Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़High Court strict on arrest without giving reason and basis gave this order to UP DGP

बिना कारण और आधार बताए गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट सख्त, यूपी के डीजीपी को दिया यह आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना कारण और आधार बताए गिरफ्तारी पर चिंता जताते हुए इसे अवैध करार दिया है। हाईकोर्ट ने यूपी के डीजीपी को सर्कुलर जारी कर विधिक प्रावधानों के पालन का सभी अफसरों को निर्देश जारी करने को कहा है।

Yogesh Yadav प्रयागराज, विधि संवाददाताFri, 11 April 2025 08:31 PM
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बिना कारण और आधार बताए गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट सख्त, यूपी के डीजीपी को दिया यह आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किसी व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी का कारण और आधार बताए बिना गिरफ्तार करना अवैधानिक है। कोर्ट ने गिरफ्तारी के समय संविधान के अनुच्छेद 22(1) में दिए अधिकारों और सीआरपीसी की धारा 50(अब बीएनएसएस की धारा 47) के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने डीजीपी यूपी को निर्देश दिया है कि वह सर्कुलर जारी कर सभी जिला पुलिस प्रमुखों को वैधानिक प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने के लिए निर्देशित करें। रामपुर के मंजीत सिंह उर्फ इंदर की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने याची के अधिवक्ता और अपर शासकीय अधिवक्ता परितोष मालवीय को सुनकर दिया।

याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची के विरुद्ध थाना मिलाक रामपुर में धोखाधड़ी और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। अधिवक्ता का कहना था कि पुलिस ने याची को लिखित रूप से न तो गिरफ्तारी का कारण बताया और न ही गिरफ्तारी का आधार बताया। पहले से छपे छपाए प्रोफार्मा पर गिरफ्तारी मेमो दिया गया जिसमें कारण और आधार नहीं लिखा है। जबकि सीआरपीसी की धारा 50 के तहत ऐसा करना जरूरी है। संविधान के अनुच्छेद 21 (1) में भी गिरफ्तारी के समय अभियुक्त को कारण जानने का अधिकार प्राप्त है। इतना ही नहीं याची को न्यायिक हिरासत में भेजते समय उसे प्रतिवाद करने का अवसर भी नहीं दिया गया।

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कोर्ट ने कहा कि हमें यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि याची को दिए गए गिरफ्तारी मेमो में न तो आधार और न ही कारण बताया गया है। गिरफ्तारी करते समय अनुच्छेद 21 (1) और सीआरपीसी की धारा 50 के प्रावधानों का उल्लंघन किया किया गया। कोर्ट ने कहा विधिक सहायता प्राप्त करना अभियुक्त का महत्वपूर्ण अधिकार है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए 26दिसम्बर 2024 के आदेश और गिरफ्तारी आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही पुलिस महानिदेश को सर्कुलर जारी कर वैधानिक प्रावधानों का सख्ती से पालन करवाने का निर्देश दिया है।

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