बिजली विभाग में तैनात 1200 संविदाकर्मियों को हटाया गया, 20 हजार पर लटकी तलवार
- निजीकरण को लेकर चल रहे बिजली कर्मियों के धरना प्रदर्शन के बीच संविदाकर्मियों को तगड़ा झटका लगा है। बिजली विभाग में तैनात 1200 संविदा कर्मियों को निकाल दिया गया है। इसके अलावा 20 हजार कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक रही है।
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निजीकरण को लेकर चल रहे बिजली कर्मियों के धरना प्रदर्शन के बीच संविदाकर्मियों को तगड़ा झटका लगा है। बिजली विभाग में तैनात प्रदेश के अलग-अलग जिलों से करीब 1200 संविदा कर्मियों को निकाल दिया गया है। 20 हजार कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक रही है। संविदाकर्मियों के हटाए जाने को लेकर उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के कर्मचारियों ने अपना विरोध भी दर्ज कराया है। संघर्ष समिति ने कहा है कि प्राइवेटाइजेशन के लिए संविदाकर्मियों को मनमाने ढंग से हटाया जा रहा है। जिसके चलते पूरे प्रदेश के बिजली कर्मियों के नाराजगी व्याप्त है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर सोमवार को बिजली कर्मचारियों ने सभी जिलों और परियोजना मुख्यालयों पर विरोध सभाओं का क्रम जारी रखा। संघर्ष समिति ने कहा कि वर्ष 2019 के एक आदेश का हवाला देते हुए 55 वर्ष की आयु पूरी करने वाले संविदा कर्मियों को हटाया जा रहा है। यह पूरी तरह गलत है और निजीकरण के पहले भय का वातावरण बनाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 55 वर्ष की आयु पूरी करने वाले संविदा कर्मी पिछले 6 वर्षों से कार्य कर ही रहे हैं। ऐसे में अब अचानक उन्हें हटाया जाना पूरी तरह अमानवीय है।
हटाए गए सभी कर्मी 55 साल के नहीं
संघर्ष समिति ने कहा कि हटाये गये 1200 संविदा कर्मचारियों में सभी 55 वर्ष के नहीं हैं। आरोप लगाया कि निजीकरण के बाद निजी घरानों की सुविधा के लिए 25 प्रतिशत संविदा कर्मी हटाये जा रहे हैं। पूरे प्रदेश में लगभग 20000 संविदा कर्मियों पर नौकरी जाने की तलवार लटक रही है। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मी समझते हैं कि अभी संविदा कर्मी हटाये जा रहे हैं कुछ समय बाद नियमित कर्मचारी भी हटाये जाएंगे।
छंटनी के विरोध में संविदाकर्मियों ने किया प्रदर्शन
बिजली संविदाकर्मियों की छंटनी के विरोध में सोमवार को संविदाकर्मियों ने कृष्णानगर स्थित हाईडिल कॉलोनी में धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री देवेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि लखनऊ के बिजलीघरों पर 55 साल से ज्यादा उम्र के ऐसे 150 विभागीय नियमित कर्मचारी हैं, जो अपने पद के अनुरूप काम किए बिना ही वेतन ले रहे हैं। इनमें पेट्रोलमैन, लाइनमैन आदि हैं। यह लाइनमैन सीढ़ी पर चढ़ नहीं पाते तो संविदा कर्मी उपभोक्ता की शिकायतों का निराकरण करते हैं।
संरक्षण में ऐसे पेट्रोलमैन एवं लाइनमैन दूसरे कार्य कनेक्शन की जांच आदि करके नौकरी चला रहे हैं। जबकि ऐसे कर्मी 60 से 70 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन लेते। जबकि संविदा कर्मी 10 से 11 हजार रुपये में अपनी जान खतरे में डालते हुए काम करते हैं। उन्होंने बताया कि अगर कर्मचारियों की बात नहीं सुनी जाती है तो कर्मचारी 06 फरवरी को मध्यांचल विद्युत निगम एमडी मुख्यालय का घेराव करेंगे। उन्होंने मध्यांचल एमडी भवानी सिंह से अपील की है कि जो संविदा कर्मी 55 साल के हो चुके हैं। उनसे लाइन का काम लेने के बजाय दूसरी जिम्मेदारी सौंप दी जाए। यह कर्मी प्रतिमाह बिल वसूलने का काम कर सकते हैं। नाराज कर्मचारियों ने ग्रामीण विद्युत मंडल के अधीक्षण अभियंता को ऊर्जा प्रबंधन के नाम कर्मचारियों की समस्याओं से संबंधित ज्ञापन सौंपा।
बरेली में हटाए गए संविदा कर्मियों ने किया हंगामा
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम द्वारा अनुबंधित कार्य दायी कम्पनी को एलओआई जारी कर 20% विद्युत संविदा कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई। बरेली नगर में आने वाले 24 बिजली घर के 134 संविदा कर्मियों को हटा दिया गया। अब केवल 264 कर्मी शेष रह गए हैं। हटाये गए लोगों में 55 साल के सभी संविदा कर्मियों के साथ युवा भी हैं। एक फरवरी को नौकरी से हटाए जाने की जानकरी के बाद सभी आक्रोशित होकर मुख्य अभियंता कार्यालय पहुंचे। यहां कार्यालय के बाहर बैठकर सभी ने प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाज़ी की।