जीवनभर साध्वी रहकर करूंगी सनातन धर्म का प्रचार, घर पहुंचकर बोली जूना अखाड़े से भेजी गई राखी
- महाकुंभ में साध्वी बनने पहुंची 13 साल की राखी को जूना अखाड़े से वापस उसके घर भेज दिया गया है। राखी शुक्रवार को अपने माता-पिता के साथ अपने गांव टर्रकपुरा पहुंच गई है। घर पहुंचने के बाद भी उसने साध्वी बनकर जीवन जीने की बात कही है।
महाकुंभ में साध्वी बनने पहुंची 13 साल की राखी को जूना अखाड़े से वापस उसके घर भेज दिया गया है। राखी शुक्रवार को अपने माता-पिता के साथ अपने गांव टर्रकपुरा पहुंच गई है। घर पहुंचने के बाद भी उसने साध्वी बनकर जीवन जीने की बात कही है। राखी का कहना है कि वह साध्वी बनकर जीवन भर सनातन धर्म का प्रचार करेगी। 13 वर्षीय राखी ने बताया कि 25 दिसंबर को वह माता-पिता के साथ प्रयागराज महाकुंभ में गई थी। कुछ दिन वहां रुकने के बाद उसका मन नहीं लगा। तब उसने माता-पिता से घर वापस चलने को कहा था। लेकिन उसी रात बचपन की इच्छा जाग्रत हुई कि साध्वी बनना है। तब उसने माता पिता से कहा कि घर चले जाओ। वह तो यहां रहकर साध्वी बनेगी।
राखी के अनुसार माता-पिता और गुरु कौशल गिरी ने उसे काफी समझाया था कि वह साध्वी न बने। लेकिन उसने उनकी नहीं सुनी। उसकी इच्छा के चलते माता-पिता ने सहमित जता दी। लेकिन गुरु कौशल गिरी ने फिर कहा कि वह पढ़ाई पर ध्यान दे। पढ़लिखकर नौकरी करे। साध्वी बनना कोई आसान नहीं है। राखी ने बताया कि तब उसने गंगा में कूदकर जान देने की धमकी दी। फिर उसके जूना अखाड़े में साध्वी बनने पर सहमति बनी।
वृंदावन के आश्रम में रहेगी
राखी ने कहा कि अब वह साध्वी के भेष में रहेगी। दीदी त्रतंभरा के वृंदावन स्थित आश्रम में रहकर पढ़ाई कर सनातन धर्म का प्रचार करेंगी। जीवन भर साध्वी रहेगी।
गुरु को जूना अखाड़े में फिर किया जाए शामिल
राखी ने कहा कि उनके गुरु पर जो आरोप लगाए गए है वो सब गलत है। वह जूना अखाड़े से अनुरोध करती हैं उनके गुरु को फिर से जूना अखाड़े शामिल किया जाय। इसमें उनका कोई दोष नहीं है। इधर राखी के पिता दिनेश ने बताया कि राखी ने साध्वी का भेष धारण कर लिया है। वो अब साध्वी बनकर ही रहेगी।