महाकुंभ में 30 करोड़ कमाने वाला नाविक हिस्ट्रीशीटर! अखिलेश यादव बोले- सच्चाई पता करे सरकार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में महाकुंभ के दौरान प्रयागराज के एक नाविक परिवार की सफलता की कहानी सुनाई। जिसे लेकर अब अखिलेश यादव ने तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि नाविक हिस्ट्रीशीटर है! सरकार इसकी सच्चाई पता करवाए।

प्रयागराज महाकुंभ ने ऑटो चालकों, खान पान की दुकान लगाने वालों से लेकर नाव चलाने वाले लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी। ऐसे ही एक नाविक परिवार की सफलता की कहानी प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में विधानसभा में सुनाई। जिसे लेकर अब बहस छिड़ गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नाविक हिस्ट्रीशीटर/माफिया है। इसे लेकर अखिलेश यादव ने सीएम योगी पर तंज कसते हुए पूछा कि अगर खबर सही है तो सरकार इसका पता करे और जीएसटी कितना मिला ये भी तो बताएं।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक तस्वीर शेयर किया। जिस पर लिखा था, 'महाकुंभ में नाव चलाकर 30 करोड़ कमाने वाला माफिया/हिस्ट्रीशीटर निकला! CM योगी ने विधानसभा में तारीफ की थी।" साथ ही इसे लेकर अखिलेश ने योगी सरकार से सवाल भी किया। उन्होंने लिखा, "इस समाचार की सच्चाई की पड़ताल हो। अगर सच में एक परिवार ने महाकुंभ में अकेले 30 करोड़ कमाए हैं, तो जीएसटी कितना मिला ये भी तो बताएं। ‘पातालखोजी’ पहले पता कर लिया करें फिर महिमामंडन किया करें। पहले ठग से एमओयू कर लिया, अब नामज़द के नाम की सदन में बंद आंखों से तारीफ़ कर दी। अब तो आंखे खोलें। इन्हीं सब वजहों से ही भाजपा सरकार में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।"
दरअसल प्रदेश सरकार के मुताबिक, प्रयागराज के अरैल इलाके में रहने वाले नाविक पिंटू महरा का परिवार महाकुंभ में नाव चलाकर करोड़पति हो गया। पिंटू महरा का कहना है कि उन्होंने 2019 के कुंभ में नाव चलाई थी और उन्हें अनुमान था कि इस बार महाकुंभ में बहुत भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ आने वाली है। पिंटू महरा के परिवार ने महाकुंभ के पहले 70 नावें खरीदीं। पहले से उनके सौ से अधिक सदस्यों वाले परिवार में 60 नावें थीं। इस तरह इन 130 नावों को महरा परिवार ने महाकुंभ में उतार दिया।
महाकुंभ में नाविकों पर बरसीं लक्ष्मी
नाविकों के एक परिवार के पूरे आयोजन के 30 करोड़ की कमाई की बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की। लेकिन जिनके पास एक या दो नाव भी थीं, उन्हें भी इस महाकुंभ के महाआयोजन में खूब कमाने का मौका मिला। लक्ष्मी की ऐसी कृपा हुई कि किसी श्रद्धालु ने एक लाख 60 हजार रुपये दे दिया तो किसी ने स्वर्ण प्रतिमा। इस बात को खुद संगम वीआईपी घाट पर तैनात नाविक भी स्वीकार रहे हैं।