गोरखपुर मठ और मुख्यमंत्री के नाम पर फर्जीवाड़ा, गिरोह का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार
संभल में पुलिस ने गोरखपुर मठ और मुख्यमंत्री के नाम पर फर्जीवाड़ा और वसूली कर रहे सरगना समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इन लोगों ने व्यवसायी विपुल गुप्ता को गोरखपुर मठ का नाम लेकर धमकाया था। इंस्पेक्टर से ट्रांसफर के नाम पर 20 हजार मांगे थे।

गोरखपुर मठ के नाम पर धमकाकर वसूली करने और मुख्यमंत्री जनता दर्शन के फर्जी पत्रों से अफसरों पर दबाव बनाने वाले गिरोह का रविवार को पुलिस ने भंडाफोड़ किया। पुलिस ने गिरोह के सरगना नागेंद्र निवासी बाराबंकी और उसके दो साथियों सुधीर कुमार मिश्रा तथा राजू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपियों के पास से तीन मोबाइल फोन, फर्जी मुहरें और हस्ताक्षरयुक्त तीन प्रार्थना पत्र बरामद किए गए हैं। गिरोह के सदस्यों ने शहर के व्यवसायी विपुल गुप्ता को भी गोरखपुर मठ का नाम लेकर धमकाया था।
पुलिस के अनुसार, गिरोह इंटरनेट के जरिये मुख्यमंत्री के असली प्रार्थना पत्रों की स्टांप व हस्ताक्षर की नकल कर फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। इसके बाद खुद को गोरखपुर मठ से जुड़े व्यक्ति बताते हुए संबंधित अधिकारियों को फोन कर प्रार्थना पत्र के पक्ष में कार्रवाई करने का दबाव डालते थे। पूछताछ में सामने आया कि गिरोह का मुख्य कार्य था भूमि विवादों का निपटारा कराने के नाम पर रकम वसूलना। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंघल के भाई कपिल सिंघल ने ही नागेंद्र से संपर्क कर व्यवसायी विपुल गुप्ता को धमकवाया था।
गिरोह के सदस्यों ने खुद को गोरखपुर मठ का व्यक्ति बताकर विपुल गुप्ता से छह करोड़ रुपये हड़पने की कोशिश की थी। इसके लिए कपिल सिंघल ने आरोपियों को 30 हजार रुपये भी दिए थे। इसी गिरोह ने हजरतनगर गढ़ी के थाना प्रभारी अनुज तोमर के सरकारी और निजी नंबर पर फोन कर खुद को गोरखपुर मठ से 'राज आचार्य' बताते हुए बात की थी। उन्होंने थाना प्रभारी का तबादला अच्छी जगह कराने का लालच देते हुए 20 हजार रुपये की मांग की थी।
ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा
गिरोह के सदस्य जनता से जमीन से जुड़े विवादों के प्रार्थना पत्र जुटाते थे। फिर इंटरनेट से मुख्यमंत्री जनता दर्शन के असली पत्रों की मुहर और हस्ताक्षर की नकल कर नए पत्र तैयार करते थे। राजू शिकायतकर्ता की भूमिका निभाता था, सुधीर फर्जी दस्तावेज तैयार करता और नागेंद्र अधिकारी से संपर्क कर गोरखपुर मठ का नाम लेकर काम कराने का दबाव बनाता था। काम निकलवाने के बदले में शिकायतकर्ता से 20 से 50 हजार रुपये तक वसूले जाते थे, जिसे गिरोह के सदस्य आपस में बांट लेते थे।
करोड़ों की संपत्ति हड़पने के लिए कपिल ने कराया था फोन: एसपी
संभल। एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि कपिल सिंघल की बाराबंकी निवासी नागेंद्र से लखनऊ में मुलाकात हुई थी। विपुल गुप्ता को धमकाकर छह करोड़ रुपये की धनराशि हड़पने के लिए फोन कराया था। नागेंद्र, सुधीर कुमार मिश्रा ने अलग-अलग नंबरों से विपुल गुप्ता को फोन किया था। जांच में यह भी सामने आया है कि कपिल सिंघल ने 30 हजार रुपये आरोपियों को दिए थे। पुलिस की जांच अभी आगे जारी है, जो भी तथ्य विवेचना में सामने आएंगे, उसी के अनुसार कार्रवाई आगे बढ़ेगी।