होली मनाने को लेकर एएमयू का यू टर्न, छात्रों को मिली इजाजत; खुला रहेगा स्टूडेंट क्लब
- पिछले कुछ दिनों से एएमयू में जारी यह विवाद लगातार बढ़ता जा रहा था। इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना रुख नरम करते हुए छात्रों को इसकी इजाजत दे दी है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली ने शनिवार को एचटी को बताया कि होली मनाने की अनुमति दे दी गई है।

Aligarh Muslim University: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) ने होली मनाने को लेकर अपने पुराने रुख से यू-टर्न लेते हुए छात्रों को 13 और 14 मार्च को विश्वविद्यालय परिसर में नॉन रेजिडेंट स्टूडेंट क्लब (एनआरएससी) क्लब में होली मनाने की इजाजत दे दी है। पिछले कुछ दिनों से जारी यह विवाद लगातार बढ़ता जा रहा था। इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना रुख नरम करते हुए छात्रों को इसकी इजाजत दे दी है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली ने शनिवार को एचटी को बताया कि होली मनाने की अनुमति दे दी गई है। प्रॉक्टर ने कहा, 'होली मनाने में रुचि रखने वाले एएमयू के छात्रों को 13 और 14 मार्च को एनआरएससी क्लब में त्योहार मनाने की अनुमति होगी। ऐसे समारोहों के लिए क्लब विशिष्ट समय के लिए खुला रहेगा।'
एएमयू द्वारा अपनाए गए रुख में बदलाव का स्वागत करते हुए अखिल कौशल ने इसे ‘ऐतिहासिक’ बताया क्योंकि एएमयू के इतिहास में पहली बार इस तरह से होली मनाने की अनुमति मिली है। कौशल एएमयू के छात्र थे जिन्होंने 9 मार्च को एनआरएससी क्लब में होली मनाने की अनुमति के लिए आवेदन किया था। कौशल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वर्चुअल संबोधन में एएमयू को ‘मिनी इंडिया’ कहा था और अब कुलपति और एएमयू प्रशासन ने होली मनाने का ऐसा फैसला लेकर पीएम को सही साबित कर दिया है।’ इससे पहले अनुमति इस आधार पर नहीं दी गई थी कि विश्वविद्यालय परिसर में होली सहित किसी भी त्योहार को मनाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन किसी भी नई परंपरा को स्थापित करने की कोई गुंजाइश नहीं है। एएमयू प्रशासन का यह रुख तब सामने आया था जब कुछ छात्र समूहों ने 9 मार्च को एनआरएससी क्लब में होली मनाने की अनुमति मांगी थी।
इस पर विभिन्न वर्गों से तीखी प्रतिक्रियाएं आई थीं और अखिल भारतीय करणी सेना की स्थानीय इकाई ने जिला मुख्यालय पर एडीएम सिटी को एक ज्ञापन सौंपकर 10 मार्च को एएमयू परिसर में होली मनाने की घोषणा की थी। विवाद में शुक्रवार को अलीगढ़ के भाजपा सांसद सतीश गौतम के बोल बिगड़ गए थे। दिशा की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सांसद ने यहां तक कह दिया कि एएमयू में धूमधाम से होली मनेगी। कोई मारपीट करेगा तो उसे ऊपर पहुंचा देंगे। उन्होंने कहा कि एएमयू क्या पाकिस्तान में है, जब ईद वहां मनती है तो होली भी मनेगी। सभी हिंदू छात्र होली मनाएंगे, कोई रोक नहीं है। गौतम को जब पिछले साल एएमयू परिसर में होली खेलने वाले हिंदू छात्रों के साथ 2024 में हुए विवाद की याद दिलाई गई तो उन्होंने ये बातें कहीं।
गौरतलब है कि पिछले साल 21 मार्च को होली मनाने को लेकर विश्वविद्यालय में छात्रों के दो गुटों में विवाद हो गया था। बाद में विवाद के लिए जिम्मेदार 10 छात्रों के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में मामला दर्ज किया गया था। पिछले साल होली से पहले परिसर में तनाव पैदा हो गया था। इस साल यह मामला तब शुरू हुआ जब एएमयू के छात्र अखिल कौशल ने दावा किया कि 25 फरवरी को विश्वविद्यालय प्रशासन को एक आवेदन देकर 9 मार्च को परिसर में गैर-निवासी छात्र केंद्र (एनआरएससी) में विशेष होली मिलन समारोह आयोजित करने की अनुमति मांगी गई थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि अभी तक इस अनुरोध पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। हालांकि, एएमयू के वरिष्ठ अधिकारियों ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि पिछले वर्षों की तरह इस बार भी परिसर में पारंपरिक तरीके से होली मनाई जाएगी।
एएमयू प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, "परंपरागत रूप से ईद, होली और दिवाली समेत सभी त्योहार छात्रावासों में मनाए जाते हैं। किसी खास समूह के लिए विशेष समारोह आयोजित करने का कोई उदाहरण नहीं है। हमने कोई नई परंपरा शुरू करना उचित नहीं समझा, क्योंकि इससे किसी भी बहाने से ऐसी अनुमतियों का दुरुपयोग हो सकता है।" इस बीच, एएमयू के जनसंपर्क कार्यालय की प्रभारी सदस्य प्रोफेसर विभा शर्मा ने गुरुवार को दिए एक बयान में कहा कि वह खुद विश्वविद्यालय की छात्रा रही हैं और अब एएमयू में प्रोफेसर हैं।
उन्होंने कहा, "एएमयू में हमेशा से एक परंपरा रही है, जहां शिक्षक, गैर-शिक्षण कर्मचारी और छात्र सभी होली के साथ-साथ अन्य त्योहारों को भी उत्साह के साथ मनाते रहे हैं। यह हमारे एएमयू परिसर की एक सुंदर परंपरा रही है और हमेशा रहेगी।" प्रोफेसर शर्मा ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा, "परिसर में किसी भी त्यौहार को मनाने के लिए कभी भी अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी और त्योहार पारंपरिक तरीके से मनाए जाते हैं, क्योंकि किसी भी तरह के त्योहार को मनाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।"