24 के लक्ष्य के लिए BJP को अब नए सिरे से सजाना होगा सियासी तरकश, मैनपुरी-खतौली नतीजों के बाद व्यूह रचना में जुटे रणनीतिकार
रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा के सपाई किले ढहने के बाद अब सबकी निगाहें मैनपुरी पर टिकी थीं। मगर मैनपुरी, खतौली के नतीजों से साफ हो गया है कि भाजपा को 2024 के लिए अपना तरकश नए नए तीरों से सुसज्जित करना होगा।
BJP in UP: भाजपा ने मिशन-2024 के लिए यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। पार्टी अभी से इसके लिए व्यूह रचना में जुटी है। रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा के सपाई किले ढहने के बाद अब सबकी निगाहें मैनपुरी पर टिकी थीं। मगर मैनपुरी और खतौली के नतीजों से साफ हो गया है कि यादव लैंड और जाट लैंड में भाजपा को 2024 के लिए अपना तरकश नए तीरों से सुसज्जित करना होगा।
सर्द मौसम में यूपी के तीन उपचुनावों के नतीजों ने सियासी हलकों में गर्माहट ला दी है। विरासत बचाने के सपाई दांव ने भगवा खेमे के सामाजिक समीकरण साधने की जुगत परवान नहीं चढ़ने दी। खतौली और भाजपा की मुहब्बत नौ महीने भी न चल सकी। मुजफ्फर नगर की छह में से चार सीटें भाजपा विधानसभा चुनाव में ही हार गई थी। खतौली की खता ने जिले की पांचवीं सीट भी छीन ली।
हार के ये भी रहे कारण
मैनपुरी में ऐन चुनाव तक सांगठनिक ढांचा ही आधा-अधूरा था। तकरीबन 500 बूथ ऐसे थे, जहां पार्टी का बस्ता उठाने वालों का भी संकट था। सपा ने इस चुनाव को प्रधानी की तरह लड़ा। भाजपा यहां 2019 में मिले वोटों के आंकड़ों से भी काफी दूर रही। संगठन और रणनीतिक स्तर पर मैनपुरी ही नहीं खतौली में भी भाजपा की कमजोरी चुनावी नतीजों ने सामने ला दी है।
चौधराहट पर उठे सवाल
भाजपा ने जाट लैंड को और मजबूत करने के लिए पश्चिमी यूपी से भूपेंद्र सिंह चौधरी के रूप में जाट प्रदेश अध्यक्ष बनाया। क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल भी जाट हैं। खतौली जिस मुजफ्फरनगर में आती है, वहां के सांसद केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान हैं। बालियान पश्चिम में जाट चेहरे के रूप में पेश किए जाते हैं। मगर इस हार ने जाट लैंड की चौधराहट को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।