Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Cut off is necessary to control the number of TGT candidates important order of Allahabad High Court

टीजीटी अभ्यर्थियों की संख्या नियंत्रित करने को कट ऑफ जरूरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम आदेश

हाईकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या को देखते हुए कटऑफ मार्क्स ही एक ऐसा तरीका है, जिससे रिक्तियों के सापेक्ष अभ्यर्थियों की संख्या को एक सीमा में रखा जा सकता है।

Yogesh Yadav विधि संवाददाता, प्रयागराजFri, 25 Aug 2023 04:33 PM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या को देखते हुए कटऑफ मार्क्स ही एक ऐसा तरीका है, जिससे रिक्तियों के सापेक्ष अभ्यर्थियों की संख्या को एक सीमा में रखा जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने सुप्रिया सिंह बैस की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। इसी के साथ कोर्ट ने प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक (टीजीटी) हिंदी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित कोटे के तहत आवेदन करने वाली सामान्य वर्ग की अभ्यर्थी (याची) को कटऑफ मार्क्स के आधार पर चयन सूची में स्थान न मिलने के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी है।

याची का कहना था कि उसने टीजीटी हिंदी में सामान्य वर्ग के तहत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित कोटे से आवेदन किया था। आठ अगस्त 2021 को लिखित परीक्षा हुई लेकिन याची को काउंसिलिंग में नहीं बुलाया गया। याचिका में कहा गया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड चयन का यह कार्य अवैधानिक है। इसके जवाब में डिप्टी डायरेक्टर मध्यमिक प्रयागराज की ओर से हालकनामा दाखिल कर बताया गया कि याची को निर्धारित कट ऑफ अंक से कम नंबर मिले थे इसलिए वह चयन सूची और प्रतीक्षा सूची में स्थान नहीं बना सकी। 

याची को 192.6248 अंक प्राप्त हुए जबकि न्यूनतम कट ऑफ अंक 237.7072 चाहिए थे। यहां तक कि प्रतीक्षा सूची में भी अंतिम अभ्यर्थी को 225.4120 अंक प्राप्त हुए हैं। कट ऑफ मार्क्स कम होने के कारण याची को चयन सूची और प्रतीक्षा सूची में स्थान नहीं मिल सका। दूसरी ओर याची के अधिवक्ता का कहना था कि कट ऑफ मार्क्स का प्रावधान न तो विज्ञापन में ही रखा गया था और न ही रूल्स में ऐसा कोई प्रावधान है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या को देखते हुए कट ऑफ मार्क्स ही एक तरीका है जिससे रिक्तियों के सापेक्ष अभ्यर्थियों की संख्या को सीमित किया जा सकता है। कोर्ट ने निर्धारित कट ऑफ मार्क्स से कम अंक पाने के कारण याचिका खारिज कर दी।

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