Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Earned Rs 30 crore in 45 days the success story of the boatman family whose story was narrated by cm Yogi came forward

महाकुंभ में 30 करोड़ कमाने वाला नाविक परिवार कौन? पता चल गया नाम; CM योगी ने सुनाई थी सक्सेस स्टोरी

महाकुंभ में 45 दिन में 30 करोड़ कमाने वाले जिस नाविक परिवार की सक्सेस स्टोरी मंगलवार को विधानसभा में सुनाई वह सामने आया है। यह महरा परिवार प्रयागराज के अरैल में रहता है। परिवार में करीब सौ सदस्य हैं। इनके पास 130 नावें हैं।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, प्रयागराज (नैनी), हिन्दुस्तान संवादWed, 5 March 2025 10:23 PM
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महाकुंभ में 30 करोड़ कमाने वाला नाविक परिवार कौन? पता चल गया नाम; CM योगी ने सुनाई थी सक्सेस स्टोरी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को विधानसभा में महाकुंभ में 45 दिनों में 30 करोड़ कमाई करने वाले एक नाविक परिवार की सफलता की कहानी सुनाई। सीएम ने किसी का नाम नहीं लिया था पर गुरुवार को वह नाविक का परिवार सामने आ गया। प्रयागराज के अरैल में रहने वाले पिंटू महरा परिवार के घर बुधवार को मीडिया का जमावड़ा लगा रहा। परिवार के सदस्य महाकुंभ में हुई कमाई से गदगद हैं और वे इस कमाई के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देते हुए इसे गंगा मइया की असीम कृपा बता रहे हैं।

महरा परिवार बहुत बड़ा है, जिसमें कुल 100 सदस्य हैं और इस परिवार में 130 नावें हैं। नाव संचालन ही इस परिवार का मुख्य व्यवसाय है। इस परिवार के सदस्यों का कहना है कि सीएम जितनी बता रहे हैं, उतनी ही कमाई हुई लेकिन परिवार बड़ा है, किसी एक को यह पैसा नहीं मिला, जो पैसा आया है सब बंट गया है। पिंटू महरा का कहना है कि हम लोगों ने जितना सोचा नहीं था उससे ज्यादा कमाया है। पिंटू और उनकी मां शुकलावती देवी का कहना है कि महाकुम्भ में बेहतर प्रबंधन से श्रद्धालुओं की संख्या में जो वृद्धि हुई, उसकी वजह से न केवल उनकी बल्कि सभी नाविकों की उम्मीद से ज्यादा कमाई हुई।

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पहले से हो गया था अनुमान, दोगुनी की नावें

पिंटू महरा के के अनुसार उसने 2019 के कुम्भ के दौरान भी नाव चलाई थी। उस कुम्भ से ही उसका अनुमान हो गया था कि इस बार के महाकुंभ में बहुत श्रद्धालु आने वाले हैं। महाकुंभ के पहले नावों की संख्या दोगुनी करते हुए पूरे परिवार के लिए 70 नई नावें खरीदीं। पहले से उसके सौ से अधिक सदस्यों वाले परिवार में 60 नावें थीं। इस तरह इन 130 नावों को उसने महाकुम्भ में उतार दिया। नाव खरीदने के लिए परिवार की महिलाओं के गहने बेचने की बात भी कही जा रही है।

यह पहला मौका था जबकि इतने लंबे समय तक नावों की बुकिंग हुई। महरा परिवार इस कमाई से अपनी नावों का विस्तार करने और भविष्य में इस व्यवसाय को और अधिक संगठित रूप देने की योजना बना रहा है।

किला वीआईपी घाट के नाविक भी कमाई से खुश

संगम के दो मुख्य घाट हैं, इनमें से एक है अरैल और दूसरा है किला के पास बना वीवीआई घाट। नावें दोनों तरफ लगती हैं। अरैल वाला हिस्सा ज्यादा कमाई वाला इसलिए रहा क्योंकि वहां पर वीआईपी अतिथि ज्यादा आए। पुलिस और प्रशासन सहित अन्य विभागों के वीआईपी घाट इसी ओर बनाए गए थे। पिंटू महरा परिवार की नावें इसी ओर संचालित हो रही थीं। दूसरे सिरे के नाविक भी महाकुम्भ में हुई कमाई से संतुष्ट हैं। किला के पास स्थित वीआईपी घाट पर मौजूद नाविकों का कहना है कि वो 45 दिन कभी नहीं भूलेंगे। यहां पर जिनके पास कम नाव थी, उन्हें भी गंगा मइया का आशीष मिला।

नाव चलाने वाले राकेश निषाद का कहना है कि एक परिवार दक्षिण भारत से आया। जब नाविक संगम स्नान कराकर लाया तो परिवार ने पारिश्रमिक पूछा, नाविक ने एक उंगली दिखाई तो परिवार ने एक लाख रुपये के साथ कुछ और रुपये दिए, बाद में गिना तो कुल एक लाख 60 हजार रुपये हाथ में थे। वहीं हरेश का कहना है कि एक परिवार ने छोटी सी स्वर्ण प्रतिमा यहां पर दान में दी थी। हालांकि अधिकांश लोगों ने अपने स्वभाव के अनुसार किराया तय कराया, लेकिन इस बार तमाम दानी भी आए, जिन्होंने स्नान के बाद दिल खोलकर दान किया।

श्रमिकों को भी एक दिन में मिला चार से पांच हजार

एक नाविक ने बताया कि उनके पास नाव नहीं है। वो लालापुर ये यहां आए हैं, दारागंज के परिवार की नाव उन्होंने ली है। महाकुम्भ के दौरान एक ट्रिप का उन्हें 500 रुपये मिल जाता था। जो सामान्य दिनों में 50 से 100 रुपये मिलता है। नाव मालिक ही सवारी लेकर आते थे, वो कितने में तय करते थे, इसकी जानकारी नहीं थी। दिन में 10 फेरा करने पर उन्हें भी पांच हजार रुपये तक मिल जाते थे।

14 घाटों के लिए 1400 नावों के दिए गए थे लाइसेंस

मेला प्राधिकरण ने मेला की अवधि में कुल 14 घाटों से नावों का संचालन कराया था। इसके लिए पीडब्ल्यूडी के निर्माण खंड चार ने किला घाट पर स्थित बोट टेस्टिंग कार्यालय में दस जनवरी तक जिले से कुल 1400 नावों की नाप कराई थी। नाप के बाद सभी को नावों का संचालन करने के लिए लाइसेंस दिया गया था। नाप में नाव का पटरा टूटने, कही छेद तो नहीं व दस यात्रियों के बैठने के हिसाब से पटरे की मजबूती जैसे बिंदुओं को शामिल किया गया था।

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