श्मशान घाट में खुदाई के दौरान मजदूरों के हाथ लगा खजाना, बटुए से निकले 100 ब्रिटिशकालीन सिक्के
कौशांबी जिले के पश्चिमशरीरा थाना क्षेत्र के सेंगरहा गांव में उस समय हलचल मच गई, जब अंत्येष्टि स्थल के निर्माण के लिए चल रही खुदाई के दौरान एक तांबे का बटुआ मिला। बटुए में ब्रिटिश काल के पुराने सिक्के बरामद हुए।

यूपी के कौशांबी से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक गांव में खुदाई के दौरान ब्रिटिश जमाने के सिक्कों से भरी एक पुरानी कसहड़ी में बरामद हुई। उधर, खजाने की सूचना मिलते ही आला अफसर मौके पर पहुंचे और मामले की जानकारी ली। वहीं, खजाने की खबर से मिलने से गांव में सनसनी मच गई।
ये मामला पश्चिम शरीरा इलाके के सेंगहरा गांव का है। जहां शुक्रवार की शाम अंत्योष्टि स्थल निर्माण के लिए मजदूर खुदाई का काम कर रहे थे। इस दौरान एक पुराना बटुआ मिला। जिसमें एक पुराने सिक्के से भरा हुआ था। जानकारी के मुताबिक ये सिक्के ब्रिटिश काल का बताया जा रहा है। साल 1857 से लेकर 1906 से सिक्की पीली और सफेद धातु से सिक्के बनाये जाते थे। खबरों के मुताबिक बटुए में 100 सिक्के थे। उधर, सूचना मिलने पर मौके पर ग्रामीणों की भीड़ लग गई।
जानकारी मिलने पर पुलिस प्रशासन भी मौके पर पहुंची। इस मामले में डीएम मधुसूदन हुल्गी ने बताया कि खजाना मिलने की जानकारी प्राप्त हुई थी। इसे पुलिस को सौंप दिया गया। इस मामले में पुरातत्व विभाग आगे की जांच पड़ताल करेगी कि ये खजाना कब और किस शासनकाल का है।
रामपुर की रजा लाइब्रेरी में हैं दुर्लभ सिक्के, सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त
उधर, रामपुर का मशहूर रजा लाइब्रेरी में सिर्फ पांडुलिपियां और किताबें ही नहीं दुर्लभ सिक्के भी संरक्षित हैं। जो मध्यकालीन भारत के हैं। दिल्ली सल्तनत, मुगलकालीन सल्तनत और दुर्रानी राजवंश के लगभग 15 सौ दुर्लभ सिक्कों का यह संग्रह स्कॉलर्स से लेकर सैलानियों तक के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। लाइब्रेरी में सिक्के विभाग के इंचार्ज तारिक खान ने बताया कि सिल्वर, कॉपर और सोने के 1361 सिक्के हैं। जिसमें सबसे ज्यादा सिक्के मुगल सल्तनत के हैं।
उन्होंने बताया कि सिक्कों को प्रोजल से बचाने के लिए आयरन की अलमीरा का प्रयोग किया गया है। जिसमें आद्रता और तापमान से लेकर साफ सफाई का विशेष ख्याल रखा गया है। जिसमें सिलिका जैल का इस्तेमाल किया जाता है। अगर फिर भी किसी कारण किसी सिक्के में कोई समस्या आती है तो उसको लाइब्रेरी में ही बनी प्रयोगशाला में सही किया जाता है।