मुरादाबाद का नाम बदलकर होगा माधव नगर? बागेश्वर धाम धीरेंद्र शास्त्री ने उठाई मांग
बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने हनुमंत कथा के दौरान मुरादाबाद का नाम माधव नगर रखने की जोरदार मांग उठाई। उन्होंने अपने प्रवचन में भी मुरादाबाद को माधव नगर बोलकर संबोधित किया।
श्रीबागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने सोमवार को हनुमंत कथा के दौरान मुरादाबाद का नाम माधव नगर रखने की जोरदार मांग उठाई। उन्होंने अपने प्रवचन में भी मुरादाबाद को माधव नगर बोलकर संबोधित किया। महाराज ने कहा अयोध्या में राम मंदिर बन गया है। काशी में भी मंदिर का काम चल रहा है। मथुरा में भी कृष्ण जन्मभूमि का मामला कोर्ट में है। इसी तरह मुरादाबाद में भी हरिहर मंदिर है। अब इसमें में रुद्राभिषेक एवं जलाभिषेक के साथ पूजन आरंभ होना चाहिए। महाराज ने मंगलवार को एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के साथ भारत को हिंदू राष्ट्र बनवाने के लिए सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ कराने का भी ऐलान किया। उन्होंने तीनों दिन की कथा चौपाई पर आधारित रखने की भी बात कही।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सोमवार को बालाजी धाम नीब करौरी आश्रम ट्रस्ट एवं लोहिया मानव कल्याण ट्रस्ट द्वारा लोहिया स्टेट नया मुरादाबाद में आयोजित तीन दिवसीय श्री हनुमंत कथा एवं दिव्य दरबार में कथा कर रहे थे। उन्होंने बाबा नीब करौरी की छत्रछाया में हो रही कथा की सराहना की। कहा यहां आकर पता चला यहां कुछ लोग धर्म विरोधी भी हैं। जिन्हें सही राह दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा इस पीतल नगरी में काली माता का मंदिर, शीतला माता का सिद्धबली बाबा का मंदिर भी है। बृजघाट में गंगा है। यहां रामगंगा और गांगन नदी सहित कई नदियां हैं। ऐसे शहर को मुरादाबाद कहकर शिव बाबा की अवहेलना लगती है इसलिए इसका नाम माधव नगर होना चाहिए। महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान मुरादाबाद को बार-बार माधव नगर ही कहकर संबोधित किया। मीडिया को लोकतंत्र का चतुर्थ स्तंभ बताते हुए कहा यह सक्रिय है तभी हम जीवंत है। इन्हें भी माधव नगर बनवाने को आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा अयोध्या में राम मंदिर, काशी विश्वनाथ में शिवलिंग मुक्त हो गए और मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि पर मंदिर की तैयारी है। यहां भी भोले नाथ के रूप में कामेश्वर नाथ विराजमान हैं। बताया कि उन्हें पता चला है कि यहां भी हरिहर मंदिर है। इसमें पूजा नहीं होती लेकिन इसमें आवाज आती है, इसलिए इसमें भी रुद्राभिषेक एवं जलाभिषेक के साथ पूजा आरंभ होनी चाहिए। महाराज ने मुरादाबाद के लोगों को बार-बार पागल कहकर खूब गुदगुदाया।
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