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मरीज की मौत के मामले में अंतिम इलाज करने वाले डॉक्टर को अब करना होगा ये काम, चूके तो दंड का प्रावधान

वर्तमान में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के सभी काम गृह मंत्रालय द्वारा संचालित सीआरएस पोर्टल से किए जाते हैं। डेटा एंट्री भी ऑनलाइन पोर्टल पर करने का प्रावधान किया गया है। इसी पोर्टल से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की जाती है।

Ajay Singh विशेष संवाददाता, लखनऊSun, 25 May 2025 08:29 AM
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मरीज की मौत के मामले में अंतिम इलाज करने वाले डॉक्टर को अब करना होगा ये काम, चूके तो दंड का प्रावधान

डॉक्टर को अब मरीज की मौत का कारण लिखित में बताना होगा। मरीज का अंतिम इलाज करने वाले डॉक्टरों के लिए अब मौत का प्रमाणन करना अनिवार्य कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिनियम में बदलाव किया गया है। मरीज की मृत्यु के बाद उसके परिजनों को मौत के प्रमाणन की प्रति उसके परिजनों को नि:शुल्क उपलब्ध करानी होगी। ऐसा न करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ दंड का भी प्रावधान किया गया है।

वर्तमान में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण का समस्त कार्य गृह मंत्रालय द्वारा संचालित सीआरएस पोर्टल से किया जा रहा है। डेटा एंट्री भी ऑनलाइन पोर्टल पर करने का प्रावधान किया गया है। इसी पोर्टल से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा मृत्यु के कारणों के संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की जाती है।

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दरअसल, पहले अधिनियम में मृत्यु के कारण के प्रपत्र का एक भाग परिजनों को देने का प्रावधान तो था लेकिन इसमें मृत्यु का कारण नहीं लिखा होता था। इस संबंध में लागू किए गए नवीन संशोधित अधिनियम-2023 के अनुसार मृत्यु के कारण के विधिवत भरे हुए फॉर्म की एक प्रति मृतक के निकटतम परिजन को अंतिम उपचार करने वाले चिकित्सक के द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाएगी।

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मृत्यु के कारणों पर बनेगा डेटा बेस

निदेशक जनगणना एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (नागरिक पंजीकरण प्रणाली) शीतल वर्मा का कहना है कि इसका उद्देश्य मृत्यु के कारणों पर शुद्ध और विश्वसनीय डेटाबेस उपलब्ध कराना है ताकि बीमारियों की व्यापक रोकथाम एवं उपचार के लिए योजनाएं बनाई बनायी जा सकें। साथ ही मृतक के परिजनों को बीमा, वित्तीय अनुदान और राहत आदि दावों का लाभ मिल सके। इन सब चीजों के लिए परिवारीजनों को परेशान न होना पड़े, व्यर्थ की भागदौड़ न करनी पड़े इसके लिए यह प्रावधान किया गया है। नई व्यवस्था से अपनों की मृत्यु के दुख में डूबे परिवारों को परेशनियों से भरी प्रक्रिया से मुक्ति मिल जाएगी।

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