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आईजीआरएस पोर्टल पर मिलीं शिकायतों के निस्तारण से लखनऊ विकास प्राधिकरण से 85% लोग नाखुश

  • शिकायतों के निस्तारण से लखनऊ विकास प्राधिकरण से 85 प्रतिशत लोग नाखुश हैं। आईजीआरएस पोर्टल की शिकायतों के निस्तारण में खानापूर्ति हो रही है। कहा गया है कि शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेते और झूठी रिपोर्ट लगाकर उसे निस्तारित बता दिया जाता है।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, शैलेंद्र श्रीवास्तव, लखनऊMon, 6 Jan 2025 07:19 AM
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लखनऊ विकास प्राधिकरणों द्वारा शिकायतों के किए जा रहे निस्तारण से 85 फीसदी लोग नाखुश बताए जा रहे हैं। लोगों का मानना है कि विकास प्राधिकरण शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेते हैं और झूठी रिपोर्ट लगाकर उसे निस्तारित बता दिया जाता है। शासन स्तर पर हुई बैठक में यह जानकारी मिली है। प्रमुख सचिव आवास पी. गुरुप्रसाद की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर चिंता जताई गई है और विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया गया है कि वे शिकायतों के निस्तारण को गंभीरता बरतें।

मुख्यमंत्री द्वारा लोगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए आईजीआरएस पोर्टल शुरू करवाया गया है। इस पर आने वाली शिकायतों की समीक्षा उच्च स्तर पर की जाती है। यह माना जाता है कि इस पोर्टल पर शिकायत का सही तरीके से निस्तारण होगा और पीड़ितों को न्याय मिलेगा। विकास प्राधिकरणों की कार्यप्रणाली से काफी लोग पीड़ित रहते हैं। मकान हो या भूखंड पर कब्जा पाना, रजिस्ट्री के लिए बार-बार दौड़ाना, अपनी ही जमीन से अवैध कब्जा हटवाने की शिकायतें तो आम हैं।

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आवास एवं शहरी नियोजन विभाग का स्पष्ट आदेश है कि लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए हर सप्ताह जनता अदालत लगाएं और इसमें आने वाली समस्याओं का जल्द निस्तारण किया जाए। यह भी पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहा है। शासन स्तर पर पिछले दिनों आईजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त होने वाली शिकायतों और उसके निस्तारण को लेकर प्रदेश भर के विकास प्राधिकरणों के कार्यप्रणाली की समीक्षा की गई।

इसमें पाया गया कि शिकायतों के निस्तारण में 85 फीसदी फीड बैक असंतुष्ट श्रेणी का पाया गया है। इस संबंध में विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया गया है कि आईजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त शिकायतों के निस्तारण की गुणवत्ता पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए। मुख्य कार्यपालक अधिकारियों द्वारा शिकायतकर्ताओं से फोन पर बातचीत कर शिकायतों के निस्तारण की गुणवत्ता की रैंडम जांच भी की जाए।

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