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Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Journalist Kappan reaches Supreme Court against appearing before police every week notice to UP government

हर हफ्ते पुलिस के सामने पेशी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पत्रकार कप्पन, यूपी सरकार को नोटिस

केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ने हर सप्ताह पुलिस के सामने हाजिरी लगाने की शर्त में छूट की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है। कप्पन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है।

Yogesh Yadav नई दिल्ली भाषाTue, 17 Sep 2024 09:43 AM
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केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ने हर सप्ताह पुलिस के सामने हाजिरी लगाने की शर्त में छूट की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है। कप्पन को हाथरस कांड के समय गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें जमानत मिली तो हर सप्ताह पुलिस के सामने हाजिरी की शर्त लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन की याचिका पर मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हन और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कप्पन की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब देने को कहा है। कप्पन को उत्तर प्रदेश के हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म के बाद एक दलित महिला की मौत के बाद वहां जाते वक्त अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार कर लिया गया था। पीठ ने इस मामले पर दो सप्ताह बाद अगली सुनवाई की तारीख तय की।

उच्चतम न्यायालय ने नौ सितंबर 2022 को कप्पन को जमानत देते हुए कहा था कि हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। कप्पन को करीब दो साल तक जेल में रहने के बाद जमानत दी गयी थी। कोर्ट ने जमानत के लिए कई शर्तें लगायी थीं जिनमें यह भी शामिल था कि कप्पन को जेल से रिहा होने के बाद अगले छह हफ्तों तक दिल्ली में रहना होगा और हर सप्ताह सोमवार को यहां निजामुद्दीन पुलिस थाने में हाजिरी लगानी होगी।

पीठ ने आदेश में कहा था कि अपीलकर्ता को तीन दिन के भीतर निचली अदालत में ले जाया जाएगा और निचली अदालत द्वारा उचित समझी जाने वाली शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जाएगा।'' उसने कहा था, ''जमानत की शर्त यह होगी कि अपीलकर्ता यहां दिल्ली में निजामुद्दीन क्षेत्र में रहेगा।''

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ कथित संबंध रखने के लिए कप्पन सहित चार लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

पीएफआई पर पहले भी देशभर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के लिए आर्थिक मदद का आरोप लगा था। पुलिस ने पहले दावा किया था कि आरोपी हाथरस में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ने का प्रयास कर रहे थे।

दलित महिला से 14 सितंबर 2020 को उसके गांव के चार लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया था और इसके एक पखवाड़े बाद दिल्ली के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गयी थी। उसका आधी रात को उसके गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया था। उसके परिवार ने दावा किया था कि उनकी सहमति के बगैर अंतिम संस्कार किया गया और उन्हें आखिरी बार शव घर लाने की अनुमति नहीं दी गयी थी।

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