बोले मुरादाबाद : झोंक रहे अपनी जान, फिर भी इज्जत न पहचान
Moradabad News - डिलीवरी ब्वॉय का काम आसान नहीं है। उन्हें सुबह-शाम, हर मौसम में काम करना पड़ता है। दिनभर काम करने पर भी मुश्किल से 500 रुपये मिलते हैं। पढ़ाई और परिवार की जिम्मेदारियों के कारण कई युवक मजबूरी में इस...
डिलीवरी ब्वॉय! यूं तो एक छोटा सा काम है लेकिन, इसके पीछे की मेहनत का आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। चाहे सुबह के आठ बजे हो या रात के दो बज रहे हो, डिलीवरी ब्वॉय आपका ऑर्डर लेकर दरवाजे के बाहर खड़े नजर आते हैं। फिर चाहे मौसम कितना खराब हो डिलीवरी ब्वॉय को ऑर्डर डिलीवर करना ही है। इस काम के पीछे छिपी उनकी परेशानियों को शायद ही किसी ने जाना हो। 20-20 रुपये कर दिनभर में उनकी लगभग पांच सौ रुपये की कमाई हो पाती है। हालांकि, ऑर्डर पिक करने के लिए उन्हें बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में जाना होता है लेकिन, रेस्टोरेंट स्वामियों के व्यवहार से भी डिलीवरी बॉय जूझ रहे हैं। कई रेस्टोरेंट्स ने डिलीवरी ब्वॉय की एंट्री तक बैन कर दी है। ऐसे में ठंड-बरसात में उन्हें बाहर खड़े होकर ही समय गुजारना पड़ता है।
गम हो या गुस्सा लेकिन, फोन पर वह बोलते हैं कि हैलो सर, आपका ऑर्डर पिक कर लिया है, कहां लेकर आना है, अच्छे से ही बात करेंगे। फोन पर ऑर्डर करने के बाद सभी डिलीवरी ब्वॉय से बात तो आपने भी की होगी। उनके द्वारा लाए गए फ्रेश ऑर्डर का स्वाद लेकर आनंद भी लिया होगा लेकिन डिलीवरी ब्वॉय इस काम को क्यों कर रहे हैं और उनकी क्या मजबूरियां हैं, इसका अंदाजा नहीं होगा। शहर में लगभग दो हजार से अधिक डिलीवरी ब्वॉय काम कर रहे हैं। जिनमें से कोई आठवीं पास है तो कोई अंग्रेजी में पीजी कर रहा है लेकिन, मन की नौकरी न मिलने पर वह मजबूरी में यह काम कर रहे हैं। करीब 12 घंटे से अधिक काम करने पर पांच सौ रुपये तक की कमाई हो पाती है। जिसमें से बाइक का खर्च और निकाल दें कुछ चंद ही रुपये बचते हैं। कुछ डिलीवरी ब्वॉय तो ऐसे भी हैं जो चालीस किमी का सफर तय करके शहर में आकर काम करते हैं और फिर रात को अपने गांव लौटते हैं। डिलीवरी ब्वॉय का काम करने वाले राजपाल बताते हैं कि रेस्टोरेंट से ऑर्डर पिक करने जाते हैं तो हमें बाहर ही रोक दिया जाता है। साथ ही उपभोक्ता भी कई बार फोन पर बदतमीजी से बात करते हैं। महीने भर में 10-12 हजार की कमाई ही हो पाती है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई कराना भी डिलीवरी ब्वॉय के लिए चुनौती है।
तीज त्योहारों पर भी करते हैं काम, नहीं मिलता आराम: डिलीवरी ब्वॉय की मजबूरी कहें या जिम्मेदारियों का बोझ ये उन्हें तीज त्योहारों पर भी आराम नहीं करने देतीं। वे तीज त्योहारों पर भी अपने परिवार के भरण पोषण के लिए काम करते रहते हैं। उन्हें इस बात की भी फिक्र रहती है कि जल्दी से काम निबटा कर अपने परिवार के बीच पहुंच जाएं और उनके साथ त्योहारों की खुशियां मनाएं लेकिन उनकी मजबूरियां इससे कहीं बड़ी हैं। वे भी इंसान हैं उन्हें भी आराम करने का हक है लेकिन मजबूरियां और जिम्मेदारियां उन्हें आराम न करने पर विवश कर देती हैं। जिस कारण उन्हें आराम नहीं मिल पाता और वे प्रत्येक दिन अपने काम पर जाने को विवश रहते हैं।
परिवार और पढ़ाई की मजबूरियों ने संजय को बना दिया डिलीवरी ब्वॉय
इकलौते बेटे होने का फर्ज संजय रावत बखूबी निभा रहे हैं। लाइनपार निवासी चौबीस वर्षीय संजय डिलीवरी ब्वॉय का काम कर रहे हैं। यह काम करते हुए उन्हें काफी महीने बीत चुके हैं। काम करने का कारण है परिवार में इकलौता बेटा होना। पिता लाकड़ी स्थित फर्म में काम करते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी कि संजय आगे की पढ़ाई कर पाएं लेकिन, संजय को पढ़ाई भी करनी थी। ऐसे में संजय ने डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी शुरू कर दी। वे हिंदू कॉलेज से अंग्रेजी से एमए कर रहे हैं। संजय ने बताया कि पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी की है। काम करने के साथ रुपये मिल जाते हैं जिससे पढ़ाई तो हो ही रही है। परिवार का सहयोग कर रहे हैं। इसी प्रकार मूंढापांडे निवासी वीरपाल सिंह एमए, बीएड, बीटीसी और पांच बार टेट पास कर चुके हैं। वीरपाल ने बताया कि उन्होंने शिक्षक के लिए कई बार फार्म भरा लेकिन उनका हर बार मेरिट में वह छंट जाते हैं। बीच में उन्होंने अन्य नौकरियां भी कीं लेकिन, बीते दो साल से डिलीवरी ब्वॉय का काम कर रहे हैं। ऐसे ही शहर के कई युवक पार्टटाइम डिलीवरी ब्वॉय का काम कर रहे हैं।
फैक्ट्रियों में नहीं करना था काम, बने डिलीवरी ब्वॉय
मुरादाबाद, कार्यालय संवाददाता। निर्यात का काम अधिक होने के कारण शहर में कई फैक्ट्रियां हैं। फर्म में लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। एक बड़ा तबका अपना परिवार फर्म की नौकरी करके कर चला रहा है। लेकिन फैक्ट्रियों की बंदिश और शिफ्ट्स से परेशान कुछ व्यक्तियों ने डिलीवरी ब्वॉय बनने का निर्णय ले लिया। जिससे वह समय मिलने पर अपने परिवार के साथ समय भी बिता लेते हैं।
जिंदगी का एक पड़ाव आता है जहां आपको परिवार चलाने के लिए रोजगार की जरूरत पड़ती है। रोजगार आपको परिपक्व तो बनाता ही है साथ में जिंदगी जीने का सलीका और नए-नए अनुभव भी देता है। शहर में डिलीवरी ब्वॉय का काम करने वालों की संख्या दो हजार से अधिक है। इसमें कुछ युवक ऐसे हैं जो चालीस किमी का सफर तय करके शहर में आकर यह काम कर रहे हैं तो कोई मजबूरियों में डिलीवरी ब्वॉय का काम कर रहा है। परिवार के खातिर और उनको अच्छी परवरिश देने के लिए हर प्रयास डिलीवरी ब्वॉय कर रहे हैं। परिवार के साथ समय गुजारने के लिए बहुत से ऐसे डिलीवरी ब्वॉय हैं जिन्होंने फैक्ट्रियों की नौकरी छोड़कर यह काम चुना। लाइनपार निवासी सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि वह पहले फैक्ट्री में काम किया करते थे। लेकिन वहां काम के लिए सुबह आठ बजे ही पहुंच जाना पड़ता था। और शाम को घर वापिस आने में कितना समय लग जाए इसका कुछ पता नहीं होता था। ऐसे में परिवार को समय देना मुश्किल हो रहा था। डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी में आमदनी भले ही कम है लेकिन काम को लेकर कोई दिक्कत नहीं है।
कमाई कम फिर भी हमेशा ज्यादा दौड़ लगाने को रहते हैं तैयार
सोशल मीडिया पर अकसर डिलीवरी ब्वॉय का किरदार दिखाया जाता है। जिसमें उनके पास स्पोर्ट्स बाइक और महंगा फोन दिखाया जाता है लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है। डिलीवरी ब्वॉय को 5-10 रुपये प्रति किमी के अनुसार भुगतान मिलता है। हितेश ने बताया कि दिनभर बाइक से इधर-उधर जाने के बाद एक दिन में लगभग पांच सौ रुपये की कमाई हो पाती है।
सिर्फ त्योहारों पर मिलता इनसेंटिव
कई प्रदेश व जिलों में इनसेंटिव प्रत्येक सप्ताह दिया जाता है लेकिन, मुरादाबाद में इनसेंटिव महज त्योहारों पर काम करने पर ही मिलता है। पुराने डिलीवरी ब्वॉय को छोटी-छोटी डिलीवरी असाइन की जाती है तो नए डिलीवरी ब्वॉय को बड़े भुगतान वाली डिलीवरी दी जाती है। शहर में लगभग दो हजार से अधिक डिलीवरी ब्वॉय काम कर रहे हैं।
सुझाव
1. डिलीवरी ब्वॉय की अगर सैलेरी निर्धारित हो जाए तो इससे काफी राहत मिल सकती है।
2. बढ़ते जाम से निजात मिले तो भी ईंधन का खर्च कम हो जाएगा समय भी कम लगेगा।
3. बीमा की गारंटी हो जाए तो खुद का इलाज करवाने को लेकर तनाव भी नहीं रहेगा।
4. कुछ जगह चार्जिंग प्वाइंट दिए जाने चाहिए, कई बार फोन की बैटरी डिचार्ज हो जाती है।
5. डिलीवरी ब्वॉय की यूनियन होनी चाहिए, जिससे कोई समस्या होने पर एकजुट हो सकें।
6. उपभोक्ताओं का स्वभाव अच्छा होना चाहिए, हम उन्हीं के लिए ऑर्डर लेकर आते हैं।
7. हमारा मेहनताना कम है इसे बढ़ाया जाना चाहिए, जिससे इसका लाभ हमें मिल सके।
8. हमें अपने काम के प्रति लोगों को प्रेरित करना चाहिए जिससे हमारा उत्साह बना रहे।
शिकायतें
1. डिलीवरी ब्वॉय के काम में निर्धारित सैलेरी नहीं है। प्रतिकिमी के हिसाब से कंपनियां भुगतान करती हैं।
2. शहर में कई बार जाम लगा होता है ऐसे में हम अगर रूट बदलकर लोकेशन पर जाते हैं तो हमारे मेहनताने में कटौती कर दी जाती है।
3. कई बार कुछ साथियों के साथ हादसा हो गया है, लेकिन उनको कंपनी की ओर से कोई सहायता नहीं दी गई।
4. रेस्टोरेंट्स में डिलीवरी ब्वॉय को अंदर नहीं जाने दिया जाता, बारिश-ठंडी में भी बाहर ही खड़े होकर इंतजार करना पड़ता है।
5. इंश्योरेंस नहीं होने से बीमारी में भी इलाज की गारंटी नहीं है, हमारी आईडी डिसेबल कर दी जाती है।
6. रात में डिलीवरी के दौरान की बार पुलिस कर्मियों से भी परेशानी का सामाना करना पड़ता है।
हमारी भी सुनें
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इस नौकरी में कमाई कम है। दिनभर मेहनत करने पर सिर्फ 500 रुपये ही मिल पाते हैं। परिवार का पालन-पोषण चुनौतीपूर्ण है।
-सोनू सिंह
बिलारी से रोजाना शहर में आता हूं। यहां आकर डिलीवरी ब्वॉय का काम करता हूं। कई बार दिनभर एक या दो ही ऑर्डर मिल पाते हैं।
-राहुल
एक तनख्वाह निर्धारित हो जाए तो आराम हो। अब कई बार ऑर्डर नहीं मिल पाते हैं। डिलीवरी ब्वॉय की संख्या ि बढ़ ही रही है।
-रचित
40 किमी का सफर तय कर यहां आता हूं। रास्ते में हादसा हो जाए तो कंपनी की ओर से इंश्योरेंस की सुविधा नहीं है।
-संजीव यादव
एमए-बीएड करके डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी कर रहा हूं। रेस्टोरेंट्स संचालकों द्वारा किया जा रहा व्यवहार काफी गलत है। ऐसा नहीं करना चाहिए।
-वीरपाल सिंह
कभी जाम लगा होता है तो डिलीवरी करने में देरी हो जाती है। उससे हमारे काम पर प्रभाव पड़ता है और ऑर्डर कम मिलते हैं। जिससे हमारा नुकसान हो जाता है।
-गौरव
किसी साथी की मृत्यु हो जाने पर यदि उसके परिवार इंश्योरेंस क्लेम करते हैं तो उसकी आईडी डिसेबल कर दी जाती है। जिससे मुआवजा नहीं मिल पाता।
-रवि कुमार
देर रात कई बार फोन की बैटरी खत्म हो जाती है। मोबाइल चार्ज करने के लिए फिर घर जाना पड़ता है। कुछ जगह मोबाइल चार्जिंग के प्वाइंट देने चाहिए।
-कुलदीप सिंह
डिलीवरी ब्वॉय के काम के साथ पढ़ाई कर रहा हूं। यदि कहीं और काम करता तो पढ़ाई प्रभावित हो सकती थी। हालांकि डिलीवरी ब्वॉय के काम में कोई जॉब सिक्योरिटी नहीं है।
-संजय रावत
काम पहले के मुकाबले कम हो गया है और राइडर दिन प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। जिसके कारण कई बार दिनभर ऑर्डर ही नहीं मिल पाता है।
-अर्श
डिलीवरी के रुपये पहले के मुकाबले और कम हो गए हैं। साथ ही अब जो रुपये दिए जाते हैं वो प्रति किमी के हिसाब से दिए जाते हैं, जिससे ज्यादा कमाई नहीं होती।
-सोनू शर्मा
रात में कई बार दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है। कभी पुलिस की ओर से भी दुर्व्यवहार किया जाता है। तो कभी बाइक खराब होने पर भटकना पड़ता है।
-रवि
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