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यूपी उपचुनाव में नहीं PDA चला का दांव, ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे ने बिखेर दिया सपा की उम्‍मीदों का पहाड़

  • सत्तारुढ़ भाजपा की आक्रामक मुहिम के आगे सपा का न ‘पीडीए’ का दांव चला और न ही 90 बनाम 10 का नारा। BJP के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे के असर को रोकने के लिए सपा ने कई नारे उछाले, लेकिन यह कवायद ‘साइकिल’ की रफ्तार नहीं बढ़ा सकी।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, लोकसभा। अजित खरेSun, 24 Nov 2024 05:41 AM
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UP Politics: लोकसभा चुनाव में शानदार कामयाबी ने जिन उम्मीदों का पहाड़ सपा के लिए खड़ा किया था, उसे उपचुनाव के नतीजों ने एक झटके में बिखेर सा दिया। ऐसे में दो साल बाद होने वाली 2027 की चुनावी जंग सपा के लिए अब बड़ी चुनौती बन सकती है। सत्तारुढ़ भाजपा की आक्रामक मुहिम के आगे सपा का न ‘पीडीए’ का दांव चला और न ही 90 बनाम 10 का नारा। भाजपा के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे के असर को रोकने के लिए सपा ने कई नारे उछाले, लेकिन यह कवायद ‘साइकिल’ की रफ्तार नहीं बढ़ा सकी।

सपा ने किसी तरह करहल व सीसामऊ जैसे अपने गढ़ वाली सीटों को बरकरार रख कर कुछ प्रतिष्ठा जरूर बचाई, लेकिन बाकी सीटों पर उसे भाजपा के हाथों करारी शिकस्त खानी पड़ी। अखिलेश ने अपने पूरे प्रचार अभियान के केंद्र बिंदु में पीडीए को रखा। पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए के हिसाब से प्रत्याशी उतारे। तीन पिछड़े, चार मुस्लिम व दो मुस्लिम प्रत्याशी दिए लेकिन उसके एक मुस्लिम व एक ओबीसी (यादव) प्रत्याशी ने ही जीत दर्ज की।

सबसे बड़ा झटका कुंदरकी में

सपा को सबसे बड़ा झटका कुंदरकी सीट पर लगा है। इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर सपा को करारी शिकस्त देकर भाजपा ने सपाइयों को झटका दिया तो राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया। सपा ने मुस्लिम बाहुल्य सीट मुरादाबाद लोकभा सीट पर जब हिंदू प्रत्याशी रुचि वीरा को जिताकर दिखाया। तो इसे सपा के पीडीए की जीत बताया गया। कुंदरकी सीट पर भी सपा को बढ़त हासिल हुई थी लेकिन उपचुनाव में भाजपा ने यहां तगड़ी जीत दर्ज कर नतीजों में उलटफेर कर दिया।

फूलपुर नहीं दी थी कांग्रेस को, खुद भी हारी

फूलपुर सीट कांग्रेस मांग रही थी लेकिन सपा ने खुद ही यहां प्रत्याशी उतार दिया। यहां पर सपा का मुस्लिम प्रत्याशी आने से भाजपा को फायदा हुआ। फूलपुर में प्रत्याशी मुज्तबा सिद्दीकी के लिए अखिलेश यादव ने जोरदार सभा भी की थी। खैर में सपा ने दलित प्रत्याशी चारू केन को टिकट दिया कांग्रेस से आई चारू केन इस बार भी नंबर दो पर ही रहीं। मझवां में बिंद प्रत्याशी सपा ने दिया, उसकी रणनीति थी कि बाकी पीडीए भी साथ आएगा लेकिन भाजपा ने इस वोट बैंक में सेंधमारी कर दी।

कटेहरी सीट सपा ने गंवाई, गाजियाबाद में नहीं चला फैजाबाद वाला प्रयोग

पिछली बार जीती कटेहरी सीट पर सपा इस बार उपचुनाव में हार गई। सांसद लालजी वर्मा कई बार इस सीट से जीते थे। वह अपनी पत्नी को इस सीट पर नहीं जिता सके। प्रभारी के तौर शिवपाल यादव की रणनीति भी यहां काम नहीं आई। फैजाबाद जैसी सामान्य सीट पर सपा ने लोकसभा चुनाव में दलित प्रत्याशी के तौर अवधेश प्रसाद को उतारा था, उसी तरह का प्रयोग गाजियाबाद में किया जहां पार्टी ने सामान्य सीट पर दलित को उतारा लेकिन यहां भी भाजपा भारी अंतर से जीत गई।

क्या ज्यादा मुस्लिम प्रत्याशी उतारना महंगा पड़ा?

लोकसभा चुनाव में सपा ने 63 सीटों में केवल चार मुस्लिम प्रत्याशी दिए लेकिन केवल नौ सीटों के उपचुनाव में सपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए चार सीटों पर अल्पसंख्यक वर्ग के प्रत्याशी उतारे। यह सीट फूलपुर, सीसामऊ, कुंदरकी और मीरापुर हैं। माना जा रहा है कि सपा को यह कार्ड उल्टा पड़ गया। चार में केवल एक मुस्लिम प्रत्याशी को जीत मिली लेकिन बाकी सीटों पर भाजपा के नारे बटेंगे तो कटेंगे से नुकसान हुआ।

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