पूरी दुनिया को एकजुटता का संदेश दे रहा महाकुंभ, UAE की मुस्लिम महिला ने की योगी सरकार की तारीफ
- महाकुंभ में दिन पर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। देश ही नहीं विदेशी से भी महाकुंभ में स्नान करने के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। गुरुवार को 10 देशों के 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने महाकुंभ का भ्रमण किया और यहां की व्यवस्था का जायजा लिया।
महाकुंभ में दिन पर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। देश ही नहीं विदेशों से भी महाकुंभ में स्नान करने के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। गुरुवार को 10 देशों के 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने महाकुंभ का भ्रमण किया और यहां की व्यवस्था का जायजा लिया। इसके अलावा इन विदेशी दलों ने अखाड़ों का भी दौरा किया, फिर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। प्रतिनिधियों ने न केवल महाकुंभ के धार्मिक महत्व को समझा, बल्कि भारतीय संस्कृति के असाधारण तत्वों का भी अनुभव किया। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम के लिए किए गए भव्य इंतजामों के लिए अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों ने यूपी सरकार की जमकर तारीफ भी की।
महाकुम्भ में आए 21 सदस्यीय विदेशी दल की इकलौती मुस्लिम महिला सदस्य संयु्क्त अरब अमीरात की सैली एल अज़ाब ने ये विचार संगम क्षेत्र की आभा देखने के बाद व्यक्त किए। सैली कहती हैं, मैं मध्य पूर्व से भारत आई हूं...यह एक अद्भुत आयोजन है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है...यहां, सब कुछ दूसरे स्तर पर अच्छी तरह से व्यवस्थित है। पुलिस सुरक्षा के लिए सरकार ने बहुत अच्छी व्यवस्था की है...। प्रयागराज में 144 साल बाद महाकुम्भ के आयोजन पर सैली ने कुम्भ का इतिहास बता दिया।
उन्होंने 12 साल बाद कुम्भ छह साल बाद अर्द्धकुम्भ और भारत में इसके चार जगह आयोजन की बात कही। सैली कहती हैं, इस तरह का आयोजन तो कभी देखा नहीं। कहीं इतना बड़ा आयोजन होता तो कुछ नहीं कह सकते, लेकिन यहां की व्यवस्था ने आश्चर्य में डाल दिया है। यहां आने के बाद भी घर में होने का अहसास हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक महीने में 40 करोड़ लोग आएंगे। यहां के शानदार आयोजन और अकल्पनीय व्यवस्था के बारे में अपने देश के लोगों को बताएंगी। यहां की एकता से पूरी दुनिया को सीख लेनी चाहिए।
भारतीय धार्मिक पंपराओं के प्रति की प्रशंसा
अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल ने कुंभ मेले के दौरान ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जाना। संतों ने महाकुंभ की प्राचीन परंपराओं, अखाड़ों की भूमिका और भारतीय संस्कृति की महिमा के बारे में जानकारी साझा की। अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि संतों की शिक्षाओं से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने भारतीय धार्मिक परंपराओं के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की। प्रतिनिधियों के इस समागम ने दुनिया को एक शक्तिशाली संदेश दिया, जिसमें दिखाया गया कि विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग सद्भाव में एक साथ आ सकते हैं। बयान में कहा गया है कि इसमें फिजी, फिनलैंड, गुयाना, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, त्रिनिदाद और टोबैगो और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के प्रतिनिधि शामिल थे। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यात्रा के दौरान भारतीय संस्कृति की विविधता और धर्म में एकता का अनुभव किया। वे प्रदर्शित संस्कृति और परंपराओं से बहुत प्रभावित हुए हैं। उनके लिए यह यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुभव थी, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बनने का एक अनमोल अवसर भी थी।