बोले मथुरा-गणेशरा में असुविधाओं से जूझ रहे हैं जूडो के खिलाड़ी
Mathura News - बोले मथुरा-बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जा रहा है। बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जा रहा है। बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की बात भी की जा रही है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए बेटियों को आत्मरक्षा के गुण भी सिखाए जा रहे हैं। जिससे वो जरूरत पड़ने पर अपनी हिफाजत भी कर सकें। इसके लिए उनको जूडो कराटे सिखाने पर भी जोर दिया जा रहा है। जिले के एकमात्र गणेशरा स्टेडियम में बेटियां जूडो सीख भी रही हैं लेकिन स्टेडियम में सुविधाओं के अभाव के कारण उनको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्टेडियम में जूडो के लिए अलग से हॉल तो बना हुआ है लेकिन वहां अव्यवस्थाएं हैं।
खिलाड़ी भय के माहौल में जूडो सीख रहे हैं। थुरा में हुनर की कहीं कमी नहीं है। कई खिलाड़ी भी हैं जो लक्ष्य पाने के लिए पसीना बहा रहे हैं। लेकिन उनकी यह मेहनत वो करिश्मा नहीं कर पा रही, जिसकी उन्हें आवश्यकता है। अधिकतर की शिकायत है कि पर्याप्त सुविधाएं न मिलने से वे निराश हैं। जिले के एकमात्र गणेशरा स्टेडियम में जूडो कराटे सीखने के लिए 20 से अधिक खिलाड़ी प्रतिदिन जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। इसमें छात्राओं की संख्या सबसे अधिक है। लेकिन उनको पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। उनका कहना है कि स्टेडियम में जूडो के लिए अलग से हॉल तो बना हुआ है लेकिन हॉल में अव्यवस्थाएं हैं। खिलाड़ियों ने बताया कि केवल खानापूर्ति के लिए उनको जूडो सीखने के लिए स्टेडियम में हॉल दिया गया है। जिस मैट पर बच्चे जूडो सीख रहे हैं। वह फटे हुए हैं। आएदिन बच्चे चोटिल होते रहते हैं और उनको मोच लग जाती है। इसके अलावा हॉल की सीलिंग जगह-जगह से टूटी हुई है और गिरासू हालत में हैं। बीते दिनों भी सीलिंग का एक हिस्सा गिर गया था। भगवान का शुक्र है कि बच्चों को कोई हानि नहीं हुई। हॉल में एसी की भी व्यवस्था नहीं है। पंखे लगे हैं, तो कई पंखे या तो चल नहीं रहे और जो चल रहे हैं, वे इतनी धीमी गति से चल रहे हैं, कि उनका चलना या ना चलना एक बराबर है। इस समय भीषण गर्मी है। ऐसे में बच्चों को जूडो सीखने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हॉल में एग्जास्ट लगे हुए हैं, उनकी स्थिति भी पंखों के जैसी हो रही है। वे भी कई खराब हैं। सुविधा मिले तो करें नाम रोशन:जूडो के खिलाड़ियों के लिए बहुत असुविधाजनक माहौल है। हालांकि कोच खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा रहे हैं। लेकिन वो भी ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। यही वजह है कि अच्छे खिलाड़ी मैदान से दूरी बना लेते हैं। अच्छी प्रतिभाएं भी गुमनामी के अंधेरे में खो जाती हैं। युवा खिलाड़ी कहते हैं कि उन्हें पर्याप्त सुविधाएं मिलनी चाहिए। जिससे वह अपनी प्रतिभा को निखार पाएं और परिवार तथा कोच का नाम रोशन कर सकें। जिले में आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिताओं को पारदर्शिता लाए जाने की जरूरत है। खिलाड़ियों के चयन में पारदर्शिता रहेगी तो इसका फायदा देश और प्रदेश को मिलेगा। -प्रवेश कुमारी जूडो कराटे सीखने से हमें आत्मरक्षा के गुण भी सीखने को मिलते हैं। इससे न सिर्फ हम शारीरिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। बल्कि किसी भी परिस्थिति से निपटने की हिम्मत मिलती है। -ईशा जिले में हर छह महीने में ओपन प्रतियोगिताएं कराए जाने की जरूरत है। इससे खिलाड़ियों को अपना हुनर साबित करने का मौका मिलेगा। वह अपनी कमियों को समझकर उन्हें दूर कर पाएंगे। -तमन्ना हम काफी समय से जूडो कराटे खेल में दक्षता के लिए प्रेक्टिस कर रहे हैं। कोच का सहयोग मिलता है। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को भी हमारी मदद के लिए आगे आना चाहिए। -अनुष्का क्रिकेट को जितनी तबज्जो दी जाती है। उतनी ही तबज्जो अन्य खेलों को भी दिए जाने की जरूरत है। इससे खिलाड़ियों को बहुत फायदा मिलेगा। ओलंपिक में पदकों की संख्या में इजाफा होगा। -निर्मला स्टेडियम में प्रेक्टिस करने को पर्याप्त संसाधन उपल्ब्ध कराए जाने की जरूरत है। स्टेडियम के जिस हॉल में जूडो का प्रशिक्षण दिया जाता है। उस हॉल में सुधार की आवश्यकता है। -राधा
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