Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Consumers will be able to claim compensation if their complaints are not resolved power companies are making plans

शिकायतों का निस्तारण न होने पर मुआवजे का दावा कर सकेंगे उपभोक्ता, बिजली कपंनियां बना रहीं ये प्लान

  • बिजली विभाग के टोल फ्री नंबर-1912 पर उपभोक्ताओं द्वारा की जाने वाली शिकायतों का फर्जी निस्तारण अब विभागीय अभियंता नहीं दिखा सकेंगे। फर्जी निस्तारण पर रोक के लिए ओटीपी व्यवस्था लागू होगी।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, लखनऊ।, विशेष संवाददाताSun, 13 Oct 2024 08:10 PM
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बिजली विभाग के टोल फ्री नंबर-1912 पर उपभोक्ताओं द्वारा की जाने वाली शिकायतों का फर्जी निस्तारण अब विभागीय अभियंता नहीं दिखा सकेंगे। फर्जी निस्तारण पर रोक के लिए ओटीपी व्यवस्था लागू होगी। बिजली कंपनियां ओटीपी व्यवस्था लागू करने का प्लान उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में तीन महीने के अंदर देंगी। शिकायतों का निस्तारण नहीं होने पर उपभोक्ता मुआवजे के लिए दावा कर सकेगा।

विद्युत नियामक आयोग द्वारा बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यक्ता (एआरआर) के आदेश में 1912 की शिकायतों के निस्तारण में ओटीपी व्यवस्था लागू करने को कहा है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने परिषद की इस मांग को पूरा करने पर नियामक आयोग के प्रति आभार व्यक्त किया है। अब उपभोक्ताओं के रजिस्टर्ड मोबाइल पर शिकायत के तुरंत बाद सेल्फ जेनरेटेड ओटीपी जारी करनी होगी। उपभोक्ता शिकायत दूर होने के बाद बताएगे कि उनकी शिकायत दूर कर दी गई है। इसके बाद ही उसे क्लोज किया जा सकेगा। इस व्यवस्था से शिकायतों का निस्तारण भी सही होगा और शिकायतों का निस्तारण समय से नहीं होने पर उपभोक्ता मुआवजा के लिए दावा कर सकेंगे। मुआवजे के लिए कहां कहें आवेदन इसकी विस्तृत जानकारी भी देनी होगी।

गलत बिलिंग पर जवाबदेही तय होगी

इसके साथ ही नियामक आयोग ने सिंगल प्वाइंट कनेक्शन लेकर बिल्डरों द्वारा उपभोक्ताओं के उत्पीड़न पर भी रोक लगाने की व्यवस्था दी है। उपभोक्ता को दिए जाने वाले बिल को सार्वजनिक करना होगा। बिजली दुर्घटनाओं होने पर निस्तारण और पीड़ित परिवार को मुआवजा कब और मिला कितना मिला, यह जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक करनी होगी। बिजली कंपनियों को ईमेल व्हाट्सएप व अन्य आनलाइन माध्यम से बिल की डिलीवरी की अनुमति दी गई है। जिसमें शर्त यह होगी कि बिलिंग की जानकारी के साथ ही उस पर बिल के लिए अधिकृत प्रतिनिधि का हस्ताक्षर होगा। जिससे गलत बिलिंग पर जवाबदेही तय हो सकेगी।

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