मैनपुरी-खतौली में नहीं चला जादू, क्या 24 के लिए बीजेपी को रामपुर से मिला नया फार्मूला?
UP By Election Result: मेहनत और मैनेजमेंट का परिणाम बीजेपी को रामपुर में जीत के रूप में मिला लेकिन मैनपुरी और खतौली में उसका जादू नहीं चला। मैनपुरी लोकसभा सीट पर डिंपल यादव ने रिकार्ड जीत हासिल की।
UP By election Result: मैनपुरी लोकसभा हो या खतौली-रामपुर विधानसभा की सीट, बीजेपी ने हर जगह अपनी पूरी ताकत लगाई थी। दिग्गज नेताओं के दौरों-सभाओं के साथ-साथ ग्राउंड लेवल के प्रबंधन पर भी भरपूर जोर दिया था। इसी मेहनत और मैनेजमेंट का परिणाम बीजेपी को रामपुर में जीत के रूप में मिला लेकिन मैनपुरी और खतौली में उसका जादू नहीं चला। मैनपुरी लोकसभा सीट पर डिंपल यादव ने रिकार्ड जीत हासिल की तो खतौली में सपा-रालोद के मदन भैया ने राजकुमारी सैनी को शिकस्त देते हुए बीजेपी के किले पर कब्जा कर लिया। बीजेपी ने मैनपुरी में सपा की जीत के पीछे मुलायम सिंह यादव के निधन से उपजी सहानुभूति को वजह बताया है। निश्चित ही खतौली की सीट गंवाना बीजेपी के लिए बड़ा झटका है लेकिन रामपुर की जीत पर बीजेपी की खुशी बड़ी है। जानकारों का मानना है कि करीब चार दशक तक आजम खान और समाजवादी पार्टी का गढ़ बनी रही इस मुस्लिम मतदाता बाहुल्य सीट पर भगवा झंडा फहराकर बीजेपी ने 2024 के लिए पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों का साथ हासिल करने का बड़ा आधार और फार्मूला हासिल कर लिया है।
मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में बीजेपी द्वारा आजम खान के वोटों में सेंधमारी को यूपी की सियासत में बड़े प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है। रामपुर में भाजपा के आकाश सक्सेना 80964 वोट पाकर विजयी हुए हैं। उन्होंने आजम के करीबी और सपा प्रत्याशी आसिम राजा को 33702 वोटों से शिकस्त दी है। आसिम रजा को कुल 47262 वोट मिले हैं। आजम के गढ़ रामपुर में बीजेपी ने जून में हुए लोकसभा उपचुनाव में भी कामयाबी हासिल की थी। अब विधानसभा चुनाव में सपा को दोबारा हराकर बीजेपी ने संदेश दे दिया है कि उसका वोट का दायरा बढ़ रहा है। इस दायरे में सभी वर्गों के लोग शामिल हैं। मुस्लिम समाज भी इससे बाहर नहीं है। अब तक बीजेपी को सिर्फ हिन्दूवादी राजनीति के लिए जाना जाता था तो अब पसमांदा मुसलमानों की वकालत करने वाली और विकास के नाम पर उन्हें एकजुट करने वाली पार्टी के तौर पर भी उसकी पहचान बन रही है। पिछले कुछ समय से बीजेपी जिलों में पसमांदा मुसलमानों के सम्मेलन कर रही थी। रामपुर में भी यह सम्मेलन हुआ था। इन सम्मेलनों में मुसलमानों के पिछड़ेपन के लिए विपक्ष पर हमला बोलने के साथ ही मोदी-योगी सरकार द्वारा उनके विकास और बेहतरी के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी भी विस्तार से दी जा रही थी। रामपुर की जीत को बीजेपी इसी से जोड़ कर देख रही है। जीत के बाद बीजेपी उम्मीदवार आकाश सक्सेना ने मीडिया से बातचीत में मुसलमानों के वोट मिलने का बार-बार जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अकेली ऐसी सीट है जहां पर 70 प्रतिशत मुसलमान वोट हैं। इस चुनाव में मुसलमान मतदाताओं ने पीएम मोदी-सीएम योगी के नेतृत्व में भरोसा जताते हुए बीजेपी के पक्ष में मतदान किया है। अब तक रामपुर के लोगों को गुलाम बनाकर रखा गया था। गुलाम से आजादी मिली। रामपुर में नए सवेर की शुरुआत हुई है। लोग गुलामी से आजाद हो गए हैं।
करीबियों को जोड़कर आजम को दिया झटका
रामपुर में बीजेपी ने एक तरफ पसमांदा मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं को जोड़ने पर जोर दिया तो दूसरी तरफ आजम खान के करीबियों को बीजेपी शामिल कराकर उन्हें बड़ा झटका भी दिया। आजम को सबसे बड़ा झटका कभी उनके लिए अपने खून से राष्ट्रपति को खत लिखने वाले उनके मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू के सपा को अलविदा कह भाजपा में जाने से लगा। इसके बाद मोईन पठान और आसिम ऐजाज ने भी सपा छोड़ दी। दोनों ने नूरमहल पहुंचकर भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना के समर्थन का ऐलान किया था।
निकाय और लोकसभा चुनाव-2024 में बीजेपी फिर आजमाएगी दांव
रामपुर में मिली कामयाबी के बाद अब साफ हो गया है कि बीजेपी जल्द होने वाले यूपी निकाय चुनाव में भी पसमांदा मुसलमानों का दांव आजमाएगी। पार्टी लगातार इसका संकेत भी दे रही है। हैदराबाद में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने की बात पर अमल करते हुए बीजेपी ने यूपी में ऑपरेशन शुरू किया। 16 और 18 अक्टूबर को लखनऊ में पसमांदा मुस्लिम सम्मेलन से इसकी शुरुआत हुई और इसके बाद रामपुर समेत अन्य जिलों में यह सिलसिला आगे बढ़ा। रामपुर में जीत के बाद अब निकाय चुनाव में इस सिलसिले को और आगे बढ़ाए जाने की उम्मीद है। जाहिर है 2024 में होने वाले आम लोकसभा चुनाव तक बीजेपी इस फार्मूले पर अच्छे से अमल करती दिखेगी और इस चुनाव में इसकी असल परीक्षा भी होगी।