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शास्त्र सम्मत वाणी, मस्तक पर अर्थ ना चढ़े; प्रेमानंद जी महाराज के पास गए अनिरुद्धाचार्य को मिली 5 नसीहतें

  • प्रेमानंद जी महाराज के पास अनिरुद्धाचार्य जी महाराज वृंदावन के आश्रम में भगवान लक्ष्मी नारायण की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता देने गए थे। प्रेमानंद जी ने हाल के दिनों में विवादों में फंसे अनिरुद्धाचार्य को पांच बड़ी नसीहतें दी जो उन्हें निष्कलंक जीवन में काम आएंगे।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊMon, 27 Jan 2025 09:43 PM
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शास्त्र सम्मत वाणी, मस्तक पर अर्थ ना चढ़े; प्रेमानंद जी महाराज के पास गए अनिरुद्धाचार्य को मिली 5 नसीहतें

प्रेमानंद जी महाराज से मिलने उनके आश्रम में गए अनिरुद्धाचार्य जी महाराज को कई नसीहतें मिली हैं जिससे वो निष्कलंक जीवन जी सकें और सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करते हुए वैभव को प्राप्त कर सकें। अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहने वाले अनिरुद्धाचार्य जब रियलटी शो बिग बॉस में अतिथि बनकर गए थे, तब भी काफी विवाद हुआ था। अनिरुद्धाचार्य महाराज अपने गौरी गोपाल आश्रम में भगवान लक्ष्मी नारायण की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता देने प्रेमानंद जी महाराज के पास गए थे।

प्रेमानंद जी महाराज के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर अनिरुद्धाचार्य महाराज के आने और दोनों के बीच संवाद का वीडियो डाला गया है। प्रेमानंद महाराज ने इस मुलाकात के दौरान अनिरुद्धाचार्य महाराज को पांच बड़ी नसीहतें दीं।

प्रेमानंद महाराज की अनिरुद्धाचार्य महाराज को संपत्ति और बोलने पर नसीहत

प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में ध्यान रखना कि कभी अर्थ की लोलुपता ना आने पाए। धर्म की प्रधानता रहे। वाणी में शास्त्र संयम रहे। अर्थ चरणों में रहे। मस्तक पर अर्थ ना चढ़ने पाए। मस्तक तो सिर्फ भगवान के लिए है। वाणी में शास्त्र सम्मानित शब्द रहे तो सदैव विजयी रहोगे। जहां हमारे अंदर अर्थ की प्रधानता आएगी, वहां हम हार जाएंगे। संसार में सब कुछ अर्थ नहीं होता। एक प्रतिष्ठा भी होती है। अर्थ उतना जमा करिए जितने से सेवा, सामग्री ठीक से चलती रहे।

प्रेमानंद महाराज की अनिरुद्धाचार्य महाराज को सहयोगी और साथी पर नसीहत

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि पहले भी आए थे तो यही कहा था कि बहुत सावधान। अगर सौ लोग आपको प्रणाम करने वाले हैं, तो पांच आपको गिराने वाले भी हैं। उन पांच के सामर्थ्य आप तक न पहुंच पाएं, इसलिए अर्थ प्रधानता मत रखना। सदैव धर्म का आश्रय रखना।

प्रेमानंद महाराज की अनिरुद्धाचार्य महाराज को मौन और बोलने पर नसीहत

प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य महाराज से कहा कि वाणी से शास्त्र सम्मत बात करना। जरूरी नहीं कि हर प्रश्न का उत्तर हम दे दें। प्रश्न पूछने वाला अनाधिकारी है तो मौन। कह दीजिए कि हम असमर्थ हैं आपके प्रश्न के उत्तर में। प्रश्न का उत्तर वही दो, अधिकार के अनुसार और जानकारी के अनुसार। वो अधिकारी होना चाहिए। आपको जानकारी होनी चाहिए।

प्रेमानंद महाराज की अनिरुद्धाचार्य महाराज को कहां जाना है, कहां नहीं पर नसीहत

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि कहीं भी निमंत्रण हो, कहीं बुलावा हो तो पहले देखो कि मेरे यहां जाने से धर्म-प्रतिष्ठा पर आंच तो नहीं आएगी। अगर आ रही है तो बिल्कुल ना। अगर धर्म की प्रतिष्ठा हो रही है और समाज प्रशंसा करे तो जरूर जाएंगे। आप वहीं जाइए जहां आपकी प्रतिष्ठा में और धर्म की प्रतिष्ठा में आंच ना आवे। अर्थ की व्यवस्था में भी उपहास हो तो नहीं जाना है। कहीं ऐसी जगह नहीं जाना, जहां कोई ऊंगली उठाए। घर बैठे सब होगा, अपने आप आएगा।

भगवान के अलावा कोई सहयोगी नहीं है। जिसको तुम सहयोगी मानोगे, वही तुम्हारी जड़ काटने की चेष्ट करेगा। अपने पैरों के बल पर खड़ा होना, भगवान के बल से। यश वही सम्माननीय होता है जो धर्म के अनुसार और गौरव के अनुसार बढ़ता है। धर्म क्षेत्र में बहुत समय तक टिके रहना है तो अपने पैरों पर खड़ा होना होगा, परिपक्व होना होगा। यश बढ़ने में वर्षों लगते हैं, धूमिल होने में दो मिनट लगते हैं। जो यश भगवान ने दिया है, उसका निर्वाह करिए। पवित्र हृदय वाले हो, सावधानी से रहो, कोई तुम्हारा साथी नहीं है। ये बात हमारी पकड़ लेना। भगवान के सिवा कोई साथी नहीं है। निष्कलंक जीवन व्यतीत करोगे।

प्रेमानंद महाराज की अनिरुद्धाचार्य महाराज को कंचन और कामिनी पर नसीहत

प्रेमानंद महाराज ने अनिरुद्धाचार्य महाराज से कहा कि संयम से रहें। कंचन और कामिनी के लिए आकर्षन ना हो। कंचन तो खुद बरसेगा। हम धर्म से चल रहे हैं। जैसे समुद्र में बिना बुलाए नदियां अपने आप जा रही हैं, वैसे धर्मात्मा पुरुष के पास समस्त वैभव अपने आप आ जाता है। सनातन धर्म को आगे बढ़ाओ। दो बार संध्या करो, गायत्री मंत्र का जाप करो। गायत्री देवी बुद्धि प्रकाशित करती हैं।

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