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गोरखपुर में बड़ा एक्शन: एम्स निदेशक डॉ. जीके पाल हटाए गए, भोपाल के निदेशक को मिला चार्ज

  • एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ. जीके पाल पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई की है। शुक्रवार को उन्हें एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक पद से हटा दिया गया। हालांकि उनका कार्यकाल दो अक्तूबर तक था।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाताFri, 27 Sep 2024 10:30 PM
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एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ. जीके पाल पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई की है। शुक्रवार को उन्हें एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक पद से हटा दिया गया। हालांकि उनका कार्यकाल दो अक्तूबर तक था। वे एम्स पटना के भी निदेशक हैं। उनकी जगह भोपाल एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह को एम्स गोरखपुर का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। उनका कार्यकाल तीन महीने तक रहेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसचिव (अंडर सेक्रेटरी) अरुण कुमार विश्वास ने इसे लेकर आदेश जारी कर दिया है। यह कार्रवाई निदेशक के बेटे के फर्जी प्रमाणपत्र के नाम पर पीजी में एडमिशन कराने के मामले में की गई है। यह प्रमाणपत्र एम्स पटना के निदेशक के आवास के पते से ही बनवाया गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब एम्स पटना में भी उनके खिलाफ जांच हो सकती है।

एम्स के जनरल सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव गुप्ता ने कार्यकारी निदेशक प्रो. डॉ.जीके पाल के खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि निदेशक ने अपने बेटे डॉ. ओरो प्रकाश पाल का फर्जी ओबीसी प्रमाणपत्र बनवाकर पीजी के माइक्रोबायोलॉजी पाठ्यक्रम में प्रवेश दिलाया। इसके लिए नॉन क्रीमी लेयर (एनसीएल) का लाभ लेने की शिकायत थी। शिकायत के बाद बेटे ने चार दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया।

नए निदेशक ने लिया ऑनलाइन चार्ज

एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कार्यकारी निदेश के प्रो. जीके पाल के हटने के कुछ देर बाद ही एम्स गोरखपुर का चार्ज ले लिया। एम्स गोरखपुर के उप निदेशक अरुण सिंह ने बताया कि डॉ. अजय सिंह ने ऑनलाइन चार्ज ले लिया है। उनके सोमवार को आने की उम्मीद है। इसके बाद कुछ जरूरी प्रक्रिया होती है, जिसे पूरा कराया जाएगा।

दो केंद्रीय मंत्री से लेकर सांसद तक कर चुके हैं शिकायत

दो केंद्रीय मंत्री सहित एक सांसद ने एम्स में चल रहे विवाद की पूरी कहानी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को बता चुके हैं। सांसद रवि किशन ने तो बैठक में खुलकर नाराजगी जता चुके हैं कि यहां पर मरीजों का इलाज कम रेफर ज्यादा किए जा रहे हैं।

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