बोले बहराइच:मरीजों से ज्यादा बीमार पीएचसी, झोलाछाप की शरण में जा रहे मरीज
Bahraich News - 24- हिन्दुस्तान संवाद के दौरान नर्सिंग डीहा के ग्रामीणों ने कहा कि पीएचसी नर्सिंग

जिले में 52 प्राथिमक स्वास्थ्य केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। ये स्वास्थ्य केंद्र मरीजों से ज्यादा खुद बीमार हैं, जिससे मरीज पहले झोलाछाप की शरण में जाते हैं। वर्षों से भवनों की मरम्मत नहीं हुई है, जिससे अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। स्वास्थ्य केंद्रों में साफ-सफाई का अभाव है। जितने डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य कर्मचारी होने चाहिए, उतने नहीं हैं। मरीजों को सिर्फ नाम मात्र की स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं। पीएचसी रोज खुलते तो हैं, लेकिन अपराह्न दो बजे बंद हो जाते हैं। अधिकांश पीएचसी में इमरजेंसी सेवाएं नहीं मिल रही हैं। पीएचसी में आवास जर्जर होने की वजह से रात में डॉक्टरों के न रुकने के कारण मरीजों को सीएचसी जाना पड़ता है।
जरूरी दवाओं का टोटा अक्सर बना रहता है। खांसी, सर्दी, जुकाम व बुखार की ही दवा मरीजों को मिल पाती है। एक्स-रे की सुविधा नहीं है। चार-पांच जांचें ही हो पाती हैं। संसाधनों व डॉक्टरों की कमी के कारण ग्रामीणों को झोलाछाप की शरण में जाना पड़ता है। हिन्दुस्तान ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत जानी, तो मरीजों ने अपना दर्द साझा किया। ------------------ फैक्ट फाइल -52 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जिले में मौजूद हैं -190 डॉक्टरों की सभी पीएचसी पर जरूरत है -148 डॉक्टर ही तैनात हैं -42 डॉक्टरों की कमी होने से इलाज में दिक्कत होती है -------------------- बहराइच, संवाददाता। नानपारा तहसील क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अमवा हुसैनपुर उजड़े सपनों का प्रतीक बन चुका है। पीएचसी बनने के बाद लोगों को आस जगी थी कि अब गांव में ही इलाज की सुविधा मिलेगी, महिलाओं को बेहतर देखभाल, बुजुर्गों को सहारा और घायल मरीजों को फौरन इलाज मिलेगा लेकिन हकीकत आंखें नम कर देती हैं। यहां दिन में इलाज मिल पाता है। रात में किसी को इलाज की जरूरत पड़े तो लगभग 6 किलोमीटर का सफर तय नानपारा जाना पड़ता है। अमवा हुसैनपुर, रायबोखा, गुरघुट्टा, नई बस्ती, ललकपुरवा आदि गांवों की लगभग 75 हजार की आबादी को तीन चिकित्सक, एक फार्मेसिस्ट, एक स्टाफ नर्स व एक वार्ड बॉय के भरोसे इलाज तो मिल जाता है, लेकिन रात को स्वास्थ्य केंद्र की इमारत वीरान हो जाती है। तब ग्रामीणों को झोलाछाप का सहारा लेना पड़ता है। यहां जरूरी दवाओं का टोटा अक्सर बना रहता है। खांसी, सर्दी, जुकाम व बुखार की ही दवा मरीजों को मिल पाती है। एक्स-रे की सुविधा नहीं है। चार-पांच जांचें ही हो पाती हैं। रुपईडीहा पीएचसी में जलभराव, कैसे आएं मरीज नेपाल से सटा आदर्श नगर पंचायत रुपईडीहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अत्यंत जर्जर है। पूरे परिसर में जलभराव है। डॉ. विवेक सिंह की यहां तैनाती है। मरीजों ने बताया कि वे यहां कभी नहीं आते। एमबीबीएस डॉ.रजनी गुप्ता मरीजों को देखती हैं। फार्मासिस्ट नहीं है। दो स्टाफ नर्स संगीता रावत व संगीता वर्मा हैं। इमरजेंसी में यहां के मरीज चरदा सीएचसी जाते हैं। वार्ड बॉय पवन कुमार ने बताया कि कुत्ते के काटने, सर्पदंश, घायल मरीजों को सीएचसी चरदा भेजा जाता है। यहां रात के समय जरूरत पड़ने पर मरीजों के लिए यहां कोई सुविधा नहीं है। मरीजों ने बताया कि जलभराव होने के कारण डॉ.रजनी गुप्ता जलभराव देखकर लौट गईं। लगभग 40 हजार की आबादी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई सुविधा नहीं हैं। स्वास्थ्य केंद्र की छतें टपकती हैं। पंखे व स्टोर में रखी दवाएं खराब हो जाती हैं। दुर्घटना होने पर लोग स्थानीय प्राइवेट चिकित्सकों के यहां जाने को मजबूर हैं। पीएचसी नर्सिंगडीहा व कल्पीपारा में बिजली, पानी दवा, डॉक्टर का अभाव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नरसिंह डीहा पर डॉक्टर नही हैं। केवल पैरा मेडिकल स्टाफ के सहारे अस्पताल चल रहा है। यहां इमरजेंसी सुविधा नहीं है। लैब की व्यवस्था है, लेकिन लैब टेक्नीशियन नहीं है। ग्रामीणों को प्राथमिक उपचार सुविधा तो मिल रही हैं, लेकिन स्वास्थ्य सेवाए बहुत अच्छी स्थिति में नहीं हैं। सड़क हादसे, कुत्ता काटने और सर्पदंश अथवा फ्रेक्चर होने की दशा में मरीजों को सीएचसी जाना पड़ रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नरसिंह डीहा लगभग 25 हजार की आबादी के बीच है, लेकिन इसका सीधा लाभ नहीं मिल रहा है। बिजली की कटौती के बाद वैकल्पिक की कोई विशेष सुविधा नहीं है। शौचालय बदहाल है। डॉक्टर न होने के कारण मरीज भर्ती नहीं किए जा रहे हैं। प्रसव की सुविधा उपलब्ध 24 घंटे उपलब्ध है। ----------------------------------------------------- बिना डॉक्टर के चल रहा पीएचसी कल्पीपारा चितौरा ब्लाक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कल्पीपारा आलिया बुलबुल और मीरपुर कस्बा के बीच निर्जन स्थान पर बना है। यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करीब छह हजार की आबादी के बीच है। मरीजों को सुविधा देने के मामले में फिसड्डी साबित हो रहा है। यहां पर डॉक्टर की तैनाती नहीं है। फार्मेसिस्ट और स्टाफ नर्स के सहारे मरीज देखे जा रहे हैं। बिजली और पानी की व्यवस्था बड़ी दयनीय है। वाटर कूलर खराब व झाड़ झंखाड़ में लगा है। बिल्डिंग भी रख-रखाव के अभाव में जर्जर हो रही है। अस्पताल निर्जन स्थान पर होने के नाते बहुत कम मरीज पहुंच पाते हैं। रिसिया सीएचसी अधीक्षक डॉ.प्रत्युष सिंह ने बताया कि प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र नरसिंह डीहा पर डॉक्टर नहीं हैं। जल्द तैनाती होगी। पीएचसी विशेश्वरगंज में कुत्ता व सांप की वैक्सीन नहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विशेश्वरगंज में इमरजेंसी की कोई सुविधा नहीं मिल रही है। कुत्ते काटने व सर्पदंश की वैक्सीन अस्पताल में नहीं है। रात में इलाज मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है। सिर्फ प्रसव के लिए 24 घंटे हॉस्पिटल खुला रहता है। बिजली के लिए वैकल्पिक व्यवस्था इनवर्टर लगा है। यहां लगभग 10 हजार की जनसंख्या के लोगों को इस पीएससी से इलाज की सुविधा मिलती है। स्टाफ नर्स श्वेता तिवारी ने बताया कि इस माह एक जून से 16 जून तक कुल 15 महिलाओं का सकुशल प्रसव कराए गया है। लैब टेक्नीशियन तीन दिन सोमवार, बुधवार व शनिवार को रहती हैं। रैम्प न होने की वजह से प्रसव के लिए आने वाली महिलाएं अथवा गंभीर रूप से बीमार लोगों को स्टेचर से ऊपर लाने व ले जाने में काफी दिक्कत होती हैं। इलाज कराने आए अजय मिश्रा ने बताया कि उन्हें दवाएं मिल गई हैं। मालती ने बताया कि यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य गेट पर रैंप नहीं है। जिससे मरीजों को अंदर जाने में परेशानी होती है। ओपीडी तीन हजार पार, डाक्टर सिर्फ एक, मटेरा पीएचसी में सुविधाओं का टोटा सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए भले ही निरंतर प्रयास करती हो, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधाओं का टोटा है। पीएचसी मटेरा में आंकड़ों के मुताबिक हर माह तीन हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन सिर्फ एक ही चिकित्सक के होने के चलते उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है। रात में मरीज आने पर यहां इलाज होना मुश्किल है। यहां डॉ.धर्मेंद्र गौतम, लैब टेक्नीशियन अरुण कुमार, फार्मासिस्ट मोहम्मद इमरान, वार्ड ब्वाय मोहम्मद लईक अहमद के साथ ही तीन नर्सिंग स्टाफ व एक स्वीपर की तैनाती है। विभिन्न बीमारियों से पीड़ित प्रतिदिन 100 से 120 मरीज इलाज के लिए आते हैं। एक ही चिकित्सक की तैनाती होने के चलते मरीजों को अपनी बारी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। यही हाल पीएचसी लक्ष्मनपुर शंकरपुर का भी है। यहां भी चिकित्सक डॉ.मयाराम, डॉ.सालिम मसूद व एक स्वीपर की तैनाती है। अन्य संसाधन न के बराबर हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामगढ़ी पट्टी में पेयजल की सुविधा नहीं विकास खंड तेजवापुर का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रामगढ़ी पट्टी जर्जर हो गया है। पीएचसी में शुद्ध पेयजल व शौचालय की व्यवस्था नहीं है। एमबीबीएस व स्टाफ नर्स की जगह लगभग एक वर्षों से रिक्त है। आयुष चिकित्सक डॉ.अकबाल खान, फार्मासिस्ट जयकिशन अवस्थी, एलटी आशुतोष चतुर्वेदी, वार्ड बॉय पवन कुमार व सफाईकर्मी मिथलेश कुमार की तैनाती है। आयुष चिकित्सक के भरोसे पीएचसी चल रही है। सड़क हादसे में घायल, कुत्ते काटने, सर्पदंश या फैक्चर होने कि स्थिति में इलाज की व्यवस्था नहीं है। रात्रि के समय पीएचसी पर इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। पीएचसी परिसर में एएनएम सेंटर भी स्थित है। एएनएम बबिता के द्वारा प्रसव व टीकाकरण किया जाता है। पीएचसी के अंतर्गत 30 हजार की आबादी है। पीएचसी परिसर में इंटरलाकिंग हो जाने पर बारिश के मौसम में आने जाने में दिक्कतें नहीं होंगी। पीएचसी पर सिर्फ दो पंखा चल रहा है। पांच पंखे खराब पड़े हैं। इनवर्टर की व्यवस्था नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खैरा बाजार की टपक रही छत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खैरा बाजार का भवन जर्जर हो चुका है। बारिश के दौरान छत टपकती है। जिससे स्वास्थ्य कर्मियों को गिरने का डर बना रहता है। पीएचसी पर शुद्ध पेयजल व शौचालय व मरीजों के बैठने की व्यवस्था नहीं है। रात्रि में यहां पर इलाज की कोई व्यवस्था नहीं रहती है। एमबीबीएस चिकित्सक का पद लगभग एक वर्ष से रिक्त पड़ा हुआ है। इमरजेंसी की कोई व्यवस्था नहीं है। स्टाफ नर्स व एएनएम द्वारा प्रसव कराया जाता है। पीएचसी पर इनवर्टर की व्यवस्था नहीं है। -------------- प्रस्तुति- ध्रुव शर्मा, दीपक श्रीवास्तव, विनोद दुबे, मनीराम शर्मा, सर्वेश मिश्रा, अरविंद पाठक हमारी भी सुनें खैरा बाजार पीएचसी सिर्फ फार्मासिस्ट के भरोसे चल रहा है। इमरजेंसी की कोई व्यवस्था नहीं है। पूरी दवाएं भी नहीं मिल पाती है। न ही सही से कोई जांच हो पा रही है। मरीजों को शुद्ध पेयजल के लिए भटकना पड़ता है। जगदीश जायसवाल बाबा --------------------- खैरा बाजार पीएचसी पर सही से इलाज नहीं पा रहा है। जिससे मरीज मेडिकल कॉलेज अपना इलाज कराने जाते हैं। चोट लगने से घाव का मरहम लेने आए थे, लेकिन मरहम नहीं मिला। सिर्फ कहने के लिए पीएचसी है। उमेश यादव ----------------------- उल्टी दस्त के दवा लेने खैरा बाजार पीएचसी गये थे। चिकित्सक के न मिलने से वापस लौट आए। पीएचसी सिर्फ शोपीस में बनकर खड़ी है। यहां न डॉक्टर मिलते हैं और न ही दवाई। लंबी दूरी तय कर लोग मेडिकल कॉलेज पहुंचते हैं। राम लखन ------------------------- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विशेश्वरगंज में यहां इमरजेंसी की कोई व्यवस्था नहीं है। दो बजे अस्पताल बंद होने के बाद इलाज नहीं मिल पाता है। मरीज सीएचसी या जिला मुख्यालय इलाज कराने जाते हैं। इमरजेंसी की व्यवस्था होनी चाहिए। बसंत लाल गुप्ता ------------------------ पीएचसी विशेश्वरगंज में कुत्ता काटने व सर्पदंश का इंजेक्शन नहीं है। घायलों के इलाज की व्यवस्था नहीं है। रात में इलाज की जरूरत पड़ने पर सीधे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ही इलाज मिल सकता है। मरीज परेशान होते हैं। अभय मिश्रा ------------------------- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र विशेश्वरगंज में रैम्प नहीं है। जिसकी वजह से प्रसव के लिए आने वाली महिलाएं अथवा गंभीर रूप से बीमार लोगों को स्टेचर से ऊपर लाने व ले जाने में काफी दिक्कत होती हैं। रैम्प बनने से ये समस्या दूर हो जाएगी। सत्यम गुप्ता ------------------------- पीएचसी विशेश्वरगंज में लैब टेक्नीशियन सिर्फ तीन दिन बैठती हैं। सोमवार, बुधवार व शनिवार को ही जांच की सुविधा मिलती है। शेष दिनों में मरीजों की जांच नहीं हो पाती है। इसकी वजह से मरीजों को परेशान होना पड़ता हैञ त्रिवेणी प्रसाद गुप्ता ------------------------ पीएचसी विशेश्वरगंज में सभी दवाएं नहीं मिल पाती हैं। डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को जिला मुख्यालय इलाज कराने के लिए जाना पड़ता है। डॉक्टर व लैब टेक्नीशियन की तैनाती हो जाए, तो मरीजों को फायदा मिलेगा। संजू सोनी ------------------------- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नरसिंह डीहा पर इमरजेंसी की सुविधा मिले, तो स्वास्थ्य सेवाए बेहतर हो। पैरा मेडिकल स्टाफ के सहारे अस्पताल चल रहा है। इमरजेंसी की सुविधा नहीं है। लैब है, लेकिन टेक्नीशियन नहीं हैं। मुन्ना खान ------------------------- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नर्सिंग डीहा में नियमित डॉक्टरों की तैनाती होनी चाहिए। क्योंकि डॉक्टर न होने की वजह से मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है। मरीज या तो प्राइवेट अस्पताल पहुंचते हैं। या मेडिकल कॉलेज। नसी --------------------- नर्सिंग डीहा में बड़ी आबादी के भीतर प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र की सेवाएं नाकाफी हैं। दवा, जांच, इलाज की व्यवस्था बेहतर हो तो ग्रामीणों को दूर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन स्वास्थ्य प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। जिससे मरीज परेशान हैं। आलोक कुमार -------------------- नर्सिंग डीहा प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र पर सड़क हादसे, सर्प दंश के शिकार मरीजों को त्वरित उपचार की सुविधा नहीं मिल पाती है। बरसात का महीना आने वाला है। एंटी वेनम स्नेक वैक्सीन यहां उपलब्ध कराया जाना चाहिए। दिलशाद अहमद -------------------- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कल्पीपारा में डॉक्टर नहीं आते हैं। ओपीडी की सुविधा मिलनी चाहिए। मरीजों के भर्ती होने वाले बेड कमरे में डंप पड़े धूल धूसरित हो रहे हैं। साफ-सफाई, दवा, स्वच्छ पेयजल का अभाव है। कमाल अहमद -------------------- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नर्सिंग डीहा व कल्पीपारा में सभी बीमारियों के दवाओं की उपलब्धता होनी चाहिए, जिससे मरीजों को लाभ मिल सके। दवा न मिलने के कारण मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ता है। गरीब मरीज बहुत परेशान होते हैं। गुलाम रजा ------------------- अस्पतालों में मरीजों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहता है। चित्तौरा ब्लॉक के पीएचसी कल्पीपारा का उच्चाधिकारियों को निरीक्षण करना चाहिए। यहां डॉक्टर नहीं आते हैं। बड़ी अव्यवस्था फैली हुई है। मरीज परेशान होते हैं। गुलजार ------------------- बोले जिम्मेदार मरीजों को सभी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए वे अस्पतालों का स्वयं निरीक्षण करते हैं। नियमित समीक्षा भी की जाती है। दवाओं की उपलब्धता, पैथालॉजी जांच, एक्स-रे एवं साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ समय से अस्पताल आते हैं या नहीं इसके लिए टीम बनाकर अस्पतालों का निरीक्षण किया जा रहा है। हीट वेव के दृष्टिगत सभी चिकित्सालयों में शीतल पेयजल, सभी दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी सीएचसी के अधीक्षकों व पीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया गया है। डॉ. संजय कुमार शर्मा, मुख्य चिकित्साधिकारी ------------------ सुझाव 01- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सभी दवाएं उपलब्ध कराई जाएं, जिससे गरीबों को प्राइवेट अस्पताल न जाना पड़े। 02- सभी पीएचसी में पेयजल व शौचालय की व्यवस्था की जाए। 03- सभी पीएचसी में बैठने की बेहतर व्यवस्था हो तथा लैब को सक्रिय किया जाए। 04- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों विशेषकर बच्चों व महिला डॉक्टरों को तैनात किया जाए। 05- जर्जर पड़े आवासों व अस्पतालों की मरम्मत कराई जाए, जिससे चिकित्सक ठहर सकें। 06- पीएचसी पर भी एक्स-रे की व्यवस्था कराई जाए, जिससे मरीजों को बाहर न जाना पड़े। ------------------ शिकायत 01- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सभी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, जिससे गरीबों को प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ रहा है। जाना पड़ रहा है। 02- सभी पीएचसी में पेयजल व शौचालय की व्यवस्था नहीं है। 03- सभी पीएचसी में बैठने की बेहतर व्यवस्था नहीं है। 04- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की बड़ी कमी है, विशेषकर महिला व बच्चों के डॉक्टर नहीं हैं। 05- जर्जर पड़े आवासों व अस्पतालों की मरम्मत नहीं कराई जा रही है जिससे डॉक्टर अस्पताल में नहीं रुकते हैं। 06- पीएचसी पर एक्स-रे की व्यवस्था नहीं है, जिससे मरीजों को बाहर जाना पड़ रहा है।
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