Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Electricity workers angry with statement of Ak Sharma when reforms are happening then what is meaning of privatization

ऊर्जा मंत्री के बयान से बिजलीकर्मियों में उबाल, बोले-जब सुधार हो रहा तब निजीकरण का मतलब क्या

निजीकरण के विरोध का नेतृत्व कर रहे विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा द्वारा द्वारा यह कहे जाने पर कि पावर कारपोरेशन में कोई प्रेरक तत्व नहीं है पर विरोध दर्ज कराया है। कर्मचारियों का कहना है कि जब सुधार हो रहा है तब निजीकरण का क्या मतलब है।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, विशेष संवाददाता, लखनऊWed, 18 Dec 2024 09:39 PM
share Share
Follow Us on

निजीकरण के विरोध का नेतृत्व कर रहे विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा द्वारा द्वारा यह कहे जाने पर कि पावर कारपोरेशन में कोई प्रेरक तत्व नहीं है पर विरोध दर्ज कराया है। समिति ने कहा है कि बिना किसी प्रेरक तत्व के ही यूपी के बिजलीकर्मियों ने देश में स‌बसे अधिक बिजली आपूर्ति का कीर्तिमान कर दिखाया है। यदि सरकार और प्रबंधन से मोटीवेशन मिलता है तो राज्य के बिजलीकर्मी और बड़ा कीर्तिमान स्थापित करने में सक्षम हैं।

गलत आंकड़ों के जरिए बिजली कंपनियों के निजीकरण की कोशिशें कामयाब नहीं होने दी जाएंगी। 19 दिसंबर को देशभर के बिजलीकर्मियों के साथ यूपी के बिजली कर्मी “शहीदों के सपनों का भारत बनाओ-बिजली का निजीकरण हटाओ” दिवस मनाएंगे।

आज निजीकरण के विरोध में नाट्य प्रस्तुति भी होगा

संघर्ष समिति ने कहा है कि 19 दिसंबर को काकोरी क्रांति के शहीदों के बलिदान दिवस पर पं. राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी के चित्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित कर देशभर के करीब 27 लाख बिजली कर्मचारी पूरे देश में “शहीदों के सपनों का भारत बनाओ-बिजली का निजीकरण हटाओ“ दिवस मनाएंगे। यूपी के सभी जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर शाम पांच बजे के बाद सभाएं की जाएंगी। इस कार्यक्रम में पॉवर कारपोरेशन को निजीकरण से बचाने के लिए शहीदों के चित्र के सामने बिजलीकर्मी शपथ लेंगे। लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल में विशाल सभा के साथ बिजली का निजीकरण हटाओ विषय पर एक नाट्य प्रस्तुति भी की जाएगी।

संघर्ष समिति के पदाधिकारी राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, एके श्रीवास्तव ने कहा है कि ऊर्जा मंत्री ने बुधवार को कहा था कि कल यह वक्तव्य दिया है कि उत्तर प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर बिजली का निजीकरण किया जाना इसलिए आवश्यक हो गया क्योंकि पावर कारपोरेशन में कोई प्रेरक तत्व नहीं है। इन्होंने ही यह भी कहा है कि योगी सरकार में बिजली के क्षेत्र में प्रतिमान परिवर्तन हुआ है और मौजूदा सरकार के समय में देश में सर्वाधिक बिजली आपूर्ति का रिकॉर्ड यूपी में बिजली कर्मियों के सहयोग से बनाया गया है।

जब सुधार हो रहा है तब निजीकरण का मतलब क्या

संघर्ष समिति ने एक बार फिर कहा है कि बिजली के क्षेत्र में निजीकरण का पीपीपी मॉडल ओडिशा और दिल्ली में पहले ही विफल हो चुका है। यूपी में आरडीएसएस स्कीम के तहत हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बाद जब तेजी से सुधार हो रहा है तब पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को निजी घरानों को सौंपने का क्या मतलब है? यदि समान स्तर का खेल का मैदान मिले तो यूपी के बिजली कर्मचारी किसी भी निजी कंपनी को पछाड़ देने की क्षमता रखते है।

बिजली पंचायत में कर्मचारी महासंघ भी शामिल होगा

अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने यूपी में बिजली कंपनियों के निजीकरण का विरोध किया है। महासंघ ने निजीकरण के खिलाफ 22 दिसंबर को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत का समर्थन करते हुए इसमें शामिल होने का ऐलान किया है। महासंघ ने केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ में मुनाफे वाली बिजली व्यवस्था को कौड़ियों के भाव निजी हाथों में सौंपने की निंदा भी की है। 25 दिसंबर को चंडीगढ़ में होने वाली बिजली महापंचायत का भी पुरजोर समर्थन किया हॆ। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के राज्य संरक्षक एसपी सिंह, कमलेश मिश्रा, नरेंद्र प्रताप सिंह तथा राज्य अध्यक्ष कमल अग्रवाल ने बताया है कि 22 दिसंबर की बिजली महापंचायत में अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा भी भाग लेंगे।

एनपीसीएल और टोरेंट की जांच पत्रावली देख लें मंत्री तो सच्चाई सामने आ जाएगी

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा द्वारा उत्तर प्रदेश में कार्यरत निजी क्षेत्र की दो कंपनियां एनपीसीएल और टोरेंट पावर की तारीफ किए जाने पर आपत्ति दर्ज की है। कहा है कि ऊर्जा मंत्री को निजी क्षेत्र की इन दोनों कंपनियों की सच्चाई पता नहीं है। पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने इन दोनों कंपनियों की उच्च स्तरीय जांच कराई थी। जिसे उजागर नहीं होने दिया गया। ऊर्जा मंत्री को इन दोनों कंपनियों की जांच पत्रावली को देखनी चाहिए।

ये भी पढ़ें:सौर ऊर्जा से रोशन होंगे 35 स्टेशन और कॉलोनियां, 1.82 करोड़ की बचत होगी

अवधेश वर्मा ने कहा है कि टोरेंट पावर ने आज तक 2200 करोड़ रुपये बकाया वसूलकर क्यों नहीं दिया। एनपीसीएल की बिजली दरें दस फीसदी इसलिए कम हैं क्योंकि इस कंपनी के उपभोक्ताओं की सरप्लस धनराशि कंपनी पर निकल रहा था। परिषद द्वारा नियामक आयोग में कानूनी लड़ाई लड़कर एनपीसीएल के उपभोक्ताओं को यह छूट दिलाने का काम किया गया है। परिषद ने नियामक आयोग में यह मुद्दा उठाया था कि एनपीसीएल अपने एमडी को 55 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन देता है और औसत बिजली खरीद से ज्यादा उपभोक्ताओं से वसूल करता है। जिसके बाद एनपीसीएल पर उपभोक्ताओं के निकल रहे 427 करोड़ रुपये सरप्लस के एवज में दरों में 10 फीसदी कमी का आदेश हुआ। उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार ने ही वर्ष 2018 में नोएडा पावर कंपनी लि. (एनपीसीएल) को इस बात के लिए नोटिस दिया था क्योंकि कंपनी तय रोस्टर से कम बिजली नोएडा के गांवों को दे रही थी।

अगला लेखऐप पर पढ़ें