BSP में फिर हो सकता है उलटफेर, भाई-भतीजे पर एक्शन के बाद मायावती की अब यह तैयारी
मायावती की बसपा में एक और उलटफेर की संभावना जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि भतीजे आकाश आनंद पर एक्शन के बाद मायावती उनके खिलाफ आई शिकायतों का दूसरे स्तर से पड़ताल भी करा रही हैं।

मायावती की बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा में अंदरखाने में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मायावती ने जिस फीडबैक के आधार पर भतीजे आकाश आनंद को सभी पदों से हटाया और पार्टी से निकाला है, उसकी पड़ताल अब दूसरे स्तर से भी कराई जा रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि उन्हें जो भी सूचनाएं मिली हैं, उसमें कितनी सच्चाई है। इसमें किसी तरह की गड़बड़ी मिलने पर पार्टी के अंदर फिर उलटफेर हो सकता है। कुछ बड़े पुराने नेताओं के पर कतरे जा सकते हैं तो कुछ को पार्टी से निकाला भी जा सकता है।
मायावती ने तीन दिन में ही भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर के पद से मुक्त कर सहारनपुर के रणधीर बेनीवाल को यह जिम्मेदारी दी है। अब रामजी गौतम व रणधीर बेनीवाल बसपा के राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर होंगे और दोनों सीधे मायावती के निर्देश पर काम करते हुए उन्हें रिपोर्ट करेंगे।
काफी लंबे समय से निस्वार्थ सेवा व समर्पण के साथ कार्यरत राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार को अभी हाल ही में राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर बनाया गया था। मायावती ने कहा कि इस प्रकार अब रामजी गौतम और रणधीर बेनीवाल ये दोनों बसपा के राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर रहेंगे। यह सीधे तौर पर मायावती के दिशा-निर्देशन में देश के विभिन्न राज्यों की जिम्मेदारियों को संभालेंगे। पार्टी को उम्मीद है कि ये लोग पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ काम करेंगे।
बसपा सुप्रीमो ने 2 मार्च को लखनऊ में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर के साथ ही अपने उत्तराधिकारी से हटा दिया था। उनके स्थान पर आकाश के पिता आनंद कुमार के साथ रामजी गौतम को राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर बनाने की घोषणा की गई, लेकिन तीन दिन में ही भाई को भी इस जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है।
बेटे का पद नहीं रखना चाहते पिता
पार्टी सूत्रों का कहना है कि आनंद कुमार बेटे आकाश आनंद से पद लेकर अपने पास नहीं रखना चाहते थे। इसको लेकर परिवार में तनाव का माहौल बना हुआ है। इसके साथ ही आनंद की सेहत ठीक नहीं रहती है। उन्होंने स्वयं इसीलिए राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर के पद से हटाने का अनुरोध मायावती से किया, क्योंकि खराब सेहत के चलते वह राज्यों का दौरा लगातार नहीं कर सकते हैं। इसीलिए वह अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निर्वहन नहीं कर सकते थे। माना जा रहा है कि मायावती ने इसीलिए उन्हें इस पद से मुक्त कर दिया है।