बोले प्रयागराज : खेतों में लगाई बाड़, बनाए मचान, फिर भी फसलों को बचाना मुश्किल
Gangapar News - सैदाबाद में छुट्टा जानवर किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गए हैं। लोग पशुपालन से दूर हो रहे हैं, जिससे जानवर खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सरकार ने गोशाला बनाई है, लेकिन इससे कोई स्थायी...
सैदाबाद में छुट्टा जानवरों का आतंक गोवंश की भूमिका कृषि, अर्थव्यवस्था, समाज, धर्म और चिकित्सा में महत्वपूर्ण है। लेकिन बदलते परिवेश में लोग पशुपालन से दूर होते जा रहे हैं। यही वजह है कि जानवरों को लोग छुट्टा छोड़ देते हैं, जो आम आदमी, किसान और राहगीरों की समस्या बनते जा रहे है। खेत से लेकर शहर तक बड़ी संख्या में छुट्टा गोवंश सड़कों पर घूमते नजर आ जाएंगे। जाहिर सी बात है सड़क पर छुट्टा जानवर होने के कारण दुर्घटनाएं भी होती हैं। बीते कई सालों में कई बाइक व कार सवार दुर्घटनाग्रस्त होकर अपनी जान भी गंवा चुके है। हंडिया के सैदाबाद के कछार में मचान बनाकर किसान अपनी फसलों की रखवाली करते हैं। छुट्टा गोवंश का मुद्दा उठा तो कई बार लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक आम लोगों और किसानों को इनके आतंक से छुटकारा नहीं मिला। किसान अगर रखवाली न करे तो उसे अन्न का एक दाना भी मिलना मुश्किल है। सरकार द्वारा गोवंश आश्रय स्थल की व्यवस्था जरूर की गई है लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरे की तरह ही है। अब तो छुट्टा जानवरों के डर से लोग खेती करने से कतरा रहे हैं। खेती न होने से कई हेक्टेयर भूमि परती रह जा रही है। छुट्टा जानवरों को पकड़ने का कोई सार्थक कदम अभी तक नहीं उठाया जा सका है, जिसकी जरूरत है।
सैदाबाद। छुट्टा पशुओं से किसान बेहाल हैं। जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं। आवारा पशुओं से बचाव के लिए हालांकि गोशाला बनाई गई है, लेकिन पशुओं के झुंड खेतों में पहुंचकर लगी फसलों को नष्ट कर रहे हैं। किसान फसलों की रखवाली में दिन-रात जुटे रहते हैं। इसके बावजूद भी अपनी गाढ़ी कमाई की फसलों को नहीं बचा पा रहे हैं। सैदाबाद क्षेत्र में आवारा पशुओं का आतंक कुछ ज्यादा ही है। आवारा पशुओं के झुंड के झुंड घूमते नजर आ रहे हैं। इन झुंडों में अधिकांश जानवर हिंसक हो चुके हैं। राकेश यादव, सागर पटेल आदि दर्जनों किसानों ने बताया कि रात को खेतों में छुट्टा पशुओं के झुंड आ जाते हैं। फसलों को चरकर व पैरों से रौंदकर चले जाते हैं। सुरक्षा के लिए खेत के चारों ओर तारों की बाड़ लगा रखी है, लेकिन पशुओं के झुंड तारों के बाड़ को लांघकर खेतों में घुस जाते हैं। जब तक खेत में लोग पहुंचते हैं तब तक पशुओं के झुंड फसलों को नष्ट कर देते हैं। अगर इन आवारा पशुओं की समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया तो फसलों को किसान नहीं बचा पाएंगे।
छुट्टा पशुओं को पशु आश्रय केंद्र पहुंचाने के लिए भले ही सरकार व प्रशासन लगातार निर्देश दे रहे हैं, लेकिन शहर से लेकर गांव तक छुट्टा पशु किसानों व आम लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। शहर में जहां छुट्टा पशुओं की वजह से आए दिन जाम लग रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में छुट्टा पशु फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद छुट्टा पशुओं को रखने के लिए पशु आश्रय केंद्र बनवाए गए हैं। छुट्टा पशु चौराहों सहित अन्य स्थानों पर झुंड में बैठ जाते हैं, जिसके कारण आए दिन जाम की समस्या पैदा हो रही है। यही नहीं पटरी दुकानदारों के लिए भी छुट्टा पशु मुसीबत बने हुए हैं। दुकानदार इन्हें हटाने का प्रयास करते हैं तो पशु उन्हें मारने के लिए दौड़ा देते हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में छुट्टा पशुओं के चलते किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पशु फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों को फसल बचाने के लिए खेतों की रखवाली करनी पड़ रही है।
रखवाली के बावजूद छुट्टा पशु बर्बाद कर रहे जायद की फसल
धोकरी क्षेत्र के किसानों की नियति में ही बर्बादी लिखी हुई है। इस क्षेत्र के किसानों की स्थिति यह है कि उनकी खरीफ की फसल जहां गंगा की बाढ़ से प्रभावित होती है। वहीं रबी व जायद की फसलो को छुट्टा पशु बर्बाद कर रहे हैं। खून-पसीना एक कर फसल तैयार कर रहे किसान इस बर्बादी से चिंतित हैं। क्षेत्र के किसानों की फसलों को छुट्टा जानवर बर्बाद कर रहे हैं। बर्बाद हो रही फसल को देख अब किसानों का खेती से मोह भंग हो रहा। क्षेत्र के तमाम किसानों का कहना है कि आमतौर पर खरीफ की फसल गंगा के बाढ़ के कोप का शिकार होती है। लेकिन किसान की सारी आशा रबी की फसल पर टिकी होती है। इस बार नीलगाय, छुटटा पशु तेजी से किसानों की फसलों को चट कर रहे हैं। भैंस्की, गुलचपा, हैबतपुर गोशालाएं मौजूद होने के बावजूद भी क्षेत्र में छुट्टा और बेसहारा जानवर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। भेष्की गांव में मौजूद गोशाला को छोड़ दिया जाय तो अन्य गोशालाओं की स्थिति काफी बुरी है। इतना ही नहीं इन गोशालाओं में पूर्व में जो जानवर रखे गए थे संख्या उससे काफी कम हो गई है। गोशालाओं में पशुओं की कमी क्यों हो रही है यह चिंतनीय है।
बिगड़ैल सांड के हमले से अधेड़ की हुई थी मौत।
उतरांव थाना क्षेत्र के वल्दिहा गांव में बिगड़ैल सांड़ को पुलिस ने ब्लाकमियों, ग्रामीणों की मदद से पकड़ लिया। बिगड़ैल सांड़ को गोशाला में भेज दिया गया है। थाना क्षेत्र के भिऊरा गांव निवासी योगेन्द्र उर्फ नेता गोस्वामी (55) पुत्र पारस गोस्वामी उतरांव थाने के सामने से होते हुए घर जा रहे थे। अचानक बिगड़ैल सांड़ ने हमला कर दिया। घटना में योगेन्द्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे। अस्पताल ले जाते समय बीच रास्ते में मृत्यु हो गई थी।
दूध नहीं देने वाली गायों को गोशाला में छोड़ रहे किसान
जब तक गाए दूध देती है तब तक किसान उसे घर में पालता है जैसे ही गाय दूध देना बंद करती है किसान उसे गोशाल या खेतों में छोड़ देता है। मना करने पर गोशाला में काम कर रहे मजदूरों से झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। आवारा पशुओं को किसान हांक कर यहीं ले आते हैं। जगह कम होने से पशुओं को रखने की समस्या होती है।
कई साल से परती हैं, कछार के सैकड़ों बीघा खेत
सरकारें व विभिन्न राजनैतिक पार्टियों किसानों के हितैषी होने का दंभ भरती हैं लेकिन वह आम आदमी की समस्या से कोसों दूर है।सैदाबाद के धोकरी, संग्रामपट्टी, जमशेदपुर, बजहां मिश्रान, गनेशीपुर गांव के कछार के किसान छुट्टा पशुओं से परेशान हैं। बीते दो सालों से कछार के हजारों हेक्टयर खेत परती है। रबी व जायद की फसल इसलिए नहीं हो पा रही हैं, क्योंकि यहां शहर से पकड़े गए सैकड़ों आवारा मवेशियों को छोड़ दिया गया है।
तेजी से हो रहा है युवाओं का पलायन
जिन इलाके में खेती ही भी रही है यह घाटे का सौदा साबित हो रही है। यही वजह जह है कि युवा पलायन कर रहे है। गांव में इनके सामने रोजी रोटी की समस्या है। गांव में लगभग हर घर से एक बाहर के राज्यों में नौकरी कर रहा है। धौकरी गाव के किसानों ने बताया कि बीते दो साल बाद से पूरे गांव में पानी भर गया या। खेतों में महीनो पानी भरा था। बाढ़ के कारण फसले नष्ट हो गई थी। लेकिन सरकार ने कोई मुआवजा नहीं दिया।
बोले जिम्मेदार
पशुओं को छोड़ने के बाद उन्हें छुट्टा का नाम दे दिया जाता है। प्रदेश सरकार किसानों की हितैषी है। किसानों की फसलों को छुट्टा पशुओं से बचाने के लिए बाड़बंदी के लिए 60 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। क्षेत्र में तीन गोशालाएं मौजूद है जिनकी क्षमता 50 से 100 पशुओं के बीच है। गोशालाओं की क्षमता को बढ़ाकर 300 से 500 पशु तक किया जा रहा है।
-राजेन्द्र सिंह पटेल, ब्लॉक प्रमुख, सैदाबाद
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हमारी भी सुनें
ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में आवारा पशुओं का जमघट किसानों के लिए चुनौती है। आवारा पशु फसलों को नष्ट कर रहे हैं। छुट्टा जानवर की अनवरत वृद्धि होने के कारण किसान परेशान हैं।
-कृष्णराज यादव, सपा नेता
छुट्टा पशु झुंड में खेतों में पहुंच रहे हैं और फसल बर्बाद कर दे रहे हैं।छुट्टा पशुओं के कारण काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। दिन में तो किसी प्रकार फसलों की रखवाली हो जाती है, लेकिन रात के समय में फसल बचाना मुश्किल हो रहा है।
-राघवेंद्र सिंह, शिक्षक
ग्राम सभा दुमदूमा मे आवारा पशुओं से ग्रामीण बहुत ही ज्यादा परेशान रहते है। इतनी संख्या मे आवारा पशुओं का झुण्ड पता नहीं कहा से आ जाता।किसान बेचारे चाहे ठंड का मौसम हो या और कोई महीना सबसे ज्यादा परेशान होते है। इनकी समस्या का निदान युद्धस्तर पर सरकार को करना चाहिए।
-सुरेंद्र यादव गुग्गू, प्रतिनिधि जिला पंचायत सदस्य
आवारा पशुओं के कारण खेती नहीं हो पा रही है संसाधन के अभाव में हर किसान बाड़बंदी नहीं कर सकता है। जरूरी इंतजाम होने चाहिए।
-प्रमोद त्रिपाठी, पूर्व ब्लॉक प्रमुख
वर्तमान समय में छुट्टा पशुओं की समस्या एक प्रमुख समस्या हो गई है इसकी वजह से से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें फसलें नष्ट होना, किसानों पर हमले और पशुओं की बीमारी भी शामिल है।
-उन्मुक्त त्रिपाठी, समाजसेवी
छुट्टा पशु, विशेषकर गेहूं और दलहनी फसलों को नष्ट कर देते हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हों रहा है,कुछ मामलों में, छुट्टा पशु किसानों पर हमला कर सकते हैं, जिससे उन्हें चोटें लग जाती हैं।
-संतोष यादव, चेयरमैन, सैनिक ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन
छुट्टा पशुओं में बीमारियाँ फैल रही हैं, जिससे वे कमजोर हो रहे हैं और इस से उनकी मृत्यु भी हो सकती है। छुट्टा पशुओं का संख्या बढ़ने से पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि वे अधिक संसाधनों का उपयोग करते हैं और गंदगी फैलाते हैं।
-डा परवेज
छुट्टा पशुओं की समस्या से समाज में तनाव और संघर्ष भी बढ़ रहा है।यह समस्या कई ग्रामीण क्षेत्रों में आम है और किसानों को इससे निपटने के लिए उपाय ढूंढने की आवश्यकता है।
-अमरजीत यादव, समाजसेवी
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