Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Allegations layoff contract workers before privatization anger among electricity employees increases

निजीकरण से पहले संविदा कर्मियों की छंटनी का आरोप, बिजली कर्मचारियों में और बढ़ा गुस्सा

  • विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि बिजली कंपनियों के निजीकरण से पहले ही संविदाकर्मियों की छंटनी शुरू कर दी गई है। छंटनी से गुस्सा और बढ़ गया है। काली पट्टी बांधने और विरोध सभाओं का आयोजन शनिवार को भी जारी रहेगा।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, लखनऊ, विशेष संवाददाताFri, 17 Jan 2025 10:33 PM
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बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में लगातार चौथे दिन शुक्रवार को भी प्रदेश के बिजली कर्मियों ने काली पट्टी बांध कर अपने विरोध का इजहार किया। कई जगहों पर विरोध सभाएं भी की। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि बिजली कंपनियों के निजीकरण से पहले ही संविदाकर्मियों की छंटनी शुरू कर दी गई है। छंटनी से गुस्सा और बढ़ गया है। काली पट्टी बांधने और विरोध सभाओं का आयोजन शनिवार को भी जारी रहेगा।

77491 कर्मियों की छंटनी की तैयारी का आरोप मढ़ा

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने कहा है कि निजीकरण के बाद बड़े पैमाने पर बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की छंटनी होगी। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में कर्मचारियों के 44330 पद हैं और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में कर्मचारियों के 33161 पद हैं। निजीकरण के बाद यह 77491 पद समाप्त हो जाएंगे। स्वाभाविक तौर पर कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर छंटनी होगी। 50 हजार संविदा कर्मी, 23818 तकनीशियन और अन्य कर्मचारी, 2154 जूनियर इंजीनियर और 1518 अभियंता छंटनी की जद में आएंगे।

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निजी कंपनियां नहीं रखेंगी बिजली कपनियों के कर्मचारियों को

निजीकरण के बाद दिल्ली और ओडिशा में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को वीआरएस देकर हटाया गया था। आगरा में टोरेंट पॉवर कंपनी ने पॉवर कॉरपोरेशन के एक भी कर्मचारी को नहीं रखा। ग्रेटर नोएडा में नोएडा पॉवर कंपनी ने एक भी कर्मचारी को नहीं रखा था। निजीकरण के बाद कोई भी कंपनी एक भी पुराने कर्मचारी को नहीं रखेगी।

कम सेवा वालों को भी वीआरएस देने की है तैयारी

संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण के लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने की आरएफपी डॉक्यूमेंट में अर्ली वीआरएस का उल्लेख किया गया है। सामान्यतया वीआरएस 30-35 साल की नौकरी कर चुके कर्मचारियों के लिए होता है, लेकिन अर्ली वीआरएस से ऐसा प्रतीत होता है कि बहुत कम नौकरी वाले कर्मचारियों की भी छुट्टी की जाने वाली है।

इन शहरों व परियोजनाओं पर हुईं विरोध सभाएं

शुक्रवार को वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, प्रयागराज, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा,कानपुर, मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, मुरादाबाद, बरेली, देवी पाटन, सुल्तानपुर, अयोध्या, झांसी, बांदा, उरई, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, पनकी, हरदुआगंज, परीक्षा, जवाहरपुर, ओबरा, और अनपरा में विरोध सभाएं हुईं।

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