बोले बाराबंकी: तीस साल पुराने कॉलेज में भवन सही न शिक्षा व्यवस्था
Barabanki News - संत बाबा बैजनाथ राजकीय महाविद्यालय, हरख में पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं और अन्य सुविधाओं की कमी छात्रों के विकास में बाधा बन रही है। कॉलेज की इमारत जर्जर है और सफाई की स्थिति भी खराब है। बिजली कटौती के...

बाराबंकी। संत बाबा बैजनाथ राजकीय महाविद्यालय, हरख में पुस्तकालय की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। ज्यादातर किताबें पुरानी हैं और नए पाठ्यक्रमों से मेल नहीं खातीं। विज्ञान वर्ग के छात्रों के लिए प्रयोगशालाएं भी कर्मचारियों की कमी के अभाव से जूझ रही हैं। ऐसे में व्यावहारिक ज्ञान की बात करना ही बेमानी है। आज के डिजिटल युग में जहां स्मार्ट क्लास और ई-लर्निंग अनिवार्य हो चुकी है, वहीं इस कॉलेज में इसकी व्यवस्था नहीं है। छात्र तकनीकी ज्ञान से वंचित रह जाते हैं, जिससे उनका समग्र विकास बाधित हो रहा है। इन सभी समस्याओं का सबसे बड़ा नुकसान छात्रों को हो रहा है।
प्रतिभाशाली विद्यार्थी संसाधनों के अभाव में अपने हुनर को तराश नहीं पा रहे। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हो या उच्च शिक्षा में प्रवेश हर मोर्चे पर यह पिछड़ जाते हैं। जर्जर भवन और गंदगी से बेहाल : कॉलेज की इमारत पिछले कई सालों से बिना किसी मरम्मत और जर्जर होती जा रही है। कई स्थानों पर प्लास्टर उखड़ चुका है, दीवारों में दरारें हैं और कई कमरें तो बरसात में टपकते भी हैं। छात्र व शिक्षकों ने बताया कि कहीं से ईंटें झड़ती हैं तो कहीं से पानी रिसता है। छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा तक खतरे में रहती है। कॉलेज परिसर में साफ-सफाई का घोर अभाव है। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं, शौचालयों की हालत बदतर है और नियमित सफाई का कोई प्रबंध नहीं है। गंदगी के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। इन विषम परिस्थितियों में पढ़ने वाले छात्र निराशा में जी रहे हैं। सुविधाओं की कमी के कारण रोजना सभी परेशानी झेलते हैं। जिन छात्रों में कुछ कर दिखाने की क्षमता है, वह उचित संसाधन व माहौल न मिलने के कारण बेहतर शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को स्थिति से अवगत कराया गया, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिले। बजट की मांग की गई। मगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। संत बाबा बैजनाथ राजकीय महाविद्यालय, हरख को शिक्षा का मंदिर बनाने के लिए सबसे पहले इसे समस्याओं के मकड़जाल से निकालना होगा। अभिभावकों का कहना है कि जब तक मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलेंगी, छात्रों की प्रतिभा दम तोड़ती रहेगी और शिक्षा के क्षेत्र में यह संस्थान पीछे ही रह जाएगा। बिजली कटौती ने ठप किया डिजिटल सिस्टम: महाविद्यालय में कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लास, सीसीटीवी और वाई-फाई की व्यवस्था तो है। लेकिन लगातार बिजली कटौती के कारण यह सभी आधुनिक उपकरण निष्क्रिय पड़े रहते हैं। जनरेटर या बैकअप पावर की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में डिजिटल इंडिया और स्मार्ट शिक्षा जैसे अभियान यहां केवल कागज़ों तक सीमित हैं। छात्रों ने कहा कि जब बिजली ही नहीं रहती तो कंप्यूटर लैब और स्मार्ट क्लास कैसे चलेंगे। ऐसे में यह सारी सुविधाएं शोपीस बनकर रह गई हैं। संत बाबा बैजनाथ राजकीय महाविद्यालय, हरख की उपेक्षा से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी हो रहा है। छात्रों ने कहा कि महाविद्यालय का भवन हैं, उपकरण हैं, लेकिन उन्हें संचालित करने वाले कर्मचारी नहीं हैं। महाविद्यालय की स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ, तो इस संस्थान का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। कमरों के खिड़कियों के शीशे टूटे:संत बाबा बैजनाथ राजकीय महाविद्यालय, हरख में कई कक्षों की खिड़कियों के शीशे वर्षों से टूटे पड़े हुए हैं। इन्हें बदलना तो दूर मरम्मत तक नहीं कराई जा रही है। इससे न केवल छात्रों को असुविधा होती है, बल्कि उनकी सुरक्षा भी खतरे में है। टूटे शीशों के कारण कक्षाओं में धूल-मिट्टी के साथ बरसात का पानी और सर्दियों में तेज हवा से बच्चे ठिठुर जाते हैं। इससे छात्रों को पढ़ाई में व्यवधान होता है और कई बार उन्हें दूसरे कमरों में शिफ्ट करना पड़ता है। छात्रों का कहना है कि सर्दियों में टूटी खिड़कियों से इतनी ठंडी हवा आती है कि पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगता। रात में टूटे शीशों से कोई भी व्यक्ति अंदर प्रवेश कर सकता है। इससे उपकरणों की सुरक्षा और छात्राओं की निजता दोनों पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो जाते हैं। कॉलेज की बिल्डिंग वर्षों से मरम्मत के लिए तरस रही है। न प्लास्टर ठीक किया गया, न फर्श बदले गए और अब खिड़कियों के टूटे शीशे भी कॉलेज की दुर्दशा की गवाही दे रहे हैं। कॉलेज प्रशासन कई बार उच्चाधिकारियों को पत्र लिख चुका है, लेकिन बजट या निरीक्षण की बात कहकर फाइलें टाल दी जाती हैं। स्थानीय नागरिक और छात्र अभिभावक कॉलेज की गिरती दशा से बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि जब कॉलेज की इमारत ही सुरक्षित और व्यवस्थित नहीं है, तो शिक्षा का वातावरण कैसे बनेगा। लैब असिस्टेंट बना चपरासी, व्यवस्थाएं अधूरी:शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और दक्षता की बात करने वाली सरकार के लिए संत बाबा बैजनाथ राजकीय महाविद्यालय, हरख एक आईना है। कॉलेज में कर्मचारियों की भारी कमी इस हद तक पहुंच चुकी है कि लैब असिस्टेंट को चपरासी का काम भी करना पड़ रहा है। कॉलेज में विज्ञान प्रयोगशालाओं के संचालन के लिए तैनात एकमात्र लैब असिस्टेंट को न सिर्फ उपकरणों की देखभाल करनी पड़ती है, बल्कि वही पानी लेकर आते हैं। दस्तावेज पहुंचाना, ऑफिस में झाड़ू-पोंछा करना और मेहमानों को चाय-पानी देना जैसे कार्य भी उसी से करवाए जा रहे हैं। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्टाफ नहीं है। इसलिए जो है उसी से हर काम करवाया जाता है। न चाहें तो भी मना नहीं कर सकते, वरना अधिकारियों की नाराजगी झेलनी पड़ती है। कॉलेज में चपरासी, क्लर्क, पुस्तकालय सहायक, तकनीकी सहायक जैसे पद वर्षों से खाली पड़े हैं। इसके कारण शैक्षणिक व प्रशासनिक दोनों व्यवस्थाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। सीमित स्टाफ पर ही काम का सारा बोझ है। जिससे कर्मचारियों में असंतोष और तनाव बढ़ रहा है। जब लैब असिस्टेंट को गैर-शैक्षणिक कामों में लगाया जाता है, तो प्रयोगशालाओं में कार्य बाधित होता है। कर्मचारियों का कहना है कि अगर संत बाबा बैजनाथ राजकीय महाविद्यालय जैसे संस्थानों में यही हाल रहा, तो छात्रों का भविष्य और शिक्षा की गरिमा दोनों ही दांव पर लगे रहेंगे। बोले जिम्मेदार: कॉलेज के प्राचार्य का इस बारे में कहना है कि महाविद्यालय में मानक के अनुसार शिक्षकों की तैनाती है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कमी है। कालेज के शौचालय की मरमम्त के लिए मांग पत्र दिया है। कालेज में बिजली की बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। बिजली कटौती होने से स्मार्ट क्लास नहीं चल पाते हैं। बिजली की समस्या के समाधान के लिए विभागीय अधिकारियों को पत्र देकर समस्या के समाधान करने की बात कहीं गई है। कालेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का पूरा ध्यान रखा जाता है।
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