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अनंत महाप्रभु ने बरहज को बनाया था योग,भक्ति का केंद्र

योगिराज अनंत महाप्रभु ने बरहज को योग, अध्यात्म और भक्ति का केंद्र बनाया। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों की गुप्त रूप से मदद की। 140 वर्ष की आयु में समाधि ली, जबकि...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाTue, 17 Sep 2024 03:35 AM
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बरहज(देवरिया), विवेकानंद मिश्र। योगिराज अनंत महाप्रभु जैसे विलक्षण महापुरुष ने इस क्षेत्र को अपने चरणों से पावन किये थे। उन्होंने बरहज को योग, अध्यात्म, साधना व भक्ति का केन्द्र बनाया था। उनके द्वारा लोगों में अध्यात्म एवं योग का संचार किया गया। देवरिया एक ऐसे मनीषी के चरणों से पावन है जो योगी के साथ-साथ सच्चा राष्ट्र पुजारी था। जिसने देवरिया में योग-वैराग्य, अध्यात्म के साथ-साथ राष्ट्र-प्रेम की गंगा को प्रवाहित किया था। इस सच्चे मनीषी के वचनों से प्रभावित होकर बाबा राघवदासजी ने इसे अपना सच्चा गुरु स्वीकार किया था। अनंत महाप्रभु का जन्म सन 1777 में लखनऊ के सहादतगंज मुहल्ले में वाजपेयी परिवार में अनंत चतुर्दशी के दिन हुआ था। योगिराज अनंत महाप्रभु बनने की घटना बहुत ही रोचक है। अनंत के बाग में एक मोर नृत्य कर रहा था, तभी वहां एक अंग्रेज आया और मोर को गोली मार दी। मोर की मौत से आहत अनंत ने अपने जमादार मोकम सिंह को कहा कि इस दुष्ट फिरंगी को गोली मार दो। अनंत का आदेश मिलते ही मोकम सिंह ने फिरंगी पर गोली दाग दी। फिरंगी लहूलुहान होकर जमीन पर गिर पड़ा। यह केस कुछ दिनों तक चला और उसके बाद अनंत इससे बरी हो गए। 16 वर्ष की आयु में अपने परिवार को त्यागकर वैराग्य धारण कर लिए।

ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ की क्रांतिकारियों की मदद

अनंत महाप्रभु ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सेनानियों को एकजुट करने लगे। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इन्होंने गुप्त रूप से स्वतंत्रता सेनानियों की सहायता की। मंगल पांडेय से भी इनकी गहरी दोस्ती थी। अनंत की यह गतिविधियां अंग्रेजों से छुपी नहीं रहीं और अंग्रेजों ने इनकी खोज तेज कर दी। अनंत ने भी अंग्रेजों से बचने का रास्ता निकाल लिया और साधू वेष में रहने लगे।

गुफा में ही करते थे सरयू स्नान, 140 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

महाप्रभु कभी सरयू में स्नान करने नहीं गए। एक बार की बात है कि इनके भक्त द्वारिका प्रसाद कुछ भक्तों के साथ इनके दर्शन को गए। उन्होंने प्रार्थना किया कि महाराज सरयू के पास रहते किसी ने आपको सरयू में स्नान करते हुए नहीं देखा। द्वारिका की बातों को सुनकर योगिराज अनंत महाप्रभु मुस्कुराए। फिर द्वारिका और अन्य भक्तों को लगा कि वे लोग सरयू की तेज धार में बह रहे हैं। महान योगी एवं राष्ट्रभक्त 140 वर्ष की अवस्था में समाधिस्थ हो गये। इनकी मूर्ति बरहज स्थित परमहंस आश्रम में विराजमान है। इनके दर्शन को भक्तों की भीड़ लगती है।

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