बोले फिरोजाबाद: नर्सिंग छात्रों को कोर्स के बाद नौकरी की है दरकार
Firozabad News - उपचार के संसाधन बढ़ने के बावजूद लोगों में बीमारियों की संख्या बढ़ रही है। नर्सिंग के छात्रों ने संवाद के दौरान बताया कि साफ-सफाई की कमी और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं।...

उपचार के संसाधन बढ़ रहे हैं, लेकिन इसके साथ-साथ लोगों में बीमारियां भी बढ़ रही हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में आने वाले छात्र-छात्राएं भी लोगों की सेवा करने के लिए ही इस पेशे में आते हैं, लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद उनके हाथ निराशा लगती है, क्योंकि पढ़ाई के बाद उन्हें कभी तो प्राइवेट नौकरी या फिर कभी संविदा पर काम करना पड़ता है। कभी-कभी तो इन छात्राओं को फर्जी अस्पतालों में भी काम करना पड़ता है। हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद अभियान के तहत नर्सिंग के छात्रों ने भविष्य में आने वाली समस्याओं पर संवाद किया।
हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद के तहत स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय के कॉलेज ऑफ नर्सिंग में अध्ययनरत बीएससी चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र छात्राओं से संवाद किया गया। संवाद के दौरान नर्सिंग के छात्र-छात्राओं ने सबसे पहले लोगों के स्वास्थ्य को लेकर बात की। कहा कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के बाद भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इन बीमारियों के पीछे सबसे बड़ी वजह है शहर के कई क्षेत्रों में साफ-सफाई न होना तो गांव-देहात में भी इस तरह की समस्याए लोगों के लिए परेशानी की वजह बन रही हैं। दौड़ती-भागती दिनचर्या में लोग मानसिक तनाव के भी शिकार हो रहे है।
संवाद के अगले चरण में नर्सिंग छात्रों ने कहा कि परिवार के लोग काफी पैसा खर्च करके हमें पढ़ाते हैं, लेकिन पढ़ाई के बाद नौकरी की कहीं कोई गारंटी नहीं है। हम लोग पढ़ाई के दौरान अपने आसपास के इलाके में दौरे पर जाते हैं। हमें जानकारी होती है कि किस क्षेत्र के लोग किस समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में सरकार यदि हमें नौकरी की सुरक्षा दे तो हम और बेहतर तरीके से लोक सेवा कर सकते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि कहां क्या जरूरत है। हमारा पूरा प्रशिक्षण ही इसी आधार पर किया जाता है।
छात्रों ने कहा कि नर्सिंग का कोर्स करने के बाद कुछ छात्रों को ही सरकार नौकरी मिल पाती है। बाकी लोगों को प्राइवेट नौकरी या फिर संविदा पर काम करना पड़ा है। ऐसे में उन लोगों के सामने अपना घर चलाने की भी समस्या आती है। क्योंकि जरूरत के हिसाब से उन्हें पैसा नहीं मिल पाता है। संवाद के दौरान एक छात्रा ने बताया कि परिवार ने बड़ी उम्मीदों के साथ उसका दाखिला नर्सिंग के कोर्स में कराया है। यदि भविष्य में उसे सरकारी नौकरी नहीं मिली तो परिवार का क्या होगा।
अनियमित दिनचर्या भी बीमारियों की वजह:
नर्सिंग छात्रों की मानें तो अनियमित दिनचर्या भी बीमारियों की प्रमुख वजह है। इन क्षेत्रों में खान-पान का भी कोई वक्त नहीं है। वहीं अक्सर काम करने के बाद बगैर हाथ धोए ही खाना खाने लगते हैं तो कई बार तो बच्चे काम करते वक्त ही खाना खाते हुए
दिखाई देते हैं। इसके लिए इन क्षेत्रों में हाईजीन के प्रति जागरूक करना होगा। हैंड वॉशिंग का महत्व बताने के साथ में इसके प्रयोग की आदत डालनी होगी। इससे कई तरह की बीमारियों को इन क्षेत्रों में फैलने से रोकना होगा।
ये है इनकी राय
खैरगढ़ में नर्सिंग छात्रों के साथ अध्ययन किया तो कई तरह की समस्याएं सामने आईं। मानसिक रूप से बीमार लोग चिकित्सकों के पास न जाकर झाड़ फूंक करने वालों से इलाज करा रहे हैं, जो गलत है। 15 दिन से खांसी हो रही है, लेकिन लोगों के लिए यह सामान्य बीमारी है। अपनी जांच भी कराना जरूरी नहीं समझ रहे। इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा।
-श्रीनिवास, संकाय सदस्य
नर्सिंग छात्रों के साथ नगला बरी में भ्रमण किया तो देखा कि वहां के लोगों का हाईजीन की तरफ ध्यान कम है। कोई भी बीमारी होने पर झोलाछाप से दवा लेकर घर बैठ जाते हैं। कई बार गलत इंजेक्शन लगने से गांठ बन जाती है। संक्रामक रोगों के फैलने की असली वजह इन इलाकों का काफी घना होना भी है। एक एक कमरे में तीन से चार सदस्यों का परिवार रह रहा है।
-विपुल कुमार, संकाय सदस्य
अगर हमें स्वस्थ रहना है तो सुबह के वक्त व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। व्यायाम के साथ में हाईजीन पर ध्यान देते हुए खान-पान का भी व्यवहार बदलना होगा।
-हिमांशु
आजकल लोग खान-पान पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। फास्ट फूड को लेकर हर वर्ग में क्रेज बढ़ रहा है, जो गलत है। बच्चों को बचपन से ही इससे दूर रख कर स्वस्थ बनाया जा सकता है।
-मेहरूनिशा
कई क्षेत्रों में बीमारियों की असली वजह है स्वच्छता का ध्यान नहीं रखना। खाद्य पदार्थों के सेवन के वक्त साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए तो हम कई तरह की बीमारियों से बच सकते हैं।
-पारुल यादव
मानसिक बीमारियों की समस्या छोटे-छोटे तनाव से होती है। अगर कोई बच्चा एवं व्यस्क तनाव महसूस करता है तो अपने करीबियों से बात कर इसे कम कर सकता है। अपनी परेशानी को मन में रखने से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।
-श्रुति
हमें खुद को स्वस्थ रखने के लिए जागरूक होना पड़ेगा। मन एवं तन की सफाई के साथ आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए क्योंकि वातावरण भी स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है।
-अंजली
मेंटली डिप्रेशन के मरीज इनि दिनों बढ़ रहे हैं। इसे कम करने की जरूरत है। इसके लिए सबसे पहले मेडीटेशन करना चाहिए तथा मरीजों को चिकित्सकों से भी सलाह लेनी चाहिए।
-निशु राय
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।