निजीकरण को लेकर बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा, UPPCL ने भी हड़ताल से निबटने की तैयारी तेज की
यूपी में बिजली कर्मचारियों में निजीकरण को लेकर भारी गुस्सा पनप रहा है। इसे लेकर आंदोलन और हड़ताल की तैयारी है तो दूसरी तरफ हड़ताल से निबटने के लिए यूपी पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने भी तैयारी तेज कर दी है।
यूपी में बिजली कर्मचारियों में निजीकरण को लेकर भारी गुस्सा पनप रहा है। इसे लेकर आंदोलन और हड़ताल की तैयारी है तो दूसरी तरफ हड़ताल से निबटने के लिए यूपी पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने भी तैयारी तेज कर दी है। पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ने सिंचाई, पीडब्ल्यूडी और आरईडी को पत्र लिखकर बिजली इंजीनियरों को तैयार रखने को कहा है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि पावर कारपोरेशन के इंजीनियरों के हड़ताल से इनकार नहीं किया जा सकता है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने यूपीपीसीएल के निजीकरण के कदम को लेकर यूपी के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के एक ट्वीट को लेकर निशाना साधा है। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने एक्स पर ट्वीट करके कल लिखा कि माननीय प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से डबल इंजन की सरकार के नेतृत्व में प्रदेश के विद्युत विभाग में ऐतिहासिक कार्य हुआ है। दूसरी ओर पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल रोज बता रहे हैं कि पावर कारपोरेशन भारी घाटे में आ गया है। उसे सरकारी क्षेत्र में चला पाना संभव नहीं है। पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष ने उत्पादन व पारेषण के कर्मचारियों को संयुक्त उपक्रम में प्रतिनियुक्ति पर भेजने की बात कहकर उत्पादन और पारेषण के निजीकरण का भी खुलासा कर दिया है। इससे बिजलीकर्मियों में भारी गुस्सा है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि एक ओर प्रबन्धन यह कह रहा है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 133 के तहत कर्मचारियों की सेवा शर्तें प्रतिकूल नहीं होंगी। वहीं, दूसरी ओर उत्पादन निगम व पारेषण निगम में कार्यरत अभियन्ता और कर्मचारियों को 50 प्रतिशत तक संयुक्त उपक्रम के मेजा एनटीपीसी एवं नवेली लिग्नाईट कारपोरेशन में भेजने की बात कहकर प्रबन्धन ने यह खुलासा कर दिया है कि वितरण के साथ ही उत्पादन निगम व पारेषण निगम का भी निजीकरण किये जाने का निर्णय है।
उन्होंने कहा कि देश के किसी भी सार्वजनिक उपक्रम में 50 प्रतिशत तक प्रतिनियुक्ति का कोई उदाहरण नहीं है। एनटीपीसी की एचआर पॉलिसी में प्रतिनियुक्ति का प्राविधान ही नहीं है। ऊँचाहार और टाण्डा बिजली घर जब एनटीपीसी को बेचे गये थे तब उप्र राज्य विद्युत परिषद के किसी कार्मिक को एनटीपीसी ने नहीं लिया था। सभी कार्मिकों को वापस आना पड़ा था।
निजीकरण के बाद आगरा व ग्रेटर नोएडा में भी विद्युत परिषद के किसी कार्मिक को निजी कम्पनी ने नहीं रखा। सबको वापस आना पड़ा था। अब जब बड़े पैमाने पर वितरण, पारेषण व उत्पादन का सम्पूर्ण निजीकरण किया जा रहा है तब कार्मिकों की भारी पैमाने पर छंटनी के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि बिजलीकर्मी किसी कीमत पर निजीकरण स्वीकार नहीं करेंगे और सभी लोकतांत्रिक कदम उठाते हुए निजीकरण का प्रबल विरोध करेंगे।
संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारी राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ऊर्जा मंत्री अरविन्द कुमार शर्मा जी से अपील की है कि वे प्रभावी निर्देश दें। इससे विद्युत विभाग में ऐतिहासिक सुधार के बावजूद निजीकरण के मनमाने बयान देने से पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को रोका जा सके और कर्मचारी व अभियन्ता पूर्ण मनोयोग से बिजली व्यवस्था के सुधार में लगे रहें और अनावश्यक भ्रम न उत्पन्न हो।