केजरीवाल के इस्तीफे को मायावती ने पैंतरा बताया, राजनीतिक शत्रुता पर भाजपा, कांग्रेस को लपेटा
केजरीवाल के इस्तीफे को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने राजनीतिक पैंतरेबाजी बताते हुए इसे चुनावी चाल कहा है। यह भी पूछ लिया कि केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान दिल्ली वालों को जो परेशानी हुई है उसका हिसाब कौन देगा?
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने अपनी घोषणा के अनुसार मंगलवार की शाम मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। अब आप की विधायक आतिशी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। इसे लेकर राजनीतिक दलों की तरफ से प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। केजरीवाल के इस्तीफे को बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने राजनीतिक पैंतरेबाजी बताते हुए इसे चुनावी चाल कहा है। यह भी पूछ लिया कि केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान दिल्ली वालों को जो परेशानी हुई है उसका हिसाब कौन देगा? इसके साथ ही मायावती ने राजनीतिक शत्रुता को लेकर भाजपा और कांग्रेस को भी लपेटते हुए नसीहत दी है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर मायावती ने लिखा कि अरविन्द केजरीवाल द्वारा दिल्ली के सीएम पद से अब इस्तीफा देना वास्तव में जनहित या जनकल्याण से दूर इनकी चुनावी चाल व राजनीतिक पैंतरेबाजी है। इसके साथ ही पूछा कि उनके लम्बे समय तक जेल में रहने के कारण दिल्ली की जनता ने जो अनगिनत असुविधाएं व समस्याएं झेलीं हैं उसका क्या? उसका हिसाब कौन देगा?
अपने अगले पोस्ट में मायावती ने दिल्ली में केजरीवाल सरकार के साथ भाजपा के व्यवहार पर चोट भी किया और नसीहत भी दी है। मायावती ने लिखा कि सत्ता और विपक्ष के बीच राजनीतिक लड़ाई शत्रुता स्तर तक कटु नहीं होनी चाहिए। ताकि उससे देश व जनहित प्रभावित ना हो। यूपी में अपनी सरकार के दिनों को याद करते हुए मायावती ने कांग्रेस को भी इस मौके पर घेरने की कोशिश की। मायावती ने कहा कि बीएसपी की यूपी सरकार को भी ऐसे दिन देखने पड़े जब केन्द्र की कांग्रेसी सरकार ने जेवर एयरपोर्ट व गंगा एक्सप्रेस-वे पर भी रोड़े अटकाए और जनहित व विकास को बाधित किया था।
गौरतलब है कि मायावती यूपी में चार बार मुख्यमंत्री रही थीं। केंद्र में कांग्रेस की मनमोहन सरकार के दौरान 2007 में मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला देते हुए यूपी में अपनी अकेले ही पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। 2012 में सपा से सीधी टक्कर में बसपा हार गई और अखिलेश पहली बार यूपी में मुख्य़मंत्री बने थे।