संभल के मृत्यु कूप की खुदाई शुरू, जानें क्या है इस कुएं की धार्मिक मान्यता
संभल में धार्मिक स्थलों की खोज के लिए खुदाई का सिलसिला चल रहा है। इसी क्रम में जामा मस्जिद के पास एक पुराना कुआं मिला है। गुरुवार को जिला प्रशास ने इस प्राचीन मृत्यु कूप की खुदाई और जीर्णोद्धार का भी काम शुरू करा दिया।
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शिव मंदिर के बाद यहां के धार्मिक स्थलों की खोज के लिए खुदाई का सिलसिला चल रहा है। मंदिर के बाद रानी की बावड़ी की खुदाई का काम भी पांच दिन से चल रहा है। इस बीच अब कोतवाली थाना क्षेत्र के अंतर्गत कोट पूर्वी में एक पुराना कुआं मिला है। गुरुवार को जिला प्रशास ने इस प्राचीन मृत्यु कूप की खुदाई और जीर्णोद्धार का भी काम शुरू करा दिया।
शाही मस्जिद से मृत्यु कूप कुछ ही दूरी पर है। संभल में पुराणों में वर्णित अति प्राचीन और धार्मिक महत्व के माने जाने वाले कुओं की पहचान कर उनकी खुदाई और जीर्णोद्धार की पहल के तहत यह कार्य किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, वर्षों पूर्व इन कुओं को या तो ऐसे ही छोड़ दिया गया था या इनमें मलबा भरकर इन्हें पाट दिया गया था। इन कुओं को लेकर लोगों की ऐसी मान्यता है कि इनके पानी से स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
क्षेत्र के पार्षद गगन वार्ष्णेय ने कहा, "आज संभल के ऐतिहासिक मृत्यु कूप की खुदाई शुरू की गई है। यह बहुत प्राचीन कूप है। यह खुदाई नगर पालिका के सहयोग से की जा रही है। मृत्यु कूप को लेकर मान्यता है कि यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।" स्थानीय लोगों का कहना है कि मृत्यु कूप की खुदाई और जीर्णोद्धार से संभल में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह कुआं शाही जामा मस्जिद के पास है जहां पिछले महीने सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी।
बावड़ी के रहस्यों को उजाकर करने में जुटी राज्य पुरातत्व विभाग
मोहल्ला लक्ष्मण गंज में स्थित ऐतिहासिक बावड़ी के रहस्यों को जानने के लिए राज्य पुरातत्व विभाग की दो सदस्यीय टीम ने बुधवार संभल पहुंची की। डीएम के निर्देश पर पिछले 5 दिनों से बावड़ी की खोदाई का काम लगातार जारी है, जिसमें कई ऐतिहासिक संरचनाएं और महत्वपूर्ण अवशेष सामने आ रहे हैं। पुरातत्व विभाग की टीम ने करीब चार घंटे तक खुदाई का निरीक्षण किया।