पितृपक्ष शुरू, तर्पण को जुटी पीढ़ियां
पितृपक्ष बुधवार को शुरू हुआ। दूरदराज से आए परिजनों ने गंगा स्नान और पिंडदान किया। हजारों लोग प्रयागराज पहुंचे, जहां तीर्थ पुरोहितों ने विधिविधान से तर्पण कराया। संगम और दशाश्वमेध घाट पर श्रद्धालुओं की...
पितृपक्ष बुधवार को शुरू हो गया। दूरदराज से आए परिजनों ने गंगा स्नान और पिंडदान कर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। पहले दिन प्रतिपदा के श्रद्धा के दौरान हजारों लोग प्रयागराज पहुंचे तो तीर्थ पुरोहितों ने अपने-अपने क्षेत्र से आने वाले यजमानों को विधिविधान से पूजन और तर्पण कराया। संगम से लेकर दशाश्वमेध घाट तक बाढ़ प्रभावित होने की वजह से त्रिवेणी बांध पर लोगों की भीड़ जुटी रही। बांध पर संगम पुलिस चौकी से लेकर काली मार्ग चौराहे तक तर्पण और पिंडदान का सिलसिला सूर्योदय से शुरू होकर दिनभर चलता रहा। प्रतिपदा पर पितरों का आह्वान और उनका आशीर्वाद पाने के लिए लोगों ने गंगा की ओर मुख करके अंजुरी से जल तर्पण किया गया। घरों में भी तर्पण के लिए लोगों ने अपने पूर्वजों का आह्वान किया। घरों की छत पर खड़े होकर विधिविधान से पूर्वजों का स्मरण हुआ। गोमाता, श्वान और कौवों के लिए ग्रास निकालकर रखा गया।
सनातन संस्कृति की विशिष्टता का परिचायक पितृपक्ष
पितृपक्ष के अवसर पर नागवासुकि मंदिर के पास स्थित भीष्म पितामह के प्रतिमा स्थल पर दीपदान का किया गया। मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह गौर ने कहा कि पितृपक्ष भारत की सनातन संस्कृति की विशिष्टता का परिचायक है, जिसमें अपने पूर्वजों का स्मरण कर उन्हें भक्तिपूर्वक जलांजलि अर्पित किया जाता है। पुजारी पं. श्यामधर त्रिपाठी ने विधिविधान से पूजन कराया। चंडी पत्रिका के संपादक व्रतशील शर्मा ने पितृपक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। इस दौरान पितृ तर्पण विधान में वर्णित भीष्म पितामह के तर्पण श्लोक का वाचन कर सभी ने वंदन किया। आयोजन में पं. शेष नारायण पांडेय, अनुपम सिन्हा, त्रिभुवन पांडेय, अंजनी सिंह आदि मौजूद रहे।
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