Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़landlord was entangled in litigation for 40 years the high court imposed a fine of rs 15 lakh on the tenant

मकान मालिक को 40 साल तक मुकदमे में उलझाए रखा, हाई कोर्ट ने किराएदार पर लगाया 15 लाख जुर्माना

  • हाई कोर्ट ने 30 साल पुरानी एक याचिका खारिज करते हुए किराएदार पर 15 लाख रुपये हर्जाना लगाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने लखनऊ के डीएम को निर्देश दिया है कि यदि 2 महीने में रकम जमा नहीं की जाती है तो वे इसकी वसूली करवाएं।

Ajay Singh विधि संवाददाता, लखनऊTue, 8 April 2025 06:45 AM
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मकान मालिक को 40 साल तक मुकदमे में उलझाए रखा, हाई कोर्ट ने किराएदार पर लगाया 15 लाख जुर्माना

मकान मालिक और किराएदार के बीच विवाद की स्थिति में अक्‍सर सालों कानूनी प्रक्रिया चलती रहती थी। कई बार भविष्‍य में आ सकने वाली ऐसी ही दिक्‍कतों से घबड़ाकर मकान मालिक मकान या दुकान किराए पर देने से कतराते भी हैं लेकिन ऐसे ही एक विवाद में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का एक ऐसा फैसला आया है जो मिसाल बन सकता है। हाई कोर्ट ने 30 साल पुरानी एक याचिका खारिज करते हुए किराएदार पर 15 लाख रुपये हर्जाना लगाया है। इसके साथ ही कोर्ट ने लखनऊ के डीएम को निर्देश दिया है कि यदि दो महीने में रकम जमा नहीं की जाती है तो वे इसकी वसूली करवाएं।

इसके साथ ही अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि किराएदार ने 1979 से किराया नहीं दिया और 1981 में जब सम्पत्ति की स्वामिनी ने बेटे के लिए व्यवसाय शुरू करने के मकसद से खाली करने को कहा तो सम्पत्ति को मुकदमों में उलझा दिया। अदालत ने कहा कि इस तरह करीब 40 सालों तक एक पूरी पीढ़ी को अधिकारों से वंचित कर दिया गया।

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यह निर्णय न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने किराएदार वोहरा ब्रदर्स की याचिका खारिज करते हुए दिया। न्यायालय ने लखनऊ के डीएम को भी आदेश दिया है कि हर्जाने की रकम दो महीने में नहीं जमा की जाती है तो वह वसूली करवाएं। प्रतिवादी के अधिवक्ता गौरव मेहरोत्रा की दलील थी कि विवाद वर्ष 1982 में शुरू हुआ, जब स्वामिनी कस्तूरी देवी ने फैजाबाद रोड पर स्थित सम्पत्ति खाली करने को याची से कहा पर याची ने इंकार कर दिया।

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उन्होंने सम्बंधित प्राधिकारी के समक्ष रिलीज प्रार्थना पत्र दिया, जो 1992 में खारिज हो गया। तब वोहरा ब्रदर्स सम्पत्ति का 187.50 रुपये किराया दे रहा था। स्वामिनी की अपील पर 1995 में फैसला उनके पक्ष में आया। इस पर किराएदार ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी, जो तब से विचाराधीन थी। इस तरह करीब 40 साल तक मामला उलझा रहा।

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