विधायक को थप्पड़ मारने वाले BJP से निष्कासित, योगी से MLA की मुलाकात के बाद एक्शन
लखीमपुर खीरी में भाजपा विधायक योगेश वर्मा को सभी के सामने पिटाई के मामले में पहला एक्शन हुआ है। भाजपा ने विधायक से मारपीट करने वाले अवधेश सिंह समेत चार लोगों को पार्टी से निकाल दिया है।
लखीमपुर खीरी में भाजपा विधायक योगेश वर्मा को सभी के सामने पिटाई के मामले में पहला एक्शन हुआ है। भाजपा ने विधायक से मारपीट करने वाले अवधेश सिंह समेत चार लोगों को पार्टी से निकाल दिया है। निकाले गए लोगों में अवधेश सिंह की पत्नी पुष्पा सिंह, अनिल यादव और ज्योति शुक्ला शामिल हैं। विधायक की सीएम योगी से मुलाकात के बाद यह एक्शन सामने आया है। हालांकि अभी तक विधायक की तहरीर के बाद भी पुलिस ने अवधेश सिंह के खिलाफ एफआईआर नहीं दर्ज की है। इसे लेकर लखीमपुर में सियासी हलचल भी तेज हो गई है। अखिलेश यादव ने इसे लेकर सरकार को घेरा है। विधायक की शिकायत पर भी एफआईआर नहीं दर्ज करने को पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक से जोड़ दिया है।
भाजपा विधायक से अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के चुनाव के दौरान मारपीट की गई थी। पांच दिन बाद भी इसे लेकर कोई एक्शन हीं होने पर अखिलेश यादव ने निशाना साधा। इसी के बाद भाजपा में भी हलचल तेज हो गई। अवधेश सिंह समेत मारपीट के चारों आरोपियों को पार्टी से निकालने का फरमान आ गया। उधर, खीरी से सपा सांसद उत्कर्ष वर्मा ने भी कहा कि जब विधायक ही सुरक्षित नहीं है, तो आम लोगों का क्या होगा।
भाजपा विधायक योगेश वर्मा रविवार रात को ही लखनऊ चले गए थे। उधर, सोमवार सुबह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधायक के प्रकरण में एक्स पर पोस्ट में लिखा-सत्ताधारी दल के विधायक के अपमान की सच्ची वजह है कि वह सत्ता के विधायक होने से पहले एक पिछड़ा हैं जबकि दूसरी ओर हमला करने वाले प्रभुत्ववादी।
वहीं, लखनऊ में सपा अध्यक्ष ने लखीमपुर में विधायक से मारपीट की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि भाजपा के लोग मनमानी कर रहे हैं। लखीमपुर में जो हुआ, वह किसने नहीं देखा लेकिन क्या कार्रवाई हुई। अगर विधायक एफआईआर लिखाना चाहते हैं तो एफआईआर नहीं हुई जबकि स्वत: संज्ञान लेकर पुलिस को एफआईआर लिखनी चाहिए थी।
प्रशासन की मौजूदगी में भी विधायक सुरक्षित नहीं : सांसद
खीरी से सपा सांसद उत्कर्ष वर्मा ने भी वीडियो जारी कर विधायक का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंक चुनाव की निष्पक्षता पर विधायक ने सवाल उठाए थे। इसके बाद लोग उनके ऊपर हमलावर हो गए। विधायक के ऊपर हुए हमले की वह निंदा करते हैं। संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को जनता ने चुना है, अगर पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में विधायक सुरक्षित नहीं है तो आम लोग अपने को कैसे सुरक्षित महसूस करेंगे। घटना के चार दिन बीत जाने के बाद भी विधायक की तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। विधायक अगर अपने साथ हुई घटना की रिपोर्ट नहीं लिखा पा रहे हैं, तो यह सोचने का विषय है।