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Jaunpur News - जौनपुर के युवा रील बनाने वाले, ऐतिहासिक शाही पुल की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे मनोरंजन और जागरूकता फैलाते हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और पुलिस की मनमानी से परेशान हैं। वे...
बोले जौनपुर...रील बनाने वाले युवा : ऐतिहासिक धरोहर प्रशासन सुधार दे हम लोगों को यहां तक खींच लाएंगे रील्स बनाते हैं, लोगों का मनोरंजन करते हैं, जागरूकता फैलाते हैं, अपनी बेरोजगारी दूर करते हैं। यूट्यूब, फेसबुक और इंस्टाग्राम से डॉलर में कमाई होती है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को बल मिलता है, लेकिन जब लोग हमें ‘निठल्ला कहते हैं, तो दिल टूटता है। हमारा काम देश का भला कर रहा, नुकसान नहीं। शाही पुल को बैकग्राउंड में रख गोमती के घाटों पर रील बनाते हैं। हालांकि इस ऐतिहासिक पुल की दुर्दशा देख तकलीफ होती है। चाहते हैं कि इसे संवारा जाए, पर्यटन बढ़े, लोगों को रोजगार मिले।
गोमती नदी के गोपी घाट पर जुटे रील्स बनाने वाले युवक और युवतियों ने ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में अपनी परेशानियों के अलावा शहर की उन समस्याओं पर भी चर्चा की जिससे लोगों का जीवन प्रभावित होता है। कहा कि जिले में मल्टीमीडिया स्टूडियो, एडिटिंग लैब और म्यूजिक रिकॉर्डिंग की अच्छी सुविधाएं नहीं होने से भी परेशानी होती है। साथ ही यह भी कहा कि हम रील्स बनाते हैं, लोगों को हंसाते हैं। वीडियो में कुछ ऐसा कहते हैं कि लोग जागरुक हो सकें। पर्यावरण संरक्षण की बात हो, चाहे स्वच्छता की या फिर कुरीतियों की। हमारी रील्स में कोई न कोई संदेश छिपा होता है। पूजा कुमारी, मोनू, राजीव, आनंद और मीना ने कहा कि रील बनाते हैं और बैकग्राउंड में बादशाह अकबर का बनवाया शाही पुल आता है। यह अपने आप में अनोखा पुल है, जिसे शहर के बाहर के लोग भी देखना चाहते हैं। इस नाते ज्यादातर वीडियो इस पुल के इर्द गिर्द ही रिकार्ड करते हैं, लेकिन शाही पुल की दुर्दशा जब करीब से देखते हैं तो बहुत तकलीफ होती है। ऐतिहासिक पुल के रखरखाव में लापरवाही दिखती है। दीवारें दरक रही हैं, बड़े-बड़े पीपल के पेड़ उगे हैं और उनकी जड़ें पुल को कमजोर कर रही हैं। दक्षिणी हिस्से में कई जगह लोगों ने पुल पर ही जैसे पेशाब करने की जगह बना दी है। रेलिंग सड़कर गायब हो गई। प्रशासन इसे संवार दे तो हम रील के जरिये लोगों को यहां तक खींच लाएंगे। पर्यटन की दृष्टि से हो विकासः विकास प्रजापति ने कहा कि शाही पुल ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है। इसकी अहमियत आवागमन की दृष्टि से तो है ही, पर्यटन के दृष्टिकोण से भी अहमियत है। अब नदी के घाट का निर्माण हो गया तो यहां आने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। इससे सद्भावना पुल से लेकर शाही पुल तक रेहड़ी पटरी के दुकानदारों का रोजगार भी बढ़ा है। हम चाहते हैं कि शहर में ऐतिहासिक महत्व की जितनी भी धरोहरें हैं, शाही किला से लेकर शाही जामा मस्जिद, झाझरी मस्जिद, लाल दरवाजा, चार अंगुल की मस्जिद और तमाम मकबरों का विकास पर्यटन की दृष्टि से किया जाए। ऐतिहासिक इमारतों के आसपास की सड़कों को चौड़ा किया जाए तो आवागमन बढ़ेगा। पर्यटक आकर्षित होंगे। रचनात्मकता को बढ़ावा देंः पूजा कुमारी ने कहा कि दो वर्ष में एक हजार से अधिक वीडियो बनाकर अपलोड किये हैं। दर्शकों ने बहुत प्यार-दुलार दिया है, लेकिन हमारे ही गांव के लोगों ने मुझे सपोर्ट नहीं किया। घर तक चढ़कर आते थे, तरह-तरह के कमेंट करते थे। उनसे आजिज आकर घर छोड़ दिया। अब शहर में ही किराए का कमरा लेकर रहती हूं। यहीं पर वीडियो बनाती हूं। चैनल पर ज्यादातर लोग हमारी सराहना ही करते हैं, कुछ लोग भद्दे कमेंट करते हैं। पुलिस की मनमानी से परेशानीः राजीव पांडेय ने कहा कि यह अजीब लगता है कि जब हम गोमती नदी के घाट पर शाही पुल के साथ वीडियो रिकार्ड करने आते हैं तो कई बार ऐसा हुआ कि पुलिस यहां वीडियो बनाने से मना करती है। कई बार आते हैं तो देखते हैं कि दर्जन भर से ज्यादा लोग यहां वीडियो बना रहे होते हैं। कोई उन्हें पूछने वाला नहीं होता। पिछले महीने में वाराणसी से यहां वीडियो रिकार्ड करने आया था, लेकिन पुलिस ने रोक दिया था और आज जब यहां आया हूं तो लोग वीडियो शूट कर रहे है। कोई न तो उन्हें बोल रहा है, न टोक रहा है। कौशल विकास की जरूरतः आकाश बाबू ने कहा कि दो वर्ष से इस पेशे में हूं। गाना रिकॉर्ड करने के लिए जौनपुर में कोई स्टूडियो नहीं है। है भी तो ढंग का नहीं है। रिकॉर्ड करने के लिए गाजीपुर के स्टूडियो में जाना होता है। वहां गाना रिकॉर्ड करते हैं और वहीं एडिटिंग करवाते हैं। अगर जिलास्तर पर ऐसा वर्कशॉप हो जिसमें हमें एडिटिंग आदि की जानकारी दी जाए तो हम अपनी कौशल क्षमता और बढ़ा सकते हैं। प्रमिला ने कहा कि दो साल में चार हजार से अधिक वीडियो बना चुकी हूं। हमारी जिंदगी है, हम आजाद हैं, अपने काम से मतलब रखेंगे। किसी के कुछ बोलने से निराश नहीं हो सकते। जिनका काम है बोलना, वह तो बोलते ही है। मुझ पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। मोनू ने कहा कि वीडियो बनाते हैं। यही हमारा करियर भी है, लेकिन कई बार हम कहीं वीडियो बनाने जाते हैं तो आसपास के लोग हमें सपोर्ट नहीं करते, वहां से भगाया जाता है। परिवार के लोग भी उतना सपोर्ट नहीं करते जितना चाहता हूं। गंदगी से घट रहा आकर्षण : स्नेहा निषाद और मंजू गौतम ने कहा कि हम गोमती घाट पर वीडियो बनाने आते हैं। घाट खूब चमक दमक वाला है, पर सद्भावना पुल के पूर्वी तरफ आज भी तमाम लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं। जैसे ही पुरवा हवा चलती है तो नाक पर रुमाल रखना पड़ता है। जो घाट सुंदर दिखता है, वहां की आबोहवा भी स्वच्छ होनी चाहिए तभी यहां के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। शौचालय का निर्माण हो रहा है, लेकिन धीमी गति से। कहा कि नदी के दोनों किनारो पर चार से पांच की संख्या में शौचालय का निर्माण होना चाहिए। हनुमान घाट की तरफ पक्के घाट पर ही दीवार की आड़ में लोग पेशाब करते हैं। घाट सुंदर होगा तो जो आएंगे वह यहां की अच्छी छवि मन में लेकर लौटेंगे और उनसे प्रेरित होकर अन्य लोग भी यहां आएंगे। लोगों का आवागमन बढ़ेगा तो आसपास के लोगों का रोजगार भी बढ़ेगा। विशाल गौतम भोजपुरी में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर पर रील बनाते हैं। कहा कि इस शहर में साफ सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था ठीक करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। जिम्मेदार इसके प्रति सजग हों तो शहर की स्थिति और बेहतर होगी। गूलरघाट से जुड़े गोपी घाट : विशाल गौतम, आनंद पर्वत, अजय साहू ने कहा कि गोपी घाट पर एक शौचालय का निर्माण बहुत दिनों पहले हुआ है, लेकिन वह चालू हालत में नहीं है। कहा कि नदी में पानी साफ नहीं है, कचरा नदी में गिर रहा है। जलकुंभी से नदी भर गई है। शाही पुल के दूसरी तरफ गूलर घाट है। वहां पुराना मंदिर है। पुल के नीचे से ही उस घाट को भी जोड़ दिया जाए तो यहां आने वाले आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। हम वहां भी जाकर वीडियो रिकार्ड कर सकते हैं। अभी हमें इस 100 मीटर की दूरी को तय करने के लिए लगभग दो किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। जाम भी झेलना पड़ता है। जिम्मेदारी निभाना जरूरी : आनंद पर्वत ने कहा कि यहां पर तमाम इलाकों से लोग रील बनाने आते हैं। एक-दूसरे को देखकर हौसला बढ़ता है। शाही पुल की वजह से हमारे वीडियो वायरल होते हैं। पुल की मरम्मत जरूरी है। हम नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि उसे साफ-सुथरा रखें। जो लोग पुल पर पेशाब करते हैं उन्हें नागरिक होने की जिम्मेदारी समझनी चाहिए। घाट पर लाइट वगैरह और बढ़ानी चाहिए क्योंकि जब कभी शाम को यहां वीडियो बनाते हैं तो तस्वीर कैमरे में उतनी साफ नहीं आ पाती हैं, क्योंकि लाइट कम होती है। बोले जिम्मेदार : पहल कराने की राज्य स्तर पर होगी कोशिश : शाही पुल राज्य पुरातत्व विभाग के अधीन आता है। ऐसे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण उस पर कोई सीधा कार्य नहीं कर सकता। पुल की मरम्मत और संरक्षण कार्य के लिए राज्य स्तर पर पहल और संसाधन जुटाए जाने की आवश्यकता है। जे राजू , सहायक संरक्षक, एएसआई कोट खुले में शौच की वजह से महिलाएं असहज महसूस करती हैं। घाट पर शौचालयों की संख्या शीघ्र बढ़ाई जाए। इससे गंदगी कम होगी। मंजू गौतम मैंने हजार से ज्यादा वीडियो बनाए, लेकिन गांव में सराहना नहीं मिली। किराये के घर में हूं, वीडियो से परिवार चल रहा है। पूजा कुमारी गोमती के घाटों पर गंदगी के चलते शाम को खड़ा रहना मुश्किल हो जाता है, दुर्गंध से दम घुटता है। नगर पालिका प्रशासन भी मूक बना बैठा है। स्नेहा निषाद हमारे लिए वीडियो बनाना टाइमपास नहीं, यही हमारा रोजगार है। इससे हमने अपनी पहचान बनाई है। हमारे भरण पोषण का माध्यम भी यही है। प्रमिला शाही पुल सिर्फ वीडियो की पृष्ठभूमि नहीं, हमारी विरासत है। इसकी दरकती दीवारें और टूटती रेलिंग दिल को चुभती है। प्रशासन ध्यान दे। मोनू घाटों का सुंदरीकरण हुआ है, लेकिन ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण और पर्यटन विकास पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। विकास प्रजापति हम रील बनाते हैं ताकि लोग हंसें, सोचें और बदलें, लेकिन जब हमें 'निठल्ला' कहा जाता है तो बहुत तकलीफ होती है। रजत गुप्ता पुलिस हमें रील बनाने से रोकती है, लेकिन दूसरों को बिना पूछे घाट पर शूटिंग करते रहने देती है। ये दोहरी नीति क्यों है, में नहीं आता। राजीव पांडेय हम रील बनाते हैं ताकि लोग हंसें, सोचें और बदलें, लेकिन जब हमें 'निठल्ला' कहा जाता है तो बहुत तकलीफ होती है। रजत गुप्ता पुलिस हमें रील बनाने से रोकती है, लेकिन दूसरों को बिना पूछे घाट पर शूटिंग करते रहने देती है। ये दोहरी नीति क्यों है, में नहीं आता। राजीव पांडेय गाना रिकार्ड करने के लिए दूसरे जिले में जाना पड़ता है। अपने जौनपुर में भी अगर अच्छा स्टूडियो बन जाए तो काम आसान हो जाएगा। आकाश बाबू शाही पुल विरासत है, इसकी देखभाल की जिम्मेदारी हर नागरिक को लेनी चाहिए, न कि सिर्फ सरकार पर छोड़ देना चाहिए। आनंद पर्वत सुझाव पुरातत्व विभाग की निगरानी में शाही पुल की मरम्मत कराई जाए। ऐतिहासिक महत्व बनाए रखने को संरक्षण कार्य हो। घाटों पर सफाई के लिए सफाईकर्मियों की नियमित तैनाती हो और पर्याप्त संख्या में सार्वजनिक शौचालय बनाए जाएं। रील क्रिएटर्स के लिए प्रशासनिक गाइडलाइन तय हो, पुलिस को संवेदनशील बनाकर उन्हें सहयोग करने का निर्देश मिले। जिले में मल्टीमीडिया स्टूडियो, एडिटिंग लैब और म्यूजिक रिकॉर्डिंग सुविधाएं मिलें ताकि युवाओं को बाहर न जाना पड़े। गोपी घाट और गूलर घाट को जोड़ने के लिए पक्का रास्ता बनाएं। पर्यटन मार्गों को सुगम करने के लिए संकेतक लगाएं। शिकायतें शाही पुल की दीवारें दरक रही हैं, पीपल के पेड़ उग आए हैं और रेलिंग टूट चुकी है, जिससे पुल का अस्तित्व संकट में है। गोमती के घाटों पर गंदगी है, खुले में शौच की वजह से दुर्गंध फैलती है। आने वाले पर्यटकों को परेशानी होती है। कई बार रील बनाने से पुलिस रोक देती है जबकि अन्य लोगों को बिना रोक-टोक शूटिंग की इजाजत मिलती है। इससे हमारा नुकसान होता है। जनपद में कोई भी गाना रिकॉर्ड करने या वीडियो एडिटिंग के लिए आवश्यक संसाधन और स्टूडियो उपलब्ध नहीं हैं। प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ पातीं। गोपी घाट और गूलर घाट आपस में जुड़े नहीं हैं, जिससे आवाजाही में दिक्कत होती है और पर्यटन प्रभावित होता है। प्रस्तुति : आनंददेव/संदीप कुमार
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