों का आकार अच्छी बारिश का संकेत दे रहा है। 

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