यूपी निकाय चुनाव में बहराइच में भाजपा की 5 सीटों पर हार, क्यों फेल हो गया फार्मूला?
यूपी निकाय चुनाव में बहराइच में भाजपा की 5 सीटों पर हार गई । अचूक रणनीति, मतदाताओं पर पकड़, बेहतर बूथ मैनेजमेंट। हर चुनावों में भाजपा का यह मजबूत फार्मूला रहा है। निकाय चुनाव में यह फार्मूला बिखर गया।
अचूक रणनीति, मतदाताओं पर पकड़, बेहतर बूथ मैनेजमेंट। हर चुनावों में भाजपा का यह मजबूत फार्मूला रहा है। यूपी के बहराइच जिले में निकाय चुनाव में यह फार्मूला बिखरा-बिखरा दिखा। जिससे तीन निकायों में दूसरे व तो नवसृजित नगर पंचायत पयागपुर में भाजपा प्रत्याशी अपनी जमानत भी बचाने में कामयाब नहीं हो पाई हैं। पांच सीटों पर करारी हार लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा के लिए झटका है।
वर्ष 2017 के निकाय चुनाव में भाजपा एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी थी। बहराइच जिले की आठ निकायों में तीन में भले ही भाजपा जीतने में सफल रही है, लेकिन सदर सीट छोड़कर मिहींपुरवा व रुपईडीहा में निर्दलीय से मामूली वोटों के अंतर से ही प्रत्याशी जीत पाए हैं। रिसिया में निर्दलीय तो कैसरगंज में सपा प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन यहां मामूली वोटों से भी भाजपा हारी है। जरवल में भले ही दूसरे नंबर पर भाजपा रही, लेकिन 1700 से अधिक वोटों से हार मिली है। सर्वाधिक चौकाने वाली हार पयागपुर नगर पंचायत में भाजपा को मिली है। यहां प्रत्याशी सीमा सिंह सिर्फ तीसरे नंबर पर ही नहीं रही बल्कि अपनी जमानत बचाने भरकर वोट नहीं पा सकी हैं।
ऐसा नहीं जिन तीन निकायों में भाजपा जीती है, उसमें बूथ मैनेजमेंट बेहतर काम किया है। ऐसा नहीं बल्कि यहां ऐसे समीकरण बन गए कि भाजपा की जीत के द्वार खुल गए। लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव में बिखरे बूथ मैनेजमेंट व गुटबाजी को लेकर अब मंथन होगा। कारण खोजे जाएंगे। किसी पर ठीकरा फूटेगा। सच्चाई ये है कि जितना सक्रिय होना था, पार्टी के नेता और पदाधिकारी उतने सक्रिय नहीं दिखे। प्रत्याशी ने प्रचंड गर्मी में पसीना तो खूब बहाया, लेकिन मतदाताओं का भारोसा जीतने में सफल नहीं हो पाए। लिहाजा पांच सीटें गंवानी पड़ी हैं।
लाभार्थी वोट सहेजने में भी हुई चूक
सरकारी योजनाओं से लाभांवित लाभार्थी वोट भाजपा की ताकत रहा है। इसी के सहारे पिछले चुनावों में किला फतह किया है। पांच निकायों में भाजपा लाभार्थी वोट बैंक को सहेजने में विफल रही, जो कि उसके हार का कारण बनी है।