सीबीआई ने हाथरस के एक सिमकार्ड वि्क्रेता को किया गिरफ्तार
Hathras News - सीबीआई ने हाथरस में एक सिम कार्ड विक्रेता को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी फर्जी सिम कार्ड के जरिए धोखाधड़ी करने के मामले में की गई है। तीन लोगों को इस मामले में नामजद किया गया है। यह ठगी प्रदेश के...

फोटो कैप्शन- फोटो कैप्शन- 46 राजीव के घर के बाहर लगा बोर्ड 47- गांव के बाहर लगी भीड़ सीबीआई ने हाथरस के एक सिमकार्ड वि्क्रेता को किया गिरफ्तार -फर्जी सिम के जरिए लोगों के साथ हो रही है ठगी -दिल्ली सीबीआई में दर्ज मुकदमे में हाथरस के तीन शामिल -स्थानीय पुलिस को नहीं पूरे प्रकरण की अभी तक कोई जानकारी हाथरस,कार्यालय संवाददाता। असली ग्राहक की दो बार केवाईसी करके धोखे से दूसरी सिम कार्ड एक्टिवेट करने के मामले में हाथरस के तीन लोग शामिल है। सीबीआई ने एक सिम विक्रेता को दस मई को ही गिरफ्तार कर लिया है। सीबीआई ने साइबर फ्रॉड के बड़े नेटवर्क का खुलासा किया है।
फर्जी नाम-पते से जारी सिम कार्ड के जरिये होने वाले साइबर फ्रॉड में हाथरस के तीन लोग शामिल निकले है। यह फर्जीवाड़ा प्रदेश के छह जिलों में हो रहा था। सीबीआई ने इनके ठिकानों पर बीते दिनों छापा मारा था। सीबीआई ने हाथरस के मीतई निवासी राजीव सागर को दस मई को ही गिरफ्तार कर लिया और उसे अपने साथ ले गई। चार घंटे तक सीबीआई ने राजीव के घर की तलाशी ली,लेकिन घर से उसे कुछ नहीं मिला। इन फर्जी सिम कार्ड के जरिये डिजिटल अरेस्ट, जासूसी, फर्जी विज्ञापन, निवेश संबंधी फ्रॉड, यूपीआई फ्रॉड आदि साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा रहा था। सीबीआई ने हाथरस के राजीव सागर, मुकेश कुमार निवासी मीतई और धारा सिंह निवासी मैण्डू रोड सेकसरिया इंटर कालेज हाथरस शामिल है। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में तीनों को नामजद किया है। राजीव सागर के परिजनों की माने तो सीबीआई जब घर आई थी तो 110 सिम कार्ड जारी करने की बात कर रही थी। राजीव चंदपा के जगन्नाथ प्रसाद डिग्री कालेज से बीएससी कर रहा है। इन फर्जी सिमों के जरिए बैंकों में फर्जी नाम से खाते खोलने के साथ मासूम लोगों को फोन करके धोखाधड़ी की जा रही थी। इस तरह देते थे धोखा साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर करीब 2200 शिकायतें मिलने पर इसकी पड़ताल शुरू की गई थी। जांच में पता चला कि डीलरों द्वारा सिम खरीदने वाले ग्राहक का केवाईसी कराने के दौरान उसका इस्तेमाल दूसरे सिम की बिक्री में भी कर रहे थे। पहली बार केवाईसी को फेल बताकर वे दूसरी बार यह प्रक्रिया करते थे, जिसमें उसी नाम पते पर दूसरा सिम एक्टिवेट कर दिया जाता था। इसका ग्राहक को आभास तक नहीं होता था। राजीव के परिजनों की माने तो मुकेश पहले से ही सिम कार्ड बेचने का काम करता था। उसी के जरिए राजीव गांव गांव जाकर सिम कार्ड बचेता था। परिजन बोले उसे केवल फंसाया गया है।
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