रिंग रोड का नहीं बंटा मुआवजा, गड़बड़ी पकड़ी गई
सरनिया गांव की गाटा संख्या 156 में खेती की जमीन को व्यावसायिक दिखाकर अधिक मुआवजा तय करने की शिकायत की गई। एनएचएआई की जांच में गड़बड़ी पाई गई। रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया 2021 से चल रही...
आउटर रिंग के रोड के सरनिया गांव की गाटा संख्या 156 में खेती की जमीन को व्यावसायिक दिखाकर अधिक मुआवजा तय करने की शिकयत की केंद्रीय सड़क-परिवहन मंत्री से की गई। एनएचएआई हेडक्वार्टर की जांच में गड़बड़ी मिली है। हालांकि रिंग रोड के किसानों को अभी मुआवजा बंटना शुरू नहीं हुआ है। इस वजह से रकम अभी एनएचएआई के पास ही है। रिंग रोड के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया 2021 से चल रही है। 21 गांवों की जमीनों के अवार्ड एसएलएओ (विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी) घोषित कर चुके हैं। करीब 20 किमी की लंबी आउटर रिंग प्रोजेक्ट के सरनिया गांव की गाटा संख्या 156 के मुआवजा निर्धारण में गड़बड़ी एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सड़क-परिवहन मंत्री को भेजी थी। शिकायत को एनएचएआई हेडक्वार्टर की टीम ने जांच में शामिल किया। ड्रोन से 2021 में ली तस्वीर जांच का आधार बनीं। 2021 में गाटा संख्या 156 पर कोई निर्माण नहीं था। जबकि मार्च 2022 में ढांचा बनाकर जमीन को गैर कृषि करा लिया गया। मुआवजे की रकम करीब 12 करोड़ पर पहुंचा दी गई। इसमें भी एनएचएआई के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है।
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रिंग रोड का निर्माण बरेली डिवीजन कराएगी
बरेली। रिंग रोड के निर्माण की जिम्मेदारी बदायूं यूनिट को दी गई थी। आउटर रिंग रोड के मुआवजा के भुगतान से लेकर निर्माण तक का पूरा कार्य बदायूं डिवीजन को कराना था। करीब दो महीने तक बदायूं डिविजन के पास रिंग रोड की फाइल रही। हेडक्वार्टर के आदेश पर एक बार फिर रिंग रोड के निर्माण की जिम्मेदारी बरेली डिविजन को दी है।
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