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Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Maneka Gandhi reached Supreme Court against Sultanpur MP Ram Bhual Nishad accused hiding case affidavit

सुलतानपुर सांसद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची मेनका गांधी, शपथ पत्र में केस छिपाने का आरोप

  • यूपी सरकार में पूर्व मंत्री और सुलतानपुर से सपा सांसद राम भुआल निषाद पर नामांकन में दिए गए शपथपत्र में केस छुपाने का आरोप लगाते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, सुलतानपुरWed, 18 Sep 2024 05:40 PM
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यूपी सरकार में पूर्व मंत्री और सुलतानपुर से सपा सांसद राम भुआल निषाद पर नामांकन में दिए गए शपथपत्र में केस छुपाने का आरोप लगाते हुए पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। अदालत 20 सितंबर को केस की सुनवाई करेगी। इससे पूर्व अगस्त माह में हाईकोर्ट में टाइम बार्ड के चलते रिट खरिज को गई थी।

27 जुलाई को हाईकोर्ट इलाहबाद की लखनऊ खंडपीठ में भाजपा नेता मेनका गांधी ने याचिका दी थी। इसमें 5 अगस्त की तिथि नियत हुई थी। याचिका में मेनका गांधी ने बताया था कि रामभुआल निषाद के खिलाफ 12 आपराधिक मामले लंबित हैं। उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में सिर्फ 8 का ही जिक्र किया है। आपराधिक मामले को छिपाने के काम को भ्रष्ट आचरण करार देते हुए उनका निर्वाचन खारिज करने की मांग की थी। कोर्ट ने 14 अगस्त को मेनका की याचिका को खारिज करके उन्हें बड़ा झटका दे दिया था। इस फैसले से सपा खेमे ने काफी राहत की सांस ली थी।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मेनका की याचिका समय सीमा से बाधित थी। कोर्ट ने याचिका को समय सीमा के उल्लंघन और जनप्रतिनिधित्व ऐक्ट की धारा 81 और 86 के खिलाफ माना था। यह जनप्रतिनिधित्व एक्ट 1951 के तहत दी गई समय सीमा 45 दिन से सात दिन बाद दायर की गई थी। ऐसे में याचिका को खारिज की थी।

हाईकोर्ट में केस की सुनवाई जस्टिस राजन रॉयक की एकल पीठ ने की और मेनका की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलीलें पेश की थीं। 4 जून 2024 को घोषित नतीजों में सपा के राम भुआल निषाद ने मेनका गांधी को हरा दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में मेनका ने आरोप लगाया है कि निषाद ने नामांकन करते हुए दाखिल हलफनामे में अपने खिलाफ दर्ज 12 मुकदमों में चार की जानकारी नहीं दी है। मेनका ने अलग से एक याचिका दाखिल कर जनप्रतिनिधित्व कानून के उस प्रावधान को भी चुनौती दी है, जिसमें इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने की समयसीमा का भी उल्लेख किया गया है।

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