महाकुंभ में गंगा, जमुना, कुंभ के बाद 12वें बच्चे कुंभ-2 का जन्म, सभी की हुई है नार्मल डिलेवरी
महाकुंभ में 12वें बच्चे का जन्म हुआ है। पहले जन्मे एक बच्चे का नाम कुंभ रखा जा चुका है। ऐसे में इस बच्चे का नाम कुंभ 2 रखा गया है। जिस महिला को डिलेवरी हुई है उनकी सास मेला क्षेत्र में कल्पवास कर रही हैं। अभी तक जन्में सभी बच्चों की डिलेवरी नार्मल हुई है।
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महाकुंभ क्षेत्र में बने सेंट्रल हॉस्पिटल में 12वें बच्चे का जन्म हुआ है। यहां पैदा होने वाले बच्चों के माता-पिता में से किसी ने अपने बच्चे का नाम गंगा, किसी ने जमुना, किसी ने भोले नाथ तो किसी ने बजरंगी रखा है। कल्पवास कर रही महिला की बहू ने 12वें बच्चे को जन्म दिया है। सेक्टर दो स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल की मैटर्न रमा सिंह ने बताया कि कल रात में ही फूलपुर तहसील के सराय चंडी से आई नेहा सिंह ने एक बेटे को जन्म दिया और बेटे के पिता दीपक अपने बेटे का नाम कुंभ रखने पर अड़े हैं। हमने कहा कि कुंभ नाम 29 दिसंबर को जन्मे एक बच्चे का पहले ही रखा जा चुका है। हमने इस बच्चे को कुंभ-2 नाम दिया है। अभी तक जन्में सभी बच्चों की डिलेवरी नार्मल हुई है।
बेटे के पिता दीपक ने बताया, “मैं हरियाणा में नौकरी करता हूं और सेक्टर 18 में मेरी मां कल्पवास कर रही हैं। उनकी सेवा के लिए मैं छुट्टी लेकर अपनी पत्नी नेहा के साथ यहां आया था। कल रात प्रसव पीड़ा उठने पर मैंने एंबुलेंस को फोन लगाया और पत्नी को सेंट्रल हॉस्पिटल लाया जहां रात करीब दो बजे उसने एक लड़के को जन्म दिया।” दीपक ने कहा, “भले ही अस्पताल वाले मेरे बेटे का नाम कुंभ नहीं रख रहे हैं, मैं उसका नाम कुंभ ही रखूंगा क्योंकि वह इस महाकुंभ में पैदा हुआ है।”
रमा सिंह ने बताया कि बसंत पंचमी को रात में एक महिला ने बेटे को जन्म दिया जिसका नाम बसंत रखा गया। वहीं, इसी स्नान पर्व पर एक महिला ने बेटी को जन्म दिया जिसका नाम बसंती रखा गया। सेंट्रल हॉस्पिटल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर मनोज कौशिक ने बताया कि सेंट्रल हॉस्पिटल में अभी तक कुल 12 बच्चों का जन्म हो चुका है। सभी प्रसव सामान्य तरीके से कराए गए। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों जैसे जहांगीराबाद (बाराबंकी), चित्रकूट, कौशांबी और कई प्रदेशों जैसे झारखंड, मध्य प्रदेश आदि की महिलाओं का प्रसव कराया गया। रमा सिंह बताया कि प्रसव उपरांत ज्यादातर लोग जल्दी छुट्टी मांगते हैं, लेकिन हमें 24 घंटे तक प्रसूती को निगरानी में रखना पड़ता है जिसके बाद ही हम छुट्टी देते हैं।
उन्होंने बताया कि बहुत सी महिलाएं प्रसव की तिथि नजदीक होने के बावजूद मेले में इस आस्था के साथ आती हैं कि कुंभ मेले में जन्मा बच्चा भाग्यशाली होगा। रमा सिंह ने बताया कि एक महिला मध्य प्रदेश के ग्वालियर से आई थी और जैसे ही वह घाट पर स्नान के लिए पहुंची, उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई और परिजनों ने तत्काल एंबुलेंस को फोन कर इसकी जानकारी दी। महिला ने अस्पताल में बेटी को जन्म दिया और बच्ची का नाम सरस्वती रखा गया।
उन्होंने बताया कि इसी तरह यहां पैदा हुए बच्चों के नाम भोले नाथ, गंगा, जमुना, सरस्वती, नंदी आदि रखे गए हैं। महाकुंभ नगर में सेक्टर 2 स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल उन 13 अस्पतालों में से एक है जिन्हें महाकुंभ मेला आने वाले श्रद्धालुओं की जरूरतें पूरी करने के लिए स्थापित किया गया है।
महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू हुआ लेकिन लोग यहां दिसंबर, 2024 से ही जुटना शुरू हो गए थे। इस अस्पताल में पहला प्रसव कौशांबी से आई महिला सोनम का 29 दिसंबर को हुआ जिसने एक बेटे को जन्म दिया और बच्चे का नाम कुंभ रखा गया। प्रसव उपरांत प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने इस परिवार को बधाई दी थी।