Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Leaving one s life partner without proper reason is cruelty High Court ordered maintenance allowance of Rs 5 lakh

बिना उचित कारण जीवन साथी को छोड़ना क्रूरता, हाईकोर्ट ने पांच लाख गुजारा भत्ता का दिया आदेश

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अपने जीवन साथी को बिना किसी उचित कारण के छोड़ देना और लंबे समय तक साथ में नहीं रहना क्रूरता है। हिंदू विवाह अधिनियम में विवाह एक संस्कार है, ना कि सामाजिक अनुबंध। ऐसे में जीवनसाथी को बिना किसी उचित कारण के छोड़ना संस्कार की आत्मा और भावना को खत्म करना है।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, प्रयागराज संवाददाताMon, 26 Aug 2024 02:51 PM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अपने जीवन साथी को बिना किसी उचित कारण के छोड़ देना और लंबे समय तक साथ में नहीं रहना क्रूरता है। हिंदू विवाह अधिनियम में विवाह एक संस्कार है, ना कि सामाजिक अनुबंध। ऐसे में जीवनसाथी को बिना किसी उचित कारण के छोड़ना संस्कार की आत्मा और भावना को खत्म करना है। यह जीवनसाथी के प्रति क्रूरता है। न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की पीठ ने 23 साल से अपने पति से अलग रह रही अभिलाषा की अपील पर सुनवाई करते हुए तलाक को बरकरार रखा। इसके साथ ही गुजारा भत्ता के लिए पांच लाख रुपये देने का आदेश दिया।

झांसी निवासी अभिलाषा श्रोती की शादी राजेंद्र प्रसाद श्रोती के साथ 1989 में हुई। 1991 में उन्हें एक बच्चा हुआ। पति-पत्नी शादी के कुछ साल बाद अलग हो गए। हालांकि, कुछ समय के लिए फिर से साथ रहने लगे। अंततः 2001 में वे फिर से अलग हो गए और तब से अलग-अलग रह रहे हैं।

पति ने पारिवारिक न्यायालय, झांसी में तलाक के लिए वाद दाखिल किया। मानसिक क्रूरता के आधार पर 19 दिसंबर 1996 को परिवार न्यायालय ने तलाक को मंजूरी दे दी। इस आदेश के खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच विवाह सम्बन्ध कभी ठीक नहीं रहा। दोनों पक्षकारों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई तरह के आरोप लगाए।

पति ने पत्नी के खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाते हुए कहा कि पत्नी के क्रूर व्यवहार के कारण उसकी मां ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या के बाद दोनों पक्ष अलग हो गए और 23 साल से अलग रह रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि पति या पत्नी द्वारा बिना किसी भी उचित कारण के कई वर्षों तक एक-दूसरे से अलग रहना क्रूरता है। कोर्ट ने तलाक के आदेश बरकरार रखते हुए पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में 5 लाख रुपये देने का आदेश दिया।

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